अयोध्या: महंत सत्येंद्र ने बाबरी मस्जिद के पक्षकार रहे इकबाल को गले लगाकर दी ईद की बधाई

बनबीर सिंह

• 12:39 PM • 03 May 2022

यूपी के अयोध्या में ईद और अक्षत तृतीया के मौके पर सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल देखने को मिली है. श्री राम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य…

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यूपी के अयोध्या में ईद और अक्षत तृतीया के मौके पर सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल देखने को मिली है. श्री राम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास बाबरी मस्जिद के पक्षकार रहे इकबाल अंसारी के घर पहुंचे और उन्हें ईद की बधाई दी. तो वहीं इकबाल अंसारी ने भी माला पहनाकर उनका स्वागत किया. उन्होंने सत्येंद्र दास को फल खिलाकर अक्षय तृतीया और परशुराम जयंती की बधाई दी.

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अयोध्या में मंगलवार को ईद के मौके पर एक तरफ बड़ी संख्या में मुस्लिम समाज के लोग मस्जिदों और ईदगाह में ईद की नमाज अदा कर रहे थे, तो वहीं दूसरी तरफ अक्षय तृतीया पर लाखों श्रद्धालु मंदिरों में दर्शन पूजन कर रहे थे. इन सब के बीच आचार्य सत्येंद्र दास और इकबाल अंसारी के गले मिलने की तस्वीरें सामने आईं, जिसने सभी लोगों का दिल जीत लिया.

लंबे समय तक अयोध्या में चले मंदिर-मस्जिद विवाद की चर्चा तो खूब होती है, लेकिन अयोध्या का वह सच गुमनाम सा हो गया था, जिसके लिए अयोध्या जानी और पहचानी जाती थी. अयोध्या का मतलब ही यही है कि जहां युद्ध ना हो.

आचार्य सत्येंद्र दास ने उन दिनों को याद कर कहा, “हमारे गुरु महाराज अभिराम दास और बाबरी मस्जिद के मुख्य पक्षकार रहे इकबाल अंसारी के पिता इकबाल अंसारी, दोनों एक ही तांगे पर बैठकर एक साथ मुकदमा लड़ने कचहरी जाते थे.”

यही नहीं, राम मंदिर आंदोलन में मुख्य भूमिका निभाने वाले दिगंबर अखाड़े के महंत रामचंद्र परमहंस और हाशिम अंसारी में भी गहरी दोस्ती थी और एक साथ आना जाना होता था. बाबरी मस्जिद के मुख्य पक्षकार रहे हाशिम अंसारी ने जब प्राण छोड़े थे तो उनके जनाजे के समय सबसे अधिक संख्या हिंदुओं और अयोध्या के साधु-संतों की थी.

इकबाल अंसारी ने कहा,

“हम लोग हमेशा अयोध्या के साधु-संतों के बीच रहते हैं. दोनों समुदायों के बीच कभी कोई विवाद नहीं हुआ. यही कारण है कि अयोध्या में हम एक दूसरे के त्योहारों में शामिल होते हैं. अयोध्या वह धर्मनगरी है, जहां क्या हिन्दू, क्या मुस्लिम या फिर सिख, ईसाई सभी रहते हैं. धर्म और मजहब को लेकर यहां कोई विवाद नहीं है. यहां एक तरफ सरयू नदी बहती है, हनुमान जी का मंदिर है तो दूसरी तरफ मस्जिद, मजार और गुरुद्वारा भी है.”

इकबाल अंसारी

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