रामलला की मूर्ति उनकी ससुराल नेपाल की गंडकी नदी के पवित्र शालिग्राम पत्थर से तैयार की जाएगी.
बता दें कि इन पत्थरों को सबसे पहले पोखरा से नेपाल के जनकपुर लाया गया है, जहां जनकपुर के मुख्य मंदिर में उनकी पूजा अर्चना की जा रही है. इनका वजन 127 क्विंटल है.
शुक्रवार को जनकपुर के मुख्य मंदिर में पहुंची इन शिलाखंड का दो दिन का अनुष्ठान शुरू हुआ. विशेष पूजा के बाद यह शिलाएं बिहार के मधुबनी बॉर्डर से भारत में प्रवेश करेंगी.
31 जनवरी की दोपहर ये शिलाखंड गोरखपुर के गोरक्षपीठ पहुंचेगी. वहां से 2 फरवरी को अयोध्या पहुंचेगी. इनके साथ जनकपुर – बिहार के साधु-संतों, वीएचपी के कई बड़े पदाधिकारी भी साथ रहेंगे.
मिली जानकारी के मुताबिक, नेपाल के प्रधानमंत्री और गृहमंत्री 25 अन्य गणमान्य व्यक्तियों के साथ शिला की रवानगी के बाद भारत आ रहे हैं.
शालिग्राम पत्थरों को शास्त्रों में विष्णु स्वरूप माना गया है. वैष्णव शालिग्राम भगवान की पूजा करते हैं. इसलिए यह पूरा पत्थर शालिग्राम है.
नेपाल की गंडकी नदी में अधिकतर इन शालिग्राम पत्थरों को पाया जाता है. नेपाल के लोग इन पत्थरों को खोज कर निकालते हैं और उसकी पूजा करते हैं. महीनों की खोज के बाद शालिग्राम पत्थर के इतने बड़े टुकड़े मिल पाए हैं.
साफ जाहिर है रामलला एक बार फिर अपने ससुराल को अपने देश से जोड़ देंगे और उस पुराने रिश्ते को कायम कर देंगे जो वर और ससुराल पक्ष के बीच होता है.