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बस्ती में किन्नरों के फर्जी वोट बनाए गए, 98 में से सिर्फ 7 किन्नर ही निकले असली वोटर, क्या वोट चोरी हुई?

संतोष सिंह

देशभर में वोट चोरी के नाम पर कांग्रेस सांसद और लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी लगातार चुनाव आयोग और मोदी सरकार पर सवाल खड़ा कर रहे है. इन सब आरोपों के बीच बस्ती जनपद में भी वोटों में धांधली का अजब मामला सामने आया है.

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देशभर में वोट चोरी के नाम पर कांग्रेस सांसद और लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी लगातार चुनाव आयोग और मोदी सरकार पर सवाल खड़ा कर रहे है. बिहार से लेकर हरियाणा में वोट चोरी का आरोप लगाकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने चुनाव प्रक्रिया तक पर सवाल खड़ा किया है. इन सब आरोपों के बीच बस्ती जनपद में भी वोटों में धांधली का अजब मामला सामने आया है. जिले के 91 ट्रांसजेंडर वोटर फर्जी पाए गए है. इनके नाम पर सामान्य पुरुष और महिला ने वोट दे दिया. जिले में महज 7 ट्रांसजेंडर वोटर ही रजिस्टर्ड हैं. मगर उनके नाम पर हर चुनाव में 91 फर्जी वोट पड़ता रहा और जिले के अधिकारी अनजान रहे. 

इस मामले के शिकायतकर्ता अजय पांडेय किन्नरों के उत्थान के लिए काम करते हैं. उनकी शिकायत पर मतदाता सूची के सत्यापन अभियान में बस्ती जिले से बड़ा खुलासा हुआ है. जिले में लोकसभा चुनाव के दौरान मतदाता सूची में 98 ट्रांसजेंडर दर्ज पाए गए. इनमें सिर्फ 7 ट्रांसजेंडर ही असली हैं, बाकी 91 फर्जी साबित हो गए हैं. इंदिरा चैरिटेबल सोसायटी के अजय पांडेय ने लोकसभा चुनाव के दौरान एक शिकायत की थी. इसकी जांच के बाद सामने आई सच्चाई ने सबको चौंका दिया है. 

लोकसभा चुनावों के दौरान की गई शिकायत

सरकारी आंकड़ों के अनुसार ट्रांसजेंडर मतदाता सदर विधानसभा में चार, हरैया में एक, रुधौली और कप्तानगंज में एक एक किन्नर वोटर हैं. वर्तमान में जिले में कुल सात ट्रांसजेंडर मतदाता चिह्नित किए गए हैं. बाकी 91 सामान्य मतदाता थे जिन्हें लापरवाही के कारण ट्रांसजेंडर श्रेणी में दर्ज कर दिया गया था. अब प्रशासन ने इन नामों को सूची से हटाकर सुधार कर लिया है. इस मामले की शुरुआत लोकसभा चुनाव 2024 से पहले हुई थी, जब ट्रांसजेंडरों पर रिसर्च करने वाली संस्था इंदिरा चैरिटेबल सोसायटी ने चुनाव आयोग से शिकायत की थी कि जिले में दर्ज ट्रांसजेंडर मतदाताओं की संख्या वास्तविकता से मेल नहीं खा रही है. 

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संस्था के सीईओ और यूपी ट्रांसजेंडर कल्याण बोर्ड के सदस्य अजय कुमार पांडेय ने आरोप लगाया था कि 98 में से 91 मतदाता ऐसे हैं जो वास्तव में पुरुष या महिला हैं. वे ट्रांसजेंडर नहीं है. संस्था की ओर से साक्ष्यों सहित मुख्य निर्वाचन अधिकारी को पत्र भेजा गया था. तब मामला जांच के नाम पर टाल दिया गया था और उसी सूची पर लोकसभा चुनाव संपन्न करा दिया गया. अब मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान 2025 के दौरान जब प्रशासन ने जांच कराई, तो संस्था की शिकायत सही मिली. 

BLO की गलती को सुधारा गया

बीएलओ रिपोर्ट के आधार पर गलत प्रविष्टि हटाई गई और जिले में ट्रांसजेंडर मतदाताओं की वास्तविक संख्या अब तय की गई है. सत्यापन के बाद पाया गया कि वास्तविक ट्रांसजेंडर मतदाता सदर विधानसभा में चार, हरैया में 1, रुधौली और कप्तानगंज में एक एक मतदाता हैं.

अपर जिला अधिकारी प्रतिपाल सिंह चौहान ने बताया कि फर्जी वोटरों को मतदाता सूची से हटा लिया गया है. बहरहाल जिस तरह से फर्जी वोट का मामला जिले में पकड़ में आया है उसे देखकर तो यही लगता है कि तत्कालीन निर्वाचन अधिकारियों ने सिर्फ कागज में ही काम किया,क्योंकि अगर धरातल पर काम हुआ होता तो इतनी भारी मात्रा में फर्जी वोटर सामने नहीं आते. मजे की यह कि जो वोटर बस्ती जिला निर्वाचन की लिस्ट में सामान्य महिला व पुरूष थे उन्हें किन्नर बना दिया गया और इतना ही नहीं वह हर विधानसभा और लोकसभा चुनाव में वोट करते रहे.

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