अगर आप भी ब्लड-प्लेटलेट के लिए सोशल मीडिया पर डालते हैं पोस्ट, तो हो सकते हैं ठगी का शिकार

संतोष शर्मा

अगर आप या आपका कोई करीबी इलाज के लिए किसी अस्पताल में भर्ती है और आपको दवा, ब्लड, प्लेटलेट की जरूरत है और आपने सोशल…

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अगर आप या आपका कोई करीबी इलाज के लिए किसी अस्पताल में भर्ती है और आपको दवा, ब्लड, प्लेटलेट की जरूरत है और आपने सोशल मीडिया पर अपनी जरूरत की पोस्ट डाल दी है तो आप साइबर ठगी का शिकार हो सकते हैं.

यूपी एसटीएफ ने लखनऊ से ऐसे ही ठग को गिरफ्तार किया है, जिसने कोरोना काल के दौरान ऐसे सैकड़ों लोगों को अपना निशाना बनाया और लाखों रुपए हड़प लिए.

आरोपी शख्स अपने गले में डॉक्टरों वाला स्टैथोस्कोप लेकर अपने अलग-अलग नामों से राहुल ठाकुर उर्फ करीम उर्फ डॉक्टर पुनीत उर्फ डॉक्टर विवेक…यह इसी व्यक्ति के नाम है जिसे यूपी एसटीएफ ने लखनऊ के सुशांत गोल्फ सिटी इलाके से दबोचा है. अब इसका कांड सुनेंगे तो आप हैरान रह जाएंगे.

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कभी राहुल ठाकुर तो कभी करीम तो कभी डॉक्टर पुनीत बनकर इस शख्स ने देश के नामी-गिरामी अस्पताल, चाहे वह दिल्ली का अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान हो, मेदांता अस्पताल गुड़गांव और लखनऊ का मेदांता अस्पताल हो या दिल्ली का फोर्टिस या मुंबई का टाटा मेमोरियल कैंसर संस्थान जैसे तमाम नामचीन अस्पतालों में भर्ती मरीजों के तीमारदारों को अपना शिकार बनाया है.

कभी अस्पताल की वेबसाइट से तो कभी सोशल मीडिया के जरिए यह शख्स कभी अस्पताल का HOD बनकर तो कभी डॉक्टर तो कभी इलाज कर रही टीम का इंचार्ज बनकर मरीज के तीमारदारों को फोन करता.

फोन पर आरोपी कहता कि मरीज की हालत गंभीर है. एंटी डोज के इंजेक्शन मंगवाने पड़ेंगे, ब्लड प्लेटलेट की जरूरत है जल्दी से आप पैसा इस खाते में ऑनलाइन जमा करा दीजिए. फिर यह फर्जी नाम पते पर खोले बैंक खातों में रकम जमा करवा लेता और पैसे हड़प जाता.

लखनऊ से राहुल ठाकुर के गिरफ्तारी के बाद एडीजी लॉ ऑर्डर और एसटीएफ चीफ मानते हैं कि अस्पताल प्रबंधन को ऐसे लोगों से सावधान रहना चाहिए. यह मरीज की निजता का हनन है. वहीं, एसटीएफ इस पूरे रैकेट को गहराई से खंगाल रही है.

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