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अस्मिता लाल कैसे बन गईं IAS और फिर चर्चित DM, तीसरे अटेंप्ट में मिली सफलता की पूरी कहानी जान लीजिए

मनुदेव उपाध्याय

बागपत की जिलाधिकारी अस्मिता लाल 2015 बैच की IAS अधिकारी हैं. अस्मिता ने प्रशासनिक कार्यों के साथ-साथ बेसहारा जानवरों और गरीबों के लिए शेल्टर हाउस, बर्ड टॉवर और बर्तन बैंक जैसी मानवतावादी योजनाएं शुरू की हैं.

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बागपत की जिलाधिकारी अस्मिता लाल उत्तर प्रदेश के तेज-तर्रार और कुशल अधिकारियों में गिनी जाती हैं.
 

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दिल्ली निवासी अस्मिता लाल 2015 बैच की IAS अधिकारी हैं. उन्होंने मुंबई विश्वविद्यालय से मनोविज्ञान में स्नातक और जेएनयू से लोक नीति एवं प्रबंधन में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है.
 

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बता दें कि अस्मिता ने UPSC में अपने तीसरे प्रयास में 454वीं रैंक हासिल की थी. अस्मिता अपने दूसरे प्रयास में वे भारतीय रेलवे लेखा सेवा के लिए चयनित हुई थीं.
 

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अस्मिता ने 18 जनवरी 2025 को उन्होंने बागपत जिले के 31वें जिलाधिकारी के रूप में पदभार संभाला. 
 

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अस्मिता ने जिलाधिकारी पद संभालते ही प्रशासनिक कार्यों के साथ-साथ मानवीय और सामाजिक पहलों को भी प्राथमिकता दी.
 

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उनके कार्यकाल में बेसहारा और ठंडी में ठिठुरते स्ट्रीट डॉग्स के लिए शेल्टर होम, परिंदों के लिए बर्ड टॉवर और गरीब परिवारों के लिए कम किराए पर बर्तन बैंक जैसी योजनाएं शुरू की गईं हैं. 
 

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स्ट्रीट डॉग्स के शेल्टर होम्स को महंगे सामान की बजाय पुराने प्लास्टिक ड्रम और बेकार टायरों से बनाया गया है. इनमें गद्दे भी रखे गए ताकि ठंड से राहत मिल सके.
 

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मरणोपरांत नेत्रदान का संकल्प लेने वाली अस्मिता लाल केवल प्रशासनिक अधिकारी नहीं हैं, बल्कि जमीनी जरूरतों और सामाजिक सरोकारों को समझकर कार्य करने वाली प्रेरक अधिकारी भी हैं.

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