दिवाली के दिन मिर्जापुर के गांवों के ये लोग क्यों मनाते हैं शोक?
सुरेश कुमार सिंह
• 04:38 PM • 17 Oct 2025
मिर्जापुर के राजगढ़ क्षेत्र के कई गांवों में दीपावली को शोक दिवस के रूप में मनाया जाता है. चौहान वंश के लोग इस दिन पृथ्वीराज चौहान की मुहम्मद गोरी द्वारा की गई हत्या के कारण दीया नहीं जलाते.
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मिर्जापुर के राजगढ़ क्षेत्र के कुछ गांवों में दीपावली को रोशनी का नहीं, बल्कि शोक का दिन माना जाता है. इनमें भांवा, अटारी सहित करीब आधा दर्जन गांव शामिल हैं.


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इन गांवों में रहने वाले चौहान वंश के क्षत्रिय परिवारों का मानना है कि दीपावली के दिन ही उनके पूर्वज राजा पृथ्वीराज चौहान की हत्या मुहम्मद गोरी ने की थी, इसलिए यह दिन उनके लिए दुखद है.
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परंपरा के अनुसार, चौहान वंश के लोग दीपावली पर घरों में कोई रोशनी नहीं करते, सिर्फ लक्ष्मी-गणेश की पूजा के लिए एक दीया जलाते हैं और फिर शोक मनाते हैं.


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दीपावली के दिन शोक मनाने के बाद ये परिवार एकादशी के दिन उत्सव मनाते हैं. उस दिन घरों में दीये जलाकर, मिठाइयां बांटकर और सजावट कर के दीपावली का पर्व मानते हैं.
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यह परंपरा सैकड़ों सालों से चली आ रही है और आज भी इन गांवों में चौहान वंश के लोग इसे श्रद्धा और सम्मान के साथ निभा रहे हैं.


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गांव के निवासी रामधनी सिंह चौहान का कहना है कि यह परंपरा उनके वंश के गौरव और इतिहास से जुड़ी हुई है इसलिए वे हर वर्ष इसे गंभीरता से निभाते हैं.
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