ये पीते ही खत्म हो जाती है कामवासना! नागा साधु ने सारे रहस्य खोल दिए

कुमार अभिषेक

09 Jan 2025 (अपडेटेड: 09 Jan 2025, 07:42 PM)

नागा साधु ने एक ऐसे खास पेय का जिक्र किया जिसे पीते ही कामवासना खत्म हो जाती है. जानिए नागा साधुओं के गुप्त रहस्य.

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प्रयागराज महाकुंभ में नागा साधुओं की तपस्या और रहस्यमय जीवनशैली ने हमेशा से लोगों का ध्यान खींचा है. मध्य प्रदेश के ओंकारेश्वर से आए दिगंबर विजयपुरी बाबा ने UP Tak को नागा साधु बनने की गुप्त प्रक्रिया के बारे में बताया. यह यात्रा मोक्ष और आत्म-त्याग की ओर ले जाती है.
 

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दिगंबर विजयपुरी बाबा के अनुसार, नागा साधु बनने की दीक्षा रात्रि 2 बजे से शुरू होती है. यह प्रक्रिया 48 घंटे तक चलती है और इसे अत्यंत गोपनीय रखा जाता है. यह समय ब्रह्ममुहूर्त माना जाता है, जब साधक का मन शांत होता है.
 

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बाबा ने बताया कि दीक्षा के दौरान साधुओं को विशेष आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां दी जाती हैं. ये जड़ी-बूटियां न केवल कामवासना को खत्म करती हैं, बल्कि साधुओं को मन पर पूर्ण नियंत्रण पाने में मदद करती हैं.
 

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बाबा ने कहा, "मन हमेशा इच्छाएं करता है, लेकिन साधु बनने के लिए मन की सभी इच्छाओं का त्याग करना जरूरी है. जैसे मिठाई देखकर उसे खाने की इच्छा को दबाना, वैसे ही कामवासना पर भी काबू पाया जाता है."
 

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बाबा ने अपने शरीर पर धारण किए सवा लाख रुद्राक्ष के बारे में बताया कि ये आध्यात्मिक शक्ति और शांति का स्रोत हैं. इनका कुल वजन 35 किलो है, लेकिन महादेव की कृपा से इसे धारण करने में कोई कठिनाई नहीं होती.
 

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बाबा ने भभूत के महत्व को बताया. यह उनके लिए पवित्र आवरण है, जो उन्हें सांसारिक सुखों और वासनाओं से दूर रखता है. नागा साधु कपड़े नहीं पहनते, यह उनका त्याग और तपस्या का प्रतीक है.
 

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बाबा ने कहा कि नागा साधु बनने का मुख्य उद्देश्य मोक्ष प्राप्त करना है. बार-बार जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति पाना ही उनकी तपस्या का लक्ष्य है.
 

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बाबा ने बताया कि नागा साधु बनने के लिए 12 से 13 साल तक कठिन तपस्या करनी पड़ती है. इस दौरान साधु सांसारिक सुखों का त्याग कर आत्म-नियंत्रण और आध्यात्मिकता की ओर अग्रसर होते हैं.
 

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महाकुंभ में नागा साधुओं की तपस्या और जीवनशैली श्रद्धालुओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है. उनकी साधना और त्याग लोगों को आध्यात्मिक जीवन की ओर आकर्षित करते हैं.
 

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अंत में दिगंबर विजयपुरी बाबा ने लोगों से अपील की कि वे महाकुंभ में आएं और अपने जीवन को पवित्र करें. नागा साधुओं के दर्शन और उनके जीवन से प्रेरणा लें, जिससे मोक्ष की ओर अग्रसर हो सकें.

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