सरयू नहर परियोजना: CM योगी बोले- 1972 में योजना स्वीकृत हुई, 4 दशक में आधा काम भी नहीं हुआ

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उत्तर प्रदेश में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार, 11 दिसंबर को बलरामपुर में 318 किलोमीटर लंबी और करीब 9,800 करोड़ रुपए की लागत वाली सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना का उद्घाटन किया. इस मौके पर यूपी की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत समेत अन्य गणमान्य लोग मौजूद रहे. इस अवसर पर सीएम योगी ने जनसभा को संबोधित किया. खबर में आगे जानिए इस दौरान सीएम योगी ने क्या-क्या कहा.

अपने संबोधन के दौरान सीएम योगी ने कहा,

“पूर्वी उत्तर प्रदेश आजादी के बाद से लगातार उपेक्षित था. उपेक्षा का कारण यहां की गरीबी, यहां का पिछड़ापन था. इस क्षेत्र में लोगों के मन में राष्ट्रीयता का भाव तो था, लेकिन विकास के प्रति जो जज्बा होना चाहिए था उस जज्बे को पंख नहीं मिल पा रहे थे. हम सब आभारी हैं प्रधानमंत्री जी के जिन्होंने पूर्वी यूपी में आजादी के बाद के उन सभी सपनों को साकार करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी, आज उसका साकार रूप देखते हुए मिल रहा है.”

सीएम योगी

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सीएम योगी ने कहा, “इस राष्ट्रीय परियोजना को 1972 में सहमति मिली थी और 1972 में मेरा जन्म भी हुआ था…प्रधानमंत्री जी की अनुकंपा से जनता-जनार्दन की सेवा भी कर रहे हैं, लेकिन सरयू नहर परियोजना कभी पूरी नहीं हो पाई. इन सपनों को पंख तब लगा, जब 2015 में कृषि सिंचाई योजना बनी.”

सीएम योगी ने आगे कहा, “पहले 2 वर्षों में तत्कालीन सरकार ने रुचि नहीं ली. उससे पहले चाहे कांग्रेस, बीएसपी या एसपी की सरकार रही हो उनके अंदर भी रुचि थी ही नहीं. पीएम सिंचाई योजना आने के बाद भी इन लोगों ने रुचि नहीं ली और परिणाम क्या था 1978 से शुरू हुई यह योजना 2017 तक आते-आते लगभग 40 साल बीत गए…परियोजना आधी भी पूरी नहीं हुई.”

इसके अलावा सीएम ने कहा,

  • “यूपी में 18 में 17 सिंचाई योजना पूरी हुईं, सिर्फ मध्य गंगा परियोजना पर काम जारी.”

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  • “जो काम 40 साल में नहीं हुआ वो 4.5 साल में हुआ.”

  • “9 जनपदों के 29 लाख किसानों के फायदे की योजना, आज पीएम मोदी ने पूरी की है.”

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    आपको बता दें कि इस परियोजना में पांच नदियों को भी जोड़ा गया है. घाघरा, सरयू, राप्ती, बाणगंगा और रोहिन नदियों को जोड़ते हुए 318 किलोमीटर लंबी मुख्य नहर और इससे जुड़ी 6,600 किलोमीटर लिंक नहरों वाली उक्त नहर से पूर्वांचल के नौ जिलों बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, गोंडा, बस्ती, महाराजगंज, सिद्धार्थनगर, संत कबीर नगर और गोरखपुर के लगभग 29 लाख किसानों को लाभ मिलने की उम्मीद है.

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