IPS Prabhakar Chaudhary News: उत्तर प्रदेश में रविवार को कुछ आईपीएस के ट्रांसफर हुए, लेकिन इनमें एक नाम की चर्चा बहुत ज्यादा हो रही है. वह नाम है IPS प्रभाकर चौधरी का. बरेली में कांवड़ियों पर लाठीचार्ज के मामले के कुछ घंटों बाद ट्रांसफर लिस्ट में जब यहां के एसएसपी प्रभाकर चौधरी का नाम आया, तो कई तरह की चर्चाएं छिड़ गईं. लोग IPS प्रभाकर को लेकर अलग-अलग दावे करने लगे. इनमें एक दावा उनके जल्दी-जल्दी होने वाले तबादलों को लेकर था. यूपी Tak की इस खास कवरेज में जानिए IPS प्रभाकर चौधरी की पूरी कहानी. साथ ही, हम आपको यह भी बताएंगे कि बीते 8 साल में उनके 18 ट्रांसफर के पीछे की क्या कहानी है.
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कौन हैं आईपीएस प्रभाकर चौधरी?
प्रभाकर चौधरी 2010 बैच के आईपीएस अफसर हैं. वह मूलत: अंबेडकरनगर के रहने वाले हैं. बेसिक ट्रेनिंग खत्म करने के बाद प्रभाकर चौधरी ने बतौर अंडर ट्रेनिंग एएसपी नोएडा में ज्वाइन किया था. उसके बाद प्रभाकर चौधरी आगरा, जौनपुर और वाराणसी के एएसपी से लेकर कानपुर नगर के एसपी सिटी तक रहे.
जिले में कमान संभालने की बारी आई तो प्रभाकर चौधरी की पहली पोस्टिंग यूपी के आखिरी जिले ललितपुर में हुई. जनवरी 2015 को प्रभाकर चौधरी को ललितपुर का एसपी बनाया गया और दिसंबर 2015 यानी लगभग 11 महीने तक वह ललितपुर के एसपी रहे. ललितपुर से हटाने के बाद प्रभाकर चौधरी इंटेलिजेंस मुख्यालय में तैनात किए गए.
और किन-किन जिलों में मिली तैनाती?
13 जनवरी, 2016 में प्रभाकर चौधरी को यूपी के सबसे कठिन जिलों में शुमार देवरिया का कप्तान बनाया गया, जहां उनकी तैनाती 18 अगस्त 2016 तक रही. देवरिया के बाद प्रभाकर चौधरी को सीधे बलिया का कप्तान बनाया गया, जहां पर वह 15 अक्टूबर, 2016 यानी 2 महीने तक ही कप्तान रहे.
बलिया के बाद प्रभाकर चौधरी को कानपुर देहात का कप्तान बनाया गया. सत्ता परिवर्तन हुआ और भाजपा सत्ता में आई तो 28 अप्रैल, 2017 को प्रभाकर चौधरी का कानपुर देहात से महज 5 महीने में तबादला कर उन्हें एटीएस भेज दिया गया. 23 सितंबर, 2017 तक प्रभाकर चौधरी यूपी एटीएस में तैनात रहे.
24 सितंबर, 2017 को प्रभाकर चौधरी को बिजनौर जिले का कप्तान बनाया गया. बिजनौर में भी प्रभाकर चौधरी 6 महीने पूरे नहीं कर पाए और वह 19 मार्च, 2017 को उन्हें बिजनौर से हटा दिया गया. बिजनौर से ट्रांसफर के 3 दिन बाद ही प्रभाकर चौधरी को मथुरा जैसे बड़े जिले का कप्तान बनाया गया.
मथुरा में कई पुरानी लूट की घटनाओं का खुलासा हुआ. बड़े चांदी व्यापारियों के अवैध धंधों पर नकेल कसी. अपराधी के लिए जीरो टॉलरेंस की नीति का चर्चा पालन करने वाले प्रभाकर चौधरी की मथुरा के स्थानीय नेताओं से नहीं बनी और उनका 3 महीने में ही तबादला कर दिया गया.
मथुरा से प्रभाकर चौधरी को सीतापुर भेजा गया. 30 जून 2018 को प्रभाकर चौधरी सीतापुर के एसपी बनाए गए, लेकिन वहां भी 6 महीने पूरा होने से पहले ही 8 दिसंबर, 2018 को उनका ट्रांसफर कर दिया गया. सीतापुर में एक मामूली विवाद को लेकर थाने में घुसकर वकीलों के द्वारा उपद्रव मचाया गया.
पुलिसकर्मियों के साथ मारपीट की गई तो सीतापुर के बार अध्यक्ष के ऊपर लूट का मुकदमा लिख कर उन्हें जेल भेज दिया था. सीतापुर के बाद प्रभाकर चौधरी को बुलंदशहर भेजा गया. 9 दिसंबर 2018 को बुलंदशहर के एसपी बने लेकिन वहां से भी 2 महीने बाद 20 फरवरी 2019 को उन्हें हटा दिया गया और एसपी जीआरपी झांसी बनाया गया.
कानून व्यवस्था बिगड़ने पर सोनभद्र की मिली थी कमान
प्रभाकर चौधरी जीआरपी में थे कि तभी सोनभद्र में उंभा कांड हो गया. जमीन कब्जे के पुराने विवाद में पुलिस और पब्लिक के बीच पथराव हुआ और फायरिंग हो गई. कानून व्यवस्था बिगड़ने लगी तो सरकार ने आनन-फानन में प्रभाकर चौधरी को सोनभद्र की कमान दी और 4 अगस्त, 2019 को सोनभद्र का कप्तान बनाया गया. लेकिन 2 महीने बाद 31 अक्टूबर, 2019 को सोनभद्र से हटाकर प्रभाकर चौधरी को प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी का एसएसपी बनाया गया.
8 साल के करियर में 18 बार तबादला
7 जुलाई 2020 तक वाराणसी में कप्तान प्रभाकर चौधरी को मुरादाबाद का कप्तान बनाया गया. मुरादाबाद में भी प्रभाकर चौधरी सिर्फ 9 महीने ही कप्तान रहे और 14 जून 2021 को मुरादाबाद से हटकर मेरठ का एसएसपी बनाया. प्रभाकर चौधरी के 8 साल की कप्तानी के करियर में उनके 18 तबादले हुए, जिसमें 15 जिलों के वह कप्तान रहे. लेकिन मेरठ एक अकेला जिला है, जहां पर प्रभाकर चौधरी एक साल तक एसएसपी रहे.
25 जून 2022 तक मेरठ के एसपी रहे प्रभाकर चौधरी को आगरा जैसे बड़े शहर की कमान दी गई. लेकिन आगरा में भी प्रभाकर चौधरी 5 महीने तक ही टिक पाए और 28 नवंबर, 2022 को प्रभाकर चौधरी हटा दिए गए. उन्हें आगरा से हटाकर पीएसी सीतापुर भेजा गया और 12 मार्,च 2023 को प्रभाकर चौधरी को बरेली का नया एसएसपी बनाया गया.
मगर बरेली में भी प्रभाकर चौधरी 4 महीने तक ही रह पाए और 30 जुलाई, 2023 को बरेली एसएसपी से भी हटाकर 32वीं वाहिनी लखनऊ का सेना नायक बना दिया गया. ट्रेनिंग के कार्यकाल को हटा दें तो जनवरी 2015 से जुलाई 2023 यानी कुल 8 साल के करियर में प्रभाकर चौधरी का 18 बार तबादला किया गया, जिसमें 15 जिलों के कप्तानी भी शामिल है.
झांसी जीआरपी में एसपी के बंगले के अवैध कब्जे का मामला हो, सोनभद्र का उम्भा कांड हो, सीतापुर में वकीलों का उपद्रव हो, मथुरा में स्थानीय नेता से गतिरोध या फिर अब बरेली में कावड़ियों के उपद्रव को रोकने की कोशिश.
प्रभाकर चौधरी ने हमेशा जिले की कानून व्यवस्था से कोई समझौता नहीं किया. वह फिर अपराधी हो या फिर कोई बड़ा सत्ताधारी दल का नेता. अपराधियों के लिए जीरो टॉलरेंस पर काम करने वाले प्रभाकर चौधरी की गिनती, जनता की सुनवाई पर त्वरित कार्रवाई. अच्छा काम करने वाले पुलिसकर्मियों की हौसला अफजाई और पुलिस के साथ बदसुलूकी करने वालों को कानून की ताकत का एहसास कराने वाले अधिकारियों में गिने जाते रहे हैं.
FIR लिखाने फरियादी बन पहुंच थे थाने
एनएसजी कमांडो की ट्रेनिंग कर चुके प्रभाकर चौधरी अपनी फिटनेस का बेहद ख्याल रखते हैं. सपा सरकार ने प्रभाकर चौधरी को अक्टूबर 2016 में कानपुर देहात का एसपी बनाया तो वह स्टूडेंट की तरह एक पिट्ठू बैग लेकर ज्वाइन करने पहुंचे. एक फरियादी की तरह थाने में पहुंचकर साइकिल चोरी की एफआईआर लिखाने की कोशिश की और कोई पुलिसकर्मी पहचान तक नहीं पाया.
कानपुर देहात में ट्रेन हादसा हुआ तो प्रभाकर चौधरी खुद ही हाई मास्क लाइट लगाने, पोल खड़ा कराने लगे, एंबुलेंस के नही पहुंचने पर अपनी गाड़ी से कई घायलों को अस्पताल भेजा. रातभर राहत कार्य की खुद मॉनिटरिंग करते रहे. वाराणसी में कप्तान रहे तो प्रभाकर चौधरी काशी की तंग गलियों में साइकिल से निकलकर लोगों के बीच चाय पीते और लोगो का फीडबैक लेते. यही वजह है कि प्रभाकर चौधरी वाराणसी में महज 8 महीने के अंदर बेहद लोकप्रिय कप्तान हो गए थे.
प्रभाकर चौधरी का सेंट्रल डेपुटेशन में सीबीआई में जाना तय है. सीबीआई की तरफ से 4 बार रिलीव करने का रिमाइंडर दिया जा चुका है, लेकिन सरकार ने रिलीव नहीं किया. अब माना जा रहा है कि बरेली से हटाने के बाद प्रभाकर चौधरी को सरकार रिलीव कर देगी और वह जल्द सीबीआई ज्वाइन करेंगे.
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