15 लाख की दुकान खरीदी, 70 लाख निवेश किए पर कुछ नहीं बिका...महाकुंभ आए व्यापारी सुरेश की कहानी भावुक कर देगी

सिमर चावला

प्रयागराज महाकुंभ की सबसे पॉश मार्केट सुनसान पड़ी है. व्यापारियों का आरोप है कि ट्रैफिक डायवर्जन और प्रशासन की अव्यवस्था के कारण उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ा. कई दुकानदार अपनी दुकानें छोड़कर वापस लौट गए, जबकि कुछ अपनी पीड़ा बताते हुए भावुक हो गए.

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Mahakumbh News: एक तरफ महाकुंभ में लोगों का तांता लगा हुआ है, वहीं दूसरी तरफ कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिनके पास ये भीड़ नहीं पहुंच रही है. दरअसल, हम बात कर रहे हैं महाकुंभ के पॉश मार्किट की. फिलहाल इस पॉश मार्केट में सन्नाटा छाया हुआ है. व्यापारियों का आरोप है कि प्रशासन की अव्यवस्था और अनावश्यक ट्रैफिक डायवर्जन के कारण उनका व्यापार ठप हो गया है. भारी नुकसान झेलने के बाद कई दुकानदार अपनी दुकानें छोड़कर जा चुके हैं, जबकि कुछ यूपी Tak के कैमरे के सामने अपना दर्द बयां करते हुए भावुक हो गए. 

उत्तराखंड से महाकुंभ में दुकान लगाने आए सुरेश कुमार गुप्ता नामक व्यापारी ने कहा, "इस मेले में मेरा सामान 25% भी नहीं बिका है. नीलामी के बाद उचित बोली बोलकर हमने दुकान खरीदी थी. टोटल दुकान की कीमत 15 लाख रुपये है. प्रशासन अपनी बता पर खड़ा नहीं उतरा. हम व्यापारी लोग रो गए हैं. अगले महीने 17 मार्च को मेरी बेटी की शादी है. लाखों रुपये कर्जा लेकर मैंने 70 लाख का इन्वेस्टमेंट किया. हमने कुछ कमाया नहीं बल्कि गंवा दिया."

उन्होंने आगे कहा, "मेरी दुकान का खर्चा तक नहीं निकला है. बेटी के बारे में मैंने क्या-क्या सपने सोच कर रखे थे. पता नहीं वो सपना पूरा होगा कि नहीं होगा. प्रशासन ने जो वादे किए थे उन्हें पूरा नहीं किया."

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वहीं, एक अन्य दुकानदार ने बताया कई पहले 500 रुपये में जो कपड़े वह बेच रहे थे, अब महज 100 रुपये में ही अपना सामान निकालने को मजबूर हैं. उन्होंने यूपी Tak के कैमरे पर अपने ढेरों अनबिके स्टॉक दिखाए और बताया कि प्रशासन ने जिस प्रवेश द्वार को खोलने की योजना बनाई थी, उसे अंतिम समय में बंद कर दिया गया. इस कारण ग्राहकों की आवाजाही न के बराबर रही और उनकी बिक्री ठप हो गई. 

आपको यह भी बता दें कि कई दुकानदार भारी नुकसान के चलते अपनी दुकानें बंद कर अपने घर लौट गए हैं. एक व्यापारी ने कैमरे पर दिखाया कि किस तरह कई दुकानें अब पूरी तरह बंद पड़ी हैं, क्योंकि दुकानदार अपना स्टॉक नहीं बेच सके और भारी घाटा झेलने के बाद उन्हें मजबूरी में वापस जाना पड़ा. व्यापारियों ने प्रशासन से इस गंभीर स्थिति पर ध्यान देने और उचित मुआवजे की मांग की है.
 

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