यूपी से दिल्ली तक ‘योगी-योगी’! CM ने पेश किया BJP का राजनीतिक प्रस्ताव, क्या हैं मायने?

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जनवरी 2019 में आम चुनावों से कुछ महीने पहले दिल्ली में बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई थी. इस बैठक में केंद्रीय मंत्री और बीजेपी की टॉप लीडरशिप में शुमार किए जाने वाले नितिन गडकरी ने पार्टी का राजनीतिक प्रस्ताव पेश किया था. तब यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने इसका अनुमोदन किया था. लेकिन रविवार यानी 7 नवंबर 2021 तक समय अपना एक चक्र पूरा कर चुका था और सीएम योगी आदित्यनाथ की भूमिका बदल चुकी थी. दिल्ली में इस बार बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में राजनीतिक प्रस्ताव सीएम योगी आदित्यनाथ ने पेश किया. क्या यह बीजेपी में योगी आदित्यनाथ का बढ़ता जलवा है? क्या योगी आदित्यनाथ भी बीजेपी के उस एलीट लीडर्स क्लब में पहुंच गए हैं, जहां से सबकुछ तय होता है? या यह चुनाव पूर्व यूपी में बीजेपी के संगठन को फिर से एक संदेश देने की कोशिश है कि योगी नाम पर सब एकजुट हों?

रविवार को दिल्ली में बीजेपी ने अगले साल होने वाले पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में जीत का संकल्प लेते हुए राजनीतिक प्रस्ताव पेश किया. इसे सीएम योगी आदित्यनाथ ने पेश किया. मणिपुर के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह, गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत व उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी, अश्विनी वैष्णव,और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने इस प्रस्ताव पर इंटरवीन किया. हालांकि इससे पहले बीजेपी के कई मुख्यमंत्री राजनीतिक प्रस्ताव पेश कर चुके हैं लेकिन इस बार का मामला इसलिए खास रहा क्योंकि सीएम योगी आदित्यनाथ एकमात्र बीजेपी मुख्यमंत्री के रूप में दिल्ली में मौजूद थे और बाकी CM कार्यक्रम में ऑनलाइन जुड़े थे.

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कुछ महीने में यूपी में विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में सीएम योगी आदित्यनाथ का राजनीतिक प्रस्ताव पेश करना पार्टी में उनके बढ़ते कद की ओर इशारा कर रहा है. राजनीतिक प्रस्ताव की जानकारी मीडिया को दे रहीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की टिप्पणी इसपर मुहर भी लगाती है. सीएम योगी द्वारा राजनीतिक प्रस्ताव पेश करने से जुड़े सवाल पर वित्तमंत्री ने स्पष्ट जवाब देते हुए कहा कि कोरोना संकट के दौरान यूपी के सीएम ने माइग्रेंट वर्कर्स, ग्रामीण रोजगार के लिए अद्भुत काम किया है. निर्मला सीतारमण ने आगे कहा कि वह देश के सबसे बड़े राज्य में बेहतर तरीके से सरकार चला रहे हैं और लंबे समय तक सांसद रहे हैं. वित्त मंत्री ने पलट कर पूछा कि ऐसे में हमें उन्हें राजनीतिक प्रस्ताव पेश करने के लिए क्यों नहीं बुलाना चाहिए?

बीजेपी की अगली पंक्ति में शामिल हुए सीएम योगी!

सीएम योगी आदित्यनाथ द्वारा राजनीतिक प्रस्ताव पेश करने का एक सीधा मतलब निकाला जा रहा है. उनसे पहले केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू जैसे नेता राजनीतिक प्रस्ताव पेश कर चुके हैं. ये सभी नेता बीजेपी की प्रथम पंक्ति में शुमार होते हैं. अब इस कड़ी में सीएम योगी का नाम जुड़ा है, तो इसके सीधे मायने यही समझे जा रहे हैं कि यह आधिकारिक तौर पर बीजेपी की पहली पंक्ति में उनकी एंट्री है.

चुनाव पूर्व यूपी में संगठन को संदेश?

इसकी एक दूसरी व्याख्या भी की जा रही है. पिछले दिनों गृहमंत्री अमित शाह यूपी के दौरे पर थे. उन्होंने बीजेपी के नए सदस्यता अभियान को हरी झंडी दिखाते हुए जब जनसमूह को संबोधित किया तो एक बात काफी स्पष्ट तरीके से कही. अमित शाह ने कहा कि अगर 2024 में पीएम मोदी को जिताना है तो 2022 में यूपी में सीएम योगी को जिताना होगा. इसे एक तरीके से यूपी में बीजेपी के संगठन को संदेश के रूप में देखा गया कि सीएम योगी के चेहरे पर एकजुट होकर चुनाव लड़ना है.

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रविवार को जब दिल्ली में सीएम योगी ने बीजेपी का राजनीतिक प्रस्ताव पेश किया तो इसे भी यूपी के लिए संदेश के तौर पर परिभाषित किया जा रहा है. बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व नहीं चाहता है कि यूपी में संगठन के भीतर लीडरशिप को लेकर किसी भी तरह की शंका पैदा हो.

हालांकि इसके जो भी मायने निकाले जाएं, एक बात तो साफ है कि यूपी से लेकर दिल्ली तक बीजेपी में सीएम योगी का कद बढ़ता नजर आ रहा है. बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में सीएम योगी की मौजूदगी और फिर उनके द्वारा पेश किया गया राजनीतिक प्रस्ताव बीजेपी में किसी नए युग के सूत्रपात की आहट है या नहीं, .ये तो वक्त बताएगा. लेकिन बीजेपी ने इसके जरिए चुनाव के लिए तैयार हो रहे उत्तर प्रदेश को एक बड़ा संदेश देने की कोशिश जरूर की है.

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