ज्ञानवापी केस: हिंदू पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया, कहा- ये मस्जिद नहीं

संजय शर्मा

20 May 2022 (अपडेटेड: 14 Feb 2023, 09:01 AM)

ज्ञानवापी सर्वेक्षण मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले हिंदू पक्ष ने नोटिस के जवाब में हलफनामा दाखिल कर दिया है. हिंदू पक्षकारों ने…

UPTAK
follow google news

ज्ञानवापी सर्वेक्षण मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले हिंदू पक्ष ने नोटिस के जवाब में हलफनामा दाखिल कर दिया है. हिंदू पक्षकारों ने हलफनामे में कहा है कि ज्ञानवापी मामला उपासना स्थल कानून 1991 के दायरे में नहीं आता. इसके पीछे तर्क दिया गया है कि उपासना स्थल कानून 15 अगस्त 1947 को किसी भी धार्मिक स्थल की स्थिति को लेकर है, जबकि ज्ञानवापी परिसर में स्थित देवी श्रृंगार गौरी की उपासना, पूजा और दर्शन तो पिछली सदी के आखिरी दशक तक हो रहे थे.

यह भी पढ़ें...

हिंदू पक्ष ने मांग की है कि अदालत धार्मिक स्थलों की स्थिति के सवाल पर पहले सुनवाई करे. फिर उसके कैरेक्टर और स्थिति की समीक्षा हो. हिंदू पक्ष ने कहा है कि भारत में इस्लामिक शासन से हज़ारों साल पहले से यहां की संपत्ति आदि विश्वेश्वर भगवान की है, जो किसी को नहीं दी जा सकती. उनका तर्क है कि औरंगज़ेब ने शासक होने के नाते जबरन कब्ज़ा किया. इससे मुसलमानों को संपत्ति पर हक नहीं मिल जाता.

हिंदू पक्ष ने हलफनामे में बताया है कि ज्ञानवापी पर हिंदू सदियों से उसी स्थल पर अपनी रीतियों का पालन कर रहे हैं. पूजा, परिक्रमा अनुष्ठान कर रहे हैं, जबकि जबरन कब्जा करने वाले शासक औरंगजेब ने कोई वक्फ नहीं स्थापित किया. उन्होंने कहा है कि विवादित जगह मस्ज़िद नहीं है.

हिंदू पक्ष ने मस्जिद कमेटी की याचिका खारिज करने की मांग करते हुए अपने हलफनामे में कहा है कि मुस्लिम पक्ष की याचिका सुनवाई योग्य नहीं है.

हलफनामे में कहा गया कि औरंगजेब ने संप्रभु की हैसियत से मंदिर गिराने का फरमान दिया था, जबकि ये जमीन किसी मुसलमान की नहीं थी. ये जमीन किसी मुस्लिम संस्था या वक्फ बोर्ड की भी नहीं है. पूजा करने वाले पहले से ही वहां देवी-देवताओं की पूजा कर रहे हैं. इसके अलावा वहां ‘परिक्रमा’ की धार्मिक प्रथा का निर्वहन भी किया जा रहा है.

इसमें बताया गया है कि सनातनी हिंदू भगवान शिव के उपासक और सामान्य रूप से हिंदू भगवान आदिविशेश्वर और देवी श्रृंगार गौरी व अन्य देवताओं की पूजा करते हैं, जो संपत्ति के भीतर मौजूद हैं. आराध्य देवता के चारों ओर परिक्रमा का उपक्रम हिंदू कानून द्वारा मान्यता प्राप्त पूजा का अभिन्न और प्राचीन अंग है. हजारों की संख्या में भक्त परिक्रमा मार्ग से परिक्रमा और अन्य धार्मिक अनुष्ठान करते रहे हैं. विशेष अवसरों और त्यौहारों पर लाखों भक्त पूजा करने के लिए इकट्ठा होते हैं. इसलिए परिसर विशाल बनाया गया है.

    follow whatsapp
    Main news