इस बार 10 दिनों की नवरात्रि के पीछे का गणित और पूजा का शुभ समय ज्योतिषी पंडित शैलेंद्र पांडेय से समझिए

यूपी तक

• 11:11 AM • 22 Sep 2025

शारदीय नवरात्रि का पावन पर्व शुरू हो गया है. यूं तो इसे 'नवरात्रि' यानी नौ रातों का त्योहार कहते हैं, लेकिन इस बार यह 10 दिनों का है.

follow google news
Navratri Special

1/10

|

शारदीय नवरात्रि का पावन पर्व शुरू हो गया है. यूं तो इसे 'नवरात्रि' यानी नौ रातों का त्योहार कहते हैं, लेकिन इस बार यह 10 दिनों का है. आज हम ज्योतिषी पंडित शैलेंद्र पांडेय से जानेंगे कि इस दस दिवसीय नवरात्रि के पीछे क्या रहस्य है, इसका क्या महत्व है और कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त क्या है.

Navratri Special

2/10

|

शास्त्रों के अनुसार, नवरात्रि में तिथियों के कम या ज्यादा होने से कुल दिनों की संख्या में बदलाव आता है. इस बार प्रतिपदा तिथि पूरे दिन बनी रहेगी, जिससे यह पर्व नौ दिन की बजाय दस दिन का हो गया है. यह एक विशेष संयोग है जो भक्तों को माता की उपासना के लिए एक अतिरिक्त दिन प्रदान करता है, जिससे उनकी साधना और भी फलदायी हो जाती है.
 

Navratri Special

3/10

|

पंडित शैलेंद्र पांडेय के मुताबिक इस बार नवरात्रि में तृतीया तिथि की वृद्धि हो रही है. यानी तृतीया तिथि दो दिनों तक रहेगी. इसीलिए इस बार नवरात्रि 10 दिनों की होगी. जिस देवी की पूजा तीसरे स्वरूप में की जाती है, उन्हीं की पूजा तृतिया तिथि पर दो दिनों तक की जाएगी. बाकी नवमी तिथि पर 9वें स्वरूप की और दशमी तिथि पर दशहरा मनाया जाएगा.
 

Navratri Special

4/10

|

अक्सर हम साल में दो ही नवरात्रि के बारे में जानते हैं - चैत्र और शारदीय. लेकिन, पंडित शैलेंद्र पांडेय के अनुसार, नवरात्रि साल में चार बार आती है. चैत्र नवरात्रि (लगभग अप्रैल में) और शारदीय नवरात्रि (सितंबर-अक्टूबर में) के अलावा, दो गुप्त नवरात्रि भी होती हैं: माघ में (जनवरी में) और आषाढ़ में (जुलाई के आसपास). हर नवरात्रि का अपना विशेष महत्व होता है.
 

Navratri Special

5/10

|

नवरात्रि सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक यात्रा है. नवरात्रि के आगमन से वातावरण के 'तमस' यानी नकारात्मकता का अंत होता है और 'सात्विकता' का आरंभ होता है. यह पर्व हमारे मन में नई उमंग, उल्लास और उत्साह का संचार करता है. यह समय हमें भीतर की शुद्धता और सकारात्मकता की ओर ले जाता है.
 

Navratri Special

6/10

|

ब्रह्मांड की सारी शक्ति नारी या स्त्री स्वरूप में ही समाहित है. इसीलिए नवरात्रि में देवी की उपासना की जाती है. यह पर्व शक्ति प्राप्त करने और जीवन में संतुलन बनाए रखने का संदेश देता है. मां दुर्गा के नौ रूप हमें जीवन के विभिन्न पहलुओं में शक्ति और साहस की प्रेरणा देते हैं.
 

Navratri Special

7/10

|

नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना का विशेष महत्व होता है. यह देवी के स्वागत का प्रतीक है और हमारी साधना को सफल बनाने का पहला कदम है. कलश स्थापना के साथ ही नौ दिनों की अखंड साधना का संकल्प लिया जाता है.
 

Navratri Special

8/10

|

पंडित शैलेंद्र पांडेय के अनुसार, इस बार प्रतिपदा तिथि 22 सितंबर को पूरे दिन रहेगी, इसलिए कलश स्थापना दिन में कभी भी की जा सकती है. हालांकि, सबसे शुभ समय प्रातः काल 6 बजकर 9 मिनट से प्रातः 8 बजकर 5 मिनट तक का था.
 

Navratri Special

9/10

|

यदि आप सुबह के मुहूर्त में कलश स्थापित नहीं कर पाए, तो भी चिंता की कोई बात नहीं. कलश स्थापना का सबसे अच्छा मुहूर्त जिसे 'अभिजीत मुहूर्त' कहा जाता है, वह दोपहर 11 बजकर 48 मिनट से 12 बजकर 37 मिनट के बीच रहेगा. आप इस समय भी कलश स्थापित कर सकते हैं.
 

Navratri Special

10/10

|

कलश स्थापना के साथ ही, उसके बगल में एक घी का दीपक भी जलाया जाता है, जिसे 'अखंड ज्योति' कहते हैं. यह दीपक पूरे नौ दिनों तक लगातार जलता रहना चाहिए. दशमी तिथि को ही इस दीपक को शांत होने दिया जाता है और तभी कलश को हटाया जाता है.

रिलेटेड फोटो गैलरी
follow whatsapp