UPSC Success Stories: 16 सरकारी नौकरियों का ऑफर ठुकराने वाली IPS तृप्ति भट्ट की कहानी, कड़क अफसर और कराटे में भी ट्रेंड!

निष्ठा ब्रत

19 Sep 2025 (अपडेटेड: 19 Sep 2025, 03:43 PM)

उत्तराखंड की तृप्ति भट्ट ने 16 सरकारी नौकरियों को ठुकराकर IPS अधिकारी बनने का फैसला किया. तृप्ति आज देहरादून में SP (इंटेलिजेंस और सिक्योरिटी) के रूप में कार्यरत हैं. उनकी कहानी संकल्प, मेहनत और देशभक्ति की मिसाल है.

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उत्तराखंड की तृप्ति भट्ट ने अपनी मेहनत और संकल्प से साबित किया है कि सपने साकार किए जा सकते हैं. तृप्ति भट्ट ने देश सेवा का सपना पूरा करने के लिए 16 सरकारी नौकरियों के ऑफर ठुकरा दिए, जिनमें ISRO जैसी बड़ी संस्था का भी ऑफर था. उन्होंने IPS अधिकारी बनने का फैसला किया और आज देहरादून में SP (इंटेलिजेंस और सिक्योरिटी) के पद पर तैनात हैं.
 

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तृप्ति उत्तराखंड के अल्मोड़ा की रहने वाली हैं और एक शिक्षक परिवार से आती हैं. चार बहनों में सबसे बड़ी तृप्ति ने बीरसबेहा स्कूल और केंद्रीय विद्यालय से पढ़ाई की और फिर पंतनगर यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग की डिग्री ली.
 

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बता दें कि इंजीनियरिंग के बाद तृप्ति ने NTPC में असिस्टेंट मैनेजर की नौकरी शुरू की, लेकिन उनका असली सपना था पुलिस अधिकारी बनकर देश की सेवा करना. 
 

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कक्षा 9 में तृप्ति की मुलाकात भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम से हुई थी. उन्होंने तृप्ति को अपने हाथ से लिखा हुआ एक पत्र दिया, जिसने उनके मन में देश सेवा का जज़्बा और भी मजबूत कर दिया. 
 

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2013 में तृप्ति ने UPSC की परीक्षा पहले ही प्रयास में पास की और ऑल इंडिया रैंक 165 के साथ IPS अधिकारी बनीं. उन्हें उनका होम कैडर मिला और उन्होंने देहरादून में SP बनकर अपनी सेवा शुरू की.
 

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तृप्ति ने चमोली में SP और टिहरी में SDRF (राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल) की कमांडर के रूप में काम किया. उन्होंने कई बचाव और राहत अभियानों का नेतृत्व किया. 
 

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वह सिर्फ एक कड़क अधिकारी ही नहीं, बल्कि एक शानदार एथलीट भी हैं. उन्होंने मैराथन दौड़ में गोल्ड मेडल जीता है और राज्य स्तरीय बैडमिंटन टूर्नामेंट में भी पुरस्कार जीते हैं. इसके अलावा तायक्वोंडो और कराटे में भी वह ट्रेन्ड हैं.
 

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तृप्ति सोशल मीडिया पर भी एक्टिव रहती हैं और अपने काम की झलकियां शेयर करती हैं. 2022 में जब उन्होंने अपने जिले अल्मोड़ा में प्रधानमंत्री की रैली के दौरान पहली बार वर्दी में ड्यूटी की तो इसे उन्होंने एक खास अनुभव बताया. 
 

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