बिस्मिल्लाह खां पुण्यतिथि विशेष: इस ख्वाहिश के साथ आज के दिन खामोश हुई थी उस्ताद की शहनाई
शहनाई के जादूगर और उस्तादों के उस्ताद बिस्मिल्लाह खां की आज यानी 21 अगस्त को पुण्यतिथि है. उस्ताद बिस्मिल्लाह खां की बात करें कि वह…
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शहनाई के जादूगर और उस्तादों के उस्ताद बिस्मिल्लाह खां की आज यानी 21 अगस्त को पुण्यतिथि है.
उस्ताद बिस्मिल्लाह खां की बात करें कि वह अपने फन के इस कदर माहिर थे कि उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया था.
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बिस्मिल्लाह खां का जन्म 21 मार्च, 1916 को बिहार के डुमरांव में एक मुस्लिम परिवार में हुआ था. खां साहब के बचपन का नाम कमरुद्दीन था.
वे अपने माता-पिता की दूसरी संतान थे. उनकी शहनाई की धुन का दीवाना आज भी हर कोई है.
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महज 6 साल की उम्र में बिस्मिल्लाह खां अपने पिता के साथ बनारस आ गए थे. वहां उन्होंने अपने रिश्तेदार अलीबक्श ‘विलायती’ से शहनाई बजाना सीखा.
उस्ताद सरस्वती मां की पूजा किया करते थे, ताकि वे ‘सात स्वरों को अपनीनमाज’ के रूप में अपना सकें.
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बता दें कि 15 अगस्त, 1947 को देश की आजादी के मौके पर लालकिले पर फहराते तिरंगे के साथ बिस्मिल्लाह खां की शहनाई वादन ने आजादी का स्वागत किया था.
संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, पद्म श्री, पद्म भूषण, पद्म विभूषण से सम्मानित उस्ताद बिस्मिल्लाह खां को साल 2001 में भारत के सर्वोच्च सम्मान ‘भारतरत्न’ से नवाजा गया था.
दिल्ली के इंडिया गेट पर शहनाई बजाना बिस्मिल्लाह खां की आखिरी ख्वाहिश थी. इसका एक खास मकसद था, वो शहीदों को अपनी शहनाई के जरिए श्रद्धांजलि देना चाहते थे.
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