घर में नोट ही नोट, सवारी पुरानी कार की, कारोबारी पीयूष जैन के बारे में क्या-क्या पता चला?
कारोबारी पीयूष जैन के घर समेत उनसे जुड़ी अन्य जगहों पर हुई छापेमारी ने उत्तर प्रदेश में चर्चाओं का बाजार गर्म कर दिया है. इस…
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कारोबारी पीयूष जैन के घर समेत उनसे जुड़ी अन्य जगहों पर हुई छापेमारी ने उत्तर प्रदेश में चर्चाओं का बाजार गर्म कर दिया है. इस बीच सोमवार को जैन को कोर्ट में पेश किया गया. यहां से जैन को 14 दिन की ज्यूडिशियल कस्टडी में भेजा गया है.
यह मामला राजनीतिक रूप से भी काफी उछला है. कारोबारी पीयूष जैन का मामला बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बीच ‘फुटबॉल’ बना हुआ है. दोनों पार्टियां एक-दूसरे को पीयूष जैन से जोड़कर पॉलिटिकल माइलेज लेने में जुटी हुई हैं. ऐसे में हर कोई पीयूष जैन से जुड़ी कहानी जानना चाहता है. आइए जानते हैं कि अब तक पीयूष जैन के बारे में क्या-क्या जानकारियां सामने आई हैं.
कानपुर और कन्नौज की छापेमारी में क्या-क्या मिला
भाषा-पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, गुरुवार को पीयूष जैन के कानपुर और कन्नौज स्थित ठिकानों पर मारे गए छापों के दौरान 280 करोड़ रुपये से ज्यादा की नकदी बरामद की गई.
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इस बीच सोमवार को सूचना मिली कि कन्नौज में जीएसटी इंटेलिजेंस की छापेमारी में 17 करोड़ रुपये कैश, 23 किलो सोना और भारी मात्रा में इत्र बनाने में उपयोग में लाया जाने वाला रॉ मेटेरियल, जिसमें 6 करोड़ रुपये की कीमत का चंदन का तेल शामिल है, बरामद हुआ. सोने पर विदेशी मार्किंग है.
जीएसटी की प्रेस रिलीज के मुताबिक, पीयूष जैन ने पूछताछ में माना है कि उनके घर से बरामद नकदी उनकी है, जो उन्होंने बिना जीएसटी चुकाए इकट्ठा की है.
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जिस दुकानकार से पीयूष के घर जाता था सामान, उन्होंने बताई नई कहानी
कन्नौज के मोहल्ला छीपट्टी में रहने वाले लोगों के मुताबिक, पीयूष जैन जमीनी इंसान हैं और उनका किसी भी राजनीतिक दल से कभी कोई रिश्ता नहीं रहा है.
पीयूष जैन जिस दुकान से घर का सामान लेते थे, उसके दुकानदार विकास ने यूपी तक से खास बातचीत में बताया, ”पीयूष का कभी किसी राजनीति दल से रिश्ता नहीं रहा, यह बात झूठ फैलाई जा रही है कि वह इत्र कारोबारी थे और उनका किसी राजनीतिक दल से संबंध है. हमारे यहां वह सामान लेने आते थे पर कभी राजनीति चर्चा भी नही करते थे.”
मोहल्ले में रहने वाले एसपी जैन ने बताया, ”बहुत आम जिंदगी थी. स्कूटर था उनके पास, उसी से ज्यादा चलते थे. कभी नहीं सोचा था हमारे मोहल्ले में इतना पैसा निकलेगा. मंदिर में मुलाकात होती थी, महावीर भगवान के भक्त थे. वो यहां भी रहते थे और कानपुर में भी. हमने कभी उनके राजनीतिक दल से संबंध के बारे में नहीं सुना और न ही वह कभी राजनीति का जिक्र करते थे.”
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पुरानी गाड़ी में चलते हैं पीयूष जैन
कारोबारी पीयूष जैन को लेकर कई जानकारियां सामने आई हैं. पीयूष जैन के पास से भले ही अकूत धन मिला हो, लेकिन उनकी लाइफस्टाइल में इसकी झलक नहीं दिखती. इसकी तस्दीक उनके पड़ोसियों ने भी की है. पीयूष जैन के पास दो पुरानी गाड़ियां हैं. एक 15 साल पुरानी टोयटा कार है और दूसरी गाड़ी भी 7 साल पुरानी है.
समाजवादी पार्टी या बीजेपी से कनेक्शन की बात में कितना दम?
बीजेपी और समाजवादी पार्टी भले ही पीयूष जैन को एक-दूसरे से जोड़ रही हों, लेकिन उन्हें जानने वालों की मानें तो उनका कोई राजनीतिक झुकाव नहीं दिखता था. पीयूष जैन को समाजवादी पार्टी इत्र लॉन्च करने वाले एसपी के एमएलसी पुष्पराज उर्फ पम्पी जैन से भी जोड़ा गया था. इस संबंध में पम्पी जैन ने पीयूष जैन के किसी प्रकार के संबंध होने की बात को नकार दिया है.
उन्होंने कहा, ‘क्योंकि हम लोग एक ही मोहल्ले में रहते हैं, जैन हैं और कारोबारी हैं, तो बस इतना ही संबंध है.’ वहीं समाजवादी इत्र के बारे में जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने स्पष्ट कहा कि उसे उन्होंने लॉन्च किया था, इसका कोई संबंध पीयूष जैन से नहीं है.
यूपी तक ने इस संबंध में पीयूष जैन के मोहल्ले के लोगों से भी बात की. एमएलसी पम्पी जैन से पीयूष के कथित संबंध के दावे को लेकर स्थानीय लोगों ने बताया कि इन दोनों का आपस में सिर्फ इतना ही संबंध है कि दोनों एक ही मोहल्ले में रहते हैं, दोनों जैन हैं.
पीयूष जैन आखिर क्या करते हैं, जो इतना खजाना जुटा लिया?
पीयूष जैन से जुड़े मामले में लोगों की यह जानने में दिलचस्पी है कि आखिर वह ऐसा क्या करते हैं, जो उनके घर से ‘कुबेर का खजाना’ मिला है. कुछ रिपोर्ट्स में पीयूष जैन को इत्र का कोराबारी बताया जा रहा है. उधर, ‘इत्र एंड परफ्यूम एसोसिएशन’ नामक एक संगठन ने पीयूष जैन के मामले में सीएम योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा है. एसोसिएशन की तरफ से कहा गया है कि पीयूष जैन का कोई इत्र कारोबार नहीं है.
पीयूष जैन के बारे में स्थानीय लोगों से बातचीत में एक जानकारी यह भी मिली कि इनके पिता महेश चंद्र जैन केमिस्ट की अच्छी जानकारी रखते हैं, इनका व्यापार भी केमिस्ट की कम्पाउंडिंग से जुड़ा हुआ है, ये गुटखा-तंबाकू और अन्य कंपनियों को उसका कम्पाउंड देते हैं.
(संतोष शर्मा, समर्थ श्रीवास्तव, मुनीश पांडेय, रंजय सिंह, नीरज श्रीवास्तव और भाषा के इनपुट्स के साथ)
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