Dayashankar and Swati Singh News: उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री दयाशंकर सिंह और योगी कैबिनेट की पूर्व मंत्री स्वाति सिंह का तलाक हो गया है. आपको बता दें कि दोनों की राहें 22 साल बाद जुदा हो गई हैं. दयाशंकर सिंह और स्वाति सिंह के बीच के तल्ख रिश्ते किसी से छिपे नहीं थे और सियासत से लेकर आम लोगों को इस बात की भनक थी कि दोनों के बीच सब कुछ सही था. खबर है कि कई सालों से दोनों अलग-अलग रह रहे थे, लेकिन अब दोनों कानूनी रूप से अलग हो गए हैं. दोनों की शादी 18 मई 2001 को हुई थी और यह प्रेम विवाह था. मगर लखनऊ की फैमिली कोर्ट ने 28 मार्च को विवाह खत्म होने का फैसला कर दिया.
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दयाशंकर और स्वाति के हैं 2 बच्चे
आपको बता दें कि दयाशंकर और स्वाति के दो बच्चे हैं. एक बेटा और एक बेटी. दोनों फिलहाल स्वाति सिंह के साथ ही रहते हैं. दयाशंकर सिंह वक्त वक्त पर अपने बच्चों से मुलाकात भी करते हैं.
ऐसे शुरू हुआ था स्वाति सिंह का सियासी सफर
स्वाति सिंह का राजनीति में प्रवेश उस दौरान हुआ था जब दयाशंकर सिंह ने 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव से पहले पूर्व मुख्यमंत्री मायावती को लेकर एक टिप्पणी कर दी थी. उसके बाद विवाद हुआ और बसपा ने जोरदार हंगामा किया. दयाशंकर सिंह के परिवार को बीच में घसीटा जाने लगा. तब स्वाति सिंह मुखर होकर सामने आईं और उन्होंने कई कड़े शब्द बसपा के लिए कहे. इसके बाद वह सीधे भाजपा महिला मोर्चा की अध्यक्ष बनीं, फिर विधायक और उसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री.
ऐसा कहा जाता है कि स्वाति सिंह के मंत्री बनने के बाद एक बार फिर दोनों के रिश्ते बेहद खराब हो गए. और इस बार (2022 विधानसभा चुनाव) स्वाति सिंह का टिकट काटकर बीजेपी ने दयाशंकर सिंह को बलिया से टिकट दिया, जहां से वह विधायक चुने गए और उसके बाद योगी कैबिनेट में मंत्री बने.
स्वाति ने लगाए थे घरेलू हिंसा के आरोप
स्वाति सिंह और दयाशंकर बीच घरेलू हिंसा तक की खबरें आती रहीं. स्वाति सिंह ने दयाशंकर सिंह पर कई तरह के आरोप लगाए थे. इसके चलते कई बार पार्टी और सरकार के शीर्ष नेताओं ने भी दोनों के बीच सुलह कराने की कोशिश की थी.
स्वाति सिंह को टिकट नहीं मिलना और उनकी जगह दयाशंकर सिंह को टिकट दिए जाने और उन्हें मंत्री बनाए जाने के बाद एकदम यह साफ हो गया था कि अब दोनों के बीच कोई रिश्ता नहीं रह गया है.
एबीवीपी से हुई थी रिश्तों की शुरुआत
आपको बता दें कि दयाशंकर सिंह और स्वाती सिंह के बीच रिश्तों की शुरुआत एबीवीपी से हुई थी. जब स्वाती सिंह इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में एमबीए की पढ़ाई कर रही थीं और दयाशंकर सिंह लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र राजनीति में सबसे आगे के नेता थे. स्वाति सिंह ने लखनऊ विश्वविद्यालय में पीएचडी में पंजीकरण भी कराया और यहां पर पढ़ने लगीं. विद्यार्थी परिषद के कार्यक्रम में दोनों का मेलजोल बढ़ा और दोनों ही बलिया के रहने वाले थे, जिसके बाद दोनों का विवाह के बंधन बन गए.
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