मुख्तार अंसारी के बेटे उमर पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, गिरफ्तारी पर लगी रोक
उमर अंसारी पर साल 2022 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान चुनाव आचार संहिता के कथित उल्लंघन के आरोप में मामला दर्ज किया गया था.
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Uttar Pradesh News : सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बाहुबली मुख्तार अंसारी के बेटे उमर अंसारी को गिरफ्तारी से राहत दे दी है. उमर अंसारी पर साल 2022 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान चुनाव आचार संहिता के कथित उल्लंघन के आरोप में मामला दर्ज किया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने बेटे उमर अंसारी को 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान उनके खिलाफ दर्ज मामले में गिरफ्तारी से सुरक्षा प्रदान की. इलाहाबाद हाई कोर्ट से राहत न मिलने के बाद उमर अंसारी ने सुप्रीम कोर्ट में हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी.
जस्टिस ऋषिकेश रॉय और जस्टिस पी के मिश्रा की पीठ ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने संबंधी अंसारी की याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया.
क्या था मामला
दरअसल 4 मार्च, 2022 को मऊ जिले के कोतवाली पुलिस स्टेशन में अब्बास अंसारी (मऊ सदर सीट से एसबीएसपी उम्मीदवार), उमर अंसारी और 150 अज्ञात लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई थी. FIR में आरोप लगाया गया था कि 3 मार्च 2022 को पहाड़पुरा मैदान में अब्बास अंसारी, उमर अंसारी और आयोजक मंसूर अहमद अंसारी ने एक सार्वजनिक बैठक में भड़काऊ भाषण देते हुए मऊ प्रशासन के साथ हिसाब-किताब करने का आह्वान किया था. यह चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन का मामला है.
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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पिछले वर्ष 19 दिसंबर को अंसारी की अग्रिम जमानत याचिका खरिज कर दी थी. हाई कोर्ट ने कहा था कि मामले के तथ्यों और परिस्थितियों पर गौर करने से ऐसा लगता है कि अपराध हुआ है.
सुप्रीम कोर्ट ने कही ये बात
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को उमर अंसारी को 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान आदर्श आचार संहिता के कथित उल्लंघन के लिए दायर एक आपराधिक मामले में गिरफ्तारी से सुरक्षा दी है. जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस पीके मिश्रा की पीठ ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है. अंसारी का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने तर्क दिया कि मुख्य आरोपी को मामले में पहले ही नियमित जमानत दी जा चुकी है. पिछले साल 19 दिसंबर को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उमर अंसारी की अग्रिम जमानत अर्जी यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए अपराध बनता है.
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