यदुकुल पुनर्जागरण मिशन: क्या अखिलेश के कोर वोट को ही तोड़ देंगे शिवपाल? जानिए उनकी रणनीति
UP Poltical News: समाजवादी पार्टी (सपा) नेतृत्व द्वारा ‘स्वतंत्र’ किए गए प्रगतिशील समाजवादी पार्टी-लोहिया (प्रसपा) के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव (Shivpal Singh Yadav) ने गुरुवार…
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UP Poltical News: समाजवादी पार्टी (सपा) नेतृत्व द्वारा ‘स्वतंत्र’ किए गए प्रगतिशील समाजवादी पार्टी-लोहिया (प्रसपा) के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव (Shivpal Singh Yadav) ने गुरुवार को यादव तथा अन्य पिछड़ी जातियों को एकजुट करने के मकसद से ‘यदुकुल पुनर्जागरण मिशन’ शुरू करने का ऐलान किया. शिवपाल को इस मिशन का संरक्षक और बाहुबली पूर्व सांसद डीपी यादव को इसका अध्यक्ष बनाया गया है.
सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा है कि ‘यदुकुल पुनर्जागरण मिशन’ के तहत शिवपाल अपने भतीजे अखिलेश यादव और सपा प्रमुख (Akhilesh Yadav News) के कोर वोट बैंक (यादव) को चुनौती दे सकते हैं. ऐसा भी कहा जा रहा है इस मिशन के तहत शिवपाल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए यादव वोट बैंक के साथ अन्य ओबीसी जातियों को भी एकत्रित करने की जुगत में हैं.
हालांकि, शिवपाल ने इस मिशन की घोषणा के सिलसिले में आयोजित संवाददाता सम्मेलन के दौरान एक सवाल पर कहा कि यह संगठन किसी राजनीतिक दल के समर्थन या विरोध में नहीं है और ना ही इसके जरिए किसी को निशाना बनाया जाएगा. उनसे पूछा गया था कि क्या यह मिशन सपा के मुकाबले में शुरू किया गया है?
शिवपाल ने कहा कि इस मिशन के तहत यादव, कुर्मी और लोध समेत पिछड़े वर्गों की सभी जातियों के हितों के लिए संघर्ष किया जाएगा. यह संगठन उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि बिहार, झारखंड, राजस्थान और तमिलनाडु समेत देश के विभिन्न राज्यों में चलाया जाएगा.
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शिवपाल ने कहा कि इस समय किसानों, छात्रों, नौजवानों और अन्य दबे कुचले वर्गों के सामने बहुत समस्याएं हैं. यदुकुल पुनर्जागरण मिशन के तहत इन सभी वर्गों को जागरूक और एकजुट किया जाएगा.
मिशन के अध्यक्ष बाहुबली पूर्व सांसद डीपी यादव ने इस अवसर पर कहा कि इस मिशन का मकसद तोड़ना नहीं बल्कि जोड़ना है. उन्होंने कहा कि यदुकुल के इतिहास में बहुत सी जातियां हैं। यह मिशन उन सभी के लिए संघर्ष करेगा.
उन्होंने कहा कि इस मिशन के तहत जातीय जनगणना कराने, अहिर रेजिमेंट का गठन, सभी युवकों को सरकारी नौकरी या न्यूनतम आठ हजार रुपये प्रतिमाह की सहायता और किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य गारंटी देने का कानून बनाने समेत 10 मांगों पर संघर्ष किया जाएगा.
गौरतलब है कि प्रगतिशील समाजवादी पार्टी-लोहिया का अध्यक्ष होने के बावजूद शिवपाल यादव ने इस साल के शुरू में हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में जसवंतनगर सीट से सपा के टिकट पर चुनाव जीता था. हालांकि, चुनाव में पार्टी को वांछित सफलता नहीं मिल पाने को लेकर हुई सपा विधायकों की बैठक में नहीं बुलाए जाने से शिवपाल सपा नेतृत्व से नाराज हो गए थे और उन्होंने पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव की नीतियों पर सवाल उठाए थे.
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साथ ही, उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष के बजाय भारतीय जनता पार्टी नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू का समर्थन किया था. उसके बाद सपा नेतृत्व में उन्हें यह कहते हुए आजाद कर दिया था कि उन्हें जहां ज्यादा सम्मान मिले वहां जाने के लिए वह ‘स्वतंत्र’ हैं.
(भाषा के इनपुट्स के साथ)
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