UP चुनाव: अगले तीन चरण में कई बाहुबलियों की साख दांव पर, जानिए कौन कहां से मैदान में
पांचवें चरण के साथ मौजूदा विधानसभा चुनाव उत्तर प्रदेश का उस हिस्से में प्रवेश करेगा, जहां पर बाहुबलियों का बोलबाला रहा है. ऐसे बाहुबली जो…
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पांचवें चरण के साथ मौजूदा विधानसभा चुनाव उत्तर प्रदेश का उस हिस्से में प्रवेश करेगा, जहां पर बाहुबलियों का बोलबाला रहा है. ऐसे बाहुबली जो जेल में रहे या बाहर, सत्ता में रहे या विपक्ष में, उनका दबदबा कभी कम नहीं हुआ. पूर्वांचल के इन्हीं बाहुबलियों के इर्द-गिर्द यूपी की सियासत भी घूमती रही है. दशकों से राजनीतिक दलों के इतर अपनी अलग राजनीति चलाने वाले बाहुबलियों का इस बार क्या है हाल? किसको कहां से मिल रही है चुनौती? और कौन है कहां से मैदान में, पढ़िए इस रिपोर्ट को.
पांचवें चरण के चुनाव के साथ ही उत्तर प्रदेश के सियासी रण में अब प्रदेश के बाहुबलियों की भी परीक्षा शुरू होने जा रही है. अगले तीन चरण में, जहां सियासत के धुरंधरों के भविष्य का फैसला ईवीएम में कैद होगा, तो वहीं बाहुबलियों के लिए भी सियासत बचाने की चुनौती होगी.
यूपी की सियासत में बाहुबलियों की बात की जा रही है, तो शुरुआत गोरखपुर वाले बाहुबली पंडित हरिशंकर तिवारी से करेंगे. इस चुनाव में बाबा हरिशंकर तिवारी तो मैदान में नहीं हैं, लेकिन उनकी परंपरागत चिल्लूपार सीट से बेटे विनय शंकर तिवारी समाजवादी पार्टी (एसपी) के टिकट पर मैदान में हैं. इस सीट पर पिछले 37 साल से ब्राह्मण कैंडिडेट ही विधायक बनता रहा है. इस बार बीजेपी ने राजेश त्रिपाठी को टिकट दिया है, तो वहीं बीएसपी ने राजेंद्र सिंह उर्फ पहलवान सिंह को मैदान में उतारा है.
इस बार का चुनाव हरिशंकर तिवारी से ज्यादा बेटे विनय शंकर तिवारी की राजनीतिक पहुंच का है. ब्राह्मणों की ‘नाराजगी’ को देखते हुए विनय शंकर तिवारी समाजवादी पार्टी के सबसे बड़े ब्राह्मण चेहरा माने जा रहे हैं. पूर्वांचल में ‘ब्राह्मणों को समाजवादी बनाने’ के लिए विनय शंकर तिवारी को जिम्मेदारी दी गई है.
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हरिशंकर तिवारी के बाद पूर्वांचल के जिस बाहुबली का दबदबा सियासत में रहा है, वह हैं मुख्तार अंसारी. मुख्तार अंसारी बीते 15 सालों से जेल में बंद हैं, लेकिन जेल में रहकर भी मुख्तार अंसारी मऊ सदर सीट से चुनाव जीतते रहे हैं. इस बार अंसारी परिवार की दूसरी पीढ़ी मैदान में है. मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी मऊ से चुनाव लड़ रहे हैं. अब्बास अंसारी एसपी गठबंधन में शामिल सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) के टिकट पर मैदान में हैं. वहीं, मोहम्मदाबाद सीट पर भी मुख्तार अंसारी के भतीजे मन्नू अंसारी एसपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं.
मुख्तार अंसारी के खास गुर्गे अभय सिंह की सियासी परीक्षा भी पांचवें चरण में होनी है. अभय सिंह अयोध्या के गोसाईगंज सीट से एसपी के टिकट पर मैदान में हैं. इस सीट पर अभय सिंह के सामने बीजेपी के पूर्व विधायक इंद्र प्रताप तिवारी उर्फ खब्बू तिवारी की पत्नी आरती तिवारी मैदान में हैं. अभय सिंह का सीधा मुकाबला भले ही आरती तिवारी से हो, लेकिन साख जेल में बंद खब्बू तिवारी की दांव पर है.
आपको बता दें कि बीते सप्ताह प्रचार के दौरान दोनों ही पक्षों में टकराव हुआ. फायरिंग हुई, पथराव हुआ जिसमें अभय सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया. हालांकि, कोर्ट ने निजी मुचलके के बाद अभय सिंह को रिहा कर दिया, लेकिन अभय सिंह और खब्बू तिवारी के खेमे के बीच यह चुनाव अस्तित्व को बचाने का चुनाव है.
पूर्वांचल में बाहुबलियों में एक नाम और भी है. वह हैं रमाकांत यादव. हाल ही में आजमगढ़ में हुए शराब कांड में भी रमाकांत यादव का नाम सुर्खियों में आया. जिस सरकारी ठेके से शराब पीकर लोगों की जान गई, वह सरकारी ठेका रंगेश यादव का था और रंगेश यादव रमाकांत यादव का करीबी रिश्तेदार है. रमाकांत यादव फूलपुर पवई सीट से एसपी के टिकट पर मैदान में हैं. बीजेपी ने इस सीट पर रामसूरत को मैदान में उतारा है, तो वहीं बीएसपी ने मुस्लिम कार्ड खेलते हुए शकील अहमद को टिकट दिया है.
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हरिशंकर तिवारी, मुख्तार अंसारी, अभय सिंह, रमाकांत यादव के बाद बात दूसरे बाहुबली धनंजय सिंह की करें, तो जौनपुर की रारी सीट से धनंजय सिंह जनता दल (यूनाइटेड) के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं. धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला रेडी बीते पंचायत चुनाव में जिला पंचायत अध्यक्ष चुनी गईं. बता दें कि साल 2017 में धनंजय सिंह निषाद पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े थे, लेकिन इस बार बीजेपी के साथ गठबंधन के चलते निषाद पार्टी ने दागी उम्मीदवारों से किनारा किया तो धनंजय सिंह को भी टिकट नहीं मिल पाया.
मुख्तार अंसारी की तरह ही उनके धुर विरोधी बृजेश सिंह की साख भी इस चुनाव में दांव पर है. एमएलसी बृजेश सिंह वाराणसी सेंट्रल जेल में बंद हैं, वो खुद तो चुनाव नहीं लड़ रहे लेकिन उनके भतीजे और बीजेपी से विधायक सुशील सिंह चंदौली की सैयद राजा सीट से फिर मैदान में हैं. सुशील सिंह के लिए अपनी सीट को बरकरार रखना जहां जरूरी है, वहीं सुशील सिंह का जीतना बृजेश सिंह की साख के लिए भी जरूरी है.
वहीं, बाहुबली चेहरों में शुमार भदोही की ज्ञानपुर सीट से विधायक विजय मिश्रा इस बार प्रगतिशील मानव समाज पार्टी से मैदान में हैं. विजय मिश्रा को निषाद पार्टी से विपुल दुबे, एसपी से रामकिशोर बिंद और बीएसपी से उपेंद्र सिंह से चुनौती मिल रही है.
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इन चुनाव में एक और बाहुबली भी है. एक ऐसा बाहुबली जिसका, नाम तो बाहुबलियों में लिया जाता है, लेकिन वह राजा भी है और इलाके के लोगों का भैया भी. प्रतापगढ़ की कुंडा सीट से 1993 से भदरी राजघराने के राजकुमार रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया चुनाव लड़ते आए हैं और जीतते भी आए हैं. निर्दलीय चुनाव जीतकर एसपी, बीएसपी और बीजेपी सरकार में मंत्री रहे रघुराज प्रताप सिंह के सामने चुनौती उनके अपने ही शागिर्द गुलशन यादव दे रहे हैं. गुलशन यादव को समाजवादी पार्टी ने टिकट दिया है, बीजेपी से सिन्धुजा मिश्रा मैदान में हैं, तो वहीं बीएसपी से मोहम्मद फहीम ताल ठोक रहे हैं.
बड़े बाहुबलियों में शुमार किए जाने वाले इन नामों के साथ एक और इलाकाई बाहुबली भी है, जिसका कनेक्शन जौनपुर के बाहुबली धनंजय सिंह से है. सुल्तानपुर में धनंजय सिंह के करीबी यशभद्र सिंह उर्फ मोनू जिले की इसौली विधानसभा सीट से बीएसपी के टिकट पर मैदान में हैं.
इस चुनाव में एक बाहुबली ऐसा भी है जो ना तो खुद मैदान में है और ना ही उसका कोई परिवार वाला चुनाव लड़ रहा है. गुजरात की अहमदाबाद जेल में बंद अतीक अहमद का इस बार चुनाव से कोई सीधा नाता नहीं है.
अतीक अहमद की पत्नी ने चुनाव से ऐन पहले ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम से रिश्ता जरूर शुरू किया, लेकिन चुनावी मैदान में ना तो अतीक अहमद की पत्नी उतरीं और ना ही उनके दोनों बेटे. छोटे बेटे अली पर हाल ही में प्रयागराज पुलिस ने 25000 का इनाम घोषित किया है.
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