BJP का हाथ थामा, उसके साथ रैली की, फिर क्यों दिखाई ‘नाराजगी’? जानिए संजय निषाद का जवाब
निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद ने आरक्षण के मुद्दे पर कहा है कि आज भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) जज है और विपक्षी पार्टियां रिटायर्ड…
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निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद ने आरक्षण के मुद्दे पर कहा है कि आज भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) जज है और विपक्षी पार्टियां रिटायर्ड जज हैं, तो कोई रिटायर्ड जज के पास क्यों जाएगा.
आज तक के कार्यक्रम ‘पंयाचत वाराणसी’ में जब संजय निषाद से पूछा गया- मुझे उपमुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बना दे बीजेपी, क्या ऐसा आपने साफ कहा है? तो उन्होंने कहा,
”देखिए हम पद प्रतिष्ठा नहीं (चाहते)…जिन जातियों को अंग्रजों ने कानून बनाकर उजाड़ा था, मैं चाहता हूं कि उन्हें बसा दिया जाए. संविधान में मिले न्याय और सुरक्षा को उन्हें दे दिया जाए. संविधान में इन्हें मुख्यधारा में लाने की जो आरक्षण की व्यवस्था दी गई है, उसमें 66 समूह हैं. जो 53 नंबर पर मंझवार हैं और 66 नंबर पर तुरहा हैं, ये दो प्रमुख जातियां हैं, इन्हें पिछड़ी जाति में डालकर बर्बाद किया गया है. मैं तो यही चाहता हूं कि इन्हें विकास की मुख्यधारा में लाने के लिए इनका आरक्षण दे देने से इन्हें स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार, उद्योग, राजनीति में हिस्सेदारी मिल जाएगी. मान-सम्मान, स्वाभिमान रोटी-कपड़ा सब मिल जाएगा.”
संजय निषाद
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जब संजय निषाद से पूछा गया- एक तरफ आप आरक्षण की बात कर रहे हैं और दूसरी तरफ आपने बीजेपी का हाथ भी थाम लिया है, उसके साथ रैली कर रहे हैं, फिर नाराजगी भी दिखा रहे हैं, मामला क्या है, समझाइए जरा. इस पर निषाद पार्टी के अध्यक्ष ने कहा, ”देखिए नाराजगी और बगावत में अंतर होता है. हमारे लोग नाराज, नाखुश इसलिए हुए क्योंकि योगी आदित्यनाथ जी – हम लोग पेशे से डॉक्टर थे कोई पार्टी नहीं बनाई थी – उससे पहले हमारे मुद्दे पर वो सड़क से लेकर सदन तक आवाज उठाते रहे कि इन्हें आरक्षण मिलना चाहिए…जब वकील ही जज हो जाए और जज कुर्सी पर बैठे और कलम न चलाए तो थोड़ी मायूसी हो जाती है.”
संजय निषाद ने कहा, ”मैं तो आज भी कहता हूं कि बीजेपी आज जज है और विपक्ष में बैठी पार्टियां रिटायर्ड जज हैं. कौन ऐसा व्यक्ति होगा जो रिटायर्ड जज के पास अपने मुकदमे को लेकर जाएगा. कुछ देगी तो बीजेपी देगी, केंद्र और राज्य में उसकी सरकार है, हमारा समाज लेगा चाहे जैसे लेले.”
इस सवाल पर कि जब आरक्षण का मुद्दा संजय निषाद को परेशान कर रहा था तो इसे पहले क्यों नहीं निपटाया, बीजेपी के साथ गठबंधन करने और रैली करने के बाद अब बांह क्यों मरोड़ रहे हैं? संजय निषाद ने कहा, ”दो साल पहले मैं आया, 2019 में. जब एसपी-बीएसपी एक हो गई, बड़े गठबंधन के रूप में आई तो हमें भी अपनी 18 फीसदी आबादी की ताकत को राजनीतिक रूप में दिखाना था. मैं मोदी जी के साथ आया और 40 सीटों पर विजय दिलाई. बड़ा गठबंधन फेल हो गया. मोदी जी के साथ जय निषाद और जय श्रीराम का नारा लगा और इतिहास बना. इन दो सालों में डेढ़ साल तक कोरोना ने देश को बहुत रुलाया देश को. जब से कोरोना थमा, तब से मैं वकालत कर रहा हूं.”
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उन्होंने आगे कहा, ”तब से दिल्ली से उत्तर प्रदेश और उत्तर प्रदेश से दिल्ली हमेशा दौड़ता रहा. ये जो पेपर परसों दिया गया है आरजीआई को, ये एक महीना पहले ही इनके अधिकारी को दिया गया था. अगर वो पहले दे देते तो रैली में हमारे समाज के लोग नाराज नहीं होते. आखिर लिखा कब, लिखा तब जब नाराज हो गए. हमें उम्मीद है कि आरजीआई की रिपोर्ट के आधार पर आरक्षण (मिलेगा). आधा काम तो हो गया है. बीजेपी को अलग से कुछ करना नहीं है, संविधान में कोई नया संशोधन नहीं करना है.”
बीजेपी के साथ गठबंधन को लेकर उन्होंने कहा, ”ये निश्चित रूप से नेचुरल अलायंस है, निषाद राज और राम जब गले मिले थे तब दुनिया में शांति आई थी. हम लोग आए तो 2019 में जीत हुई, 2022 में भी सरकार बनेगी. आरक्षण भी मिलेगा.”
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