BJP के लिए प्रशांत किशोर ने की ‘भविष्यवाणी’, जानें यूपी चुनाव के संदर्भ में इसके मायने
मशहूर चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर एक बार फिर चर्चा में हैं. पिछले दिनों प्रशांत किशोर को लेकर जोर-शोर से चर्चाएं चलीं कि वह कांग्रेस में…
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मशहूर चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर एक बार फिर चर्चा में हैं. पिछले दिनों प्रशांत किशोर को लेकर जोर-शोर से चर्चाएं चलीं कि वह कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं. हालांकि इसको लेकर कोई आधिकारिक जानकारी कांग्रेस या प्रशांत किशोर, किसी खेमे से बाहर नहीं आई. अब प्रशांत किशोर ने भारत के चुनावी परिदृश्य को लेकर ऐसी ‘भविष्यवाणी’ की है, जो काफी सुर्खियां बटोर रही हैं.
प्रशांत किशोर ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को संबोधित करते हुए BJP के संदर्भ में अपने चुनावी आकलन को सामने रखा है, जिसे यूपी चुनाव के लिहाज से भी एक खास मैसेजिंग के रूप में देखा जा रहा है.
आइये पहले ये जानते हैं कि प्रशांत किशोर ने ऐसा क्या कहा, जिसे लेकर चर्चा हो रही है. प्रशांत किशोर ने कहा है, “भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) भारतीय राजनीति के केन्द्र में रहेगी और अगले कई दशकों तक यह कहीं जाने वाली नहीं है.’’
आपको बता दें कि प्रशांत किशोर फिलहाल गोवा में होने वाले विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की जीत की रणनीति तैयार कर रहे हैं. उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की इस सोच के लिए उन पर तंज किया कि लोग BJP को तत्काल उखाड़ फेकेंगे.
एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें किशोर गोवा में एक निजी बैठक को संबोधित करते नजर आ रहे हैं. ‘इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमेटी’ (आई-पीएसी) के एक वरिष्ठ नेता ने इस बात की पुष्टि की कि यह वीडियो बुधवार को हुई एक निजी बैठक का है. किशोर आई-पीएसी के प्रमुख हैं.
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इस वीडियो में किशोर यह कहते नजर आ रहे हैं, “भारतीय जनता पार्टी चाहे जीते या हारे, वह राजनीति के केन्द्र में रहेगी, जैसा कि पहले 40 वर्षों में कांग्रेस के लिए था, BJP कहीं नहीं जा रही है.”
उन्होंने कहा, ‘‘भारत के स्तर पर एक बार आप 30 प्रतिशत से अधिक वोट हासिल कर लें, तो फिर आप जल्दी कहीं नहीं जाने वाले. इसलिए, इस जाल में कभी मत फंसना कि लोग मोदी (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी) से नाराज हैं और वे उन्हें उखाड़ फेकेंगे.’’
किशोर ने कहा, ‘‘हो सकता है कि वे मोदी को हटा दें, लेकिन BJP कहीं नहीं जा रही. वे यहीं रहेंगे, आपको अगले कई दशकों तक इसके लिए लड़ना होगा. यह जल्दी नहीं होगा.’’
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चुनाव रणनीतिकार ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी का जिक्र करते हुए कहा,‘‘ राहुल गांधी के साथ समस्या यही है. शायद वह सोचते हैं कि यह कुछ ही दिन की बात हैं कि लोग उन्हें (मोदी को) नकार देंगे. ऐसा नहीं होने जा रहा है.’’
गौरतलब है कि किशोर ने इस वर्ष पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में हुए विधानसभा चुनावों में तृणमूल कांग्रेस और DMK के लिए जीत की रणनीति तैयार की थी और दोनों ही दलों ने अपने-अपने राज्यों में जीत दर्ज की थी.
यूपी चुनाव के संदर्भ में इसके मायने समझिए
हालांकि प्रशांत किशोर ने यह बात गोवा की एक निजी बैठक में कही है, लेकिन इसे देश की राजनीति की दशा और दिशा तय करने वाले यूपी चुनाव से भी जोड़कर देखा जा रहा है. यूपी में कुछ महीनों के अंदर ही विधानसभा चुनाव होने हैं और यहां प्रियंका गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने भी अपनी ताकत झोंक रखी है.
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2017 के यूपी चुनाव में प्रशांत किशोर कांग्रेस के लिए काम कर चुके हैं. हालांकि उस चुनाव में कांग्रेस ने यूपी का अबतक का सबसे दयनीय प्रदर्शन किया था. प्रशांत के नेतृत्व में कांग्रेस ने पहले ’27 साल यूपी बेहाल’ का नारा उछाला. बाद में अखिलेश के साथ गठबंधन कर ‘यूपी को ये साथ पसंद है’ का नारा लगाया गया. पर काम कुछ नहीं आया.
इस बार कांग्रेस ने ऐलान कर दिया है कि वह यूपी चुनाव अकेले दम पर लड़ेगी. चुनावी विश्लेषकों के एक स्कूल का मानना है कि कांग्रेस का यह कदम BJP से ज्यादा अखिलेश यादव को नुकसान पहुंचाएगा. तीन तरफा चुनाव की स्थिति में सत्ता विरोधी मतों खासकर मुस्लिम वोटों में बिखराव की बात कही जा रही है.
आपको बता दें कि प्रशांत किशोर की पिछले दिनों NCP प्रमुख शरद पवार समेत कांग्रेस आलाकमान से मुलाकात की भी चर्चाएं रहीं. ऐसा कहा गया कि प्रशांत किशोर BJP के खिलाफ देशव्यापी स्तर पर विपक्षी एकता की कोशिश कर रहे हैं. हालांकि इसके कोई खास परिणाम अबतक सामने नहीं आये हैं.
ऐसे में BJP को लेकर प्रशांत किशोर का ताजा बयान एकला चलो की नीति पर आगे बढ़ रही कांग्रेस को एक संदेश के रूप में भी देखा जा रहा है. ऐसा इसलिए भी है क्योंकि गुरुवार को तृणमूल कांग्रेस ने भी अपने मुखपत्र ‘जागो बांग्ला’ में कांग्रेस पर निशाना साधा है. मुखपत्र के संपादकीय में TMC ने कहा है कि, ‘हम चाहते हैं कि BJP के विरुद्ध एक गठबंधन बने. हमने यह बात कांग्रेस से भी कही है. लेकिन उसे इसकी परवाह नहीं और उसका बड़ा ढीला-ढाला रवैया नजर आता है.’
इसमें आगे कहा गया है, ‘कांग्रेस ट्विटर की दुनिया तक सिमट गई है. पार्टी ने विपक्षी गठबंधन बनने के लिए कोई पहल नहीं की. 2014 और 2019 में भी कांग्रेस ने ऐसा ही किया था.’ अब ऐसे में इसे महज इत्तेफाक नहीं समझा जा सकता कि आखिर अचानक प्रशांत किशोर और तृणमूल दोनों की तरफ से कांग्रेस को लेकर नसीहत आ गई है.
पिछले दिनों TMC ने पूर्वांचल के कद्दावर सियासी घराने कमलापति त्रिपाठी के नाम को भी कांग्रेस से छीन अपने साथ जोड़ने में कामयाबी हासिल की थी. इस परिवार से राजेशपति त्रिपाठी और उनके बेटे कांग्रेस के पूर्व विधायक ललितेशपति त्रिपाठी TMC में शामिल हो चुके हैं.
ऐसे में TMC न सिर्फ गोवा चुनाव बल्कि यूपी चुनाव में भी खुद को आजमाती नजर आ रही है. ममता बनर्जी और अखिलेश यादव की निजी बॉन्डिंग भी अच्छी है. अखिलेश ने न सिर्फ बंगाल चुनावों में खुलकर ममता का समर्थन किया था बल्कि अपनी चुनावी रैलियों में बंगाल के नतीजों को मॉडल के रूप में भी पेश कर रहे हैं.
ऐसे में प्रशांत किशोर का ताजा बयान और कांग्रेस के इर्द गिर्द TMC की सियासी घेरेबंदी इस ओर भी इशारा कर रही है कि ग्रैंड ओल्ड पार्टी एकला चलो की नीति से हटकर विपक्षी एकता के किसी खास मॉडल पर काम करे. वह मॉडल जो शायद प्रशांत किशोर का ब्रेन चाइल्ड है पर अभी जिसे सार्वजनिक नहीं किया गया है.
(न्यूज एजेंसी भाषा के इनपुट्स के साथ)
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