सपा सदस्यों ने अवमानना और विशेषाधिकार के मामले को लेकर वेल में दिया धरना, हंगामा

भाषा

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उत्तर प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को मुख्‍य विपक्षी समाजवादी पार्टी (सपा) के सदस्‍यों ने अवमानना और विशेषाधिकार के मुद्दे पर एक पुलिस अधिकारी को सदन में बुलाकर अदालत लगाये जाने की मांग नामंजूर किये जाने के बाद सरकार के खिलाफ नारेबाजी की तथा करीब दो घंटे तक वे धरने पर बैठे रहे.

सत्र के पहले दिन सोमवार को सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपने सभी विधायकों के साथ महंगाई, बेरोजगारी, बदहाल कानून-व्यवस्था और किसान, महिला और युवा उत्पीड़न जैसे जनहित के मुद्दों को लेकर सपा मुख्यालय से विधानसभा तक ‘पैदल मार्च’ का ऐलान किया था.

हालांकि पुलिस ने बीच रास्ते में ही यादव समेत सपा विधायकों को रोक दिया जिससे वे सदन में नहीं पहुंच सके.

मंगलवार को प्रश्‍न काल के बाद सदन में सपा के मुख्‍य सचेतक मनोज कुमार पांडेय ने नियम 300 के तहत औचित्य का प्रश्न उठाते हुए कहा कि नेता प्रतिपक्ष यादव के नेतृत्व में पार्टी विधायक सपा मुख्यालय से विधानसभा के सत्र में आने के लिए शांतिपूर्वक जब गेट के बाहर निकल रहे थे, ठीक उसी समय नजर आया कि सड़क पर भारी पुलिस में 300-400 सिपाही, इंस्पेक्टर, एसीपी और तमाम गाड़ियां लगाकर रास्ते को अवरुद्ध कर रखा है.

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उन्‍होंने कहा कि पुलिस अधिकारियों ने जब सपा विधायकों को रोका तो उन्होंने परिचय पत्र दिखाया और जानकारी दी कि वे सत्र की कार्रवाई में भाग लेने जा रहे हैं. कुमार ने कहा, ‘‘इसके बाद भी हमें विधानसभा में नहीं आने दिया गया. यह सम्मानित सदस्यों के विशेषाधिकार का हनन है और यह औचित्य का मुद्दा है और सदस्यों की अवमानना है.’’

सपा के वरिष्ठ सदस्‍य लालजी वर्मा ने औचित्‍य की ग्राह्यता पर बल देते हुए कहा कि यह बहुत महत्वपूर्ण विषय है । उन्‍होंने कहा कि 1980 में सभी विधायक पैदल ही सदन में आते थे और 1985 में भी 90 प्रतिशत से अधिक विधायक पैदल ही सदन आते थे. उन्होंने कहा, ‘‘अगर हम लोग पैदल आ रहे थे तो वह कहां से कानून-व्यवस्था का उल्लंघन है.’’

वर्मा ने कहा कि निश्चित रूप से यह औचित्य का प्रश्न है और जिस पुलिस अधिकारी के नेतृत्व में जबरन रोका गया उनको सदन में बुलाकर अदालत के रूप में परिवर्तित कर कार्रवाई करें ताकि किसी पुलिस को विधायक को दोबारा रोकने की हिम्मत न हो.

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संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्‍ना ने कहा कि दोनों सदस्यों ने जो कहा, वह सत्य से परे है और किसी भी सदस्‍य को सदन में आने से रोका नहीं गया. उन्‍होंने कहा कि उच्‍च न्‍यायालय का भी आदेश है कि उच्च सुरक्षाप्राप्त क्षेत्र में बिना अनुमति कोई जुलूस नहीं निकाल सकता है.

खन्‍ना ने कहा कि विधायक को न रोका गया न रोका जाएगा, इनसे वैकल्पिक रास्ता सुझाया गया लेकिन ये तैयार नहीं हुए धरने पर बैठ गये. उन्‍होंने कहा कि यह औचित्य का प्रश्न बनता नहीं है. इसके बाद अध्यक्ष महाना ने इसे अग्राह्य कर दिया.

इसके बाद सपा सदस्‍य नारेबाजी करते हुए आसन के समीप आ गये. करीब दो घंटे से अधिक समय तक वे धरने पर बैठकर नारेबाजी करते रहे.

सपा सदस्‍य इरफान सोलंकी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि अध्यक्ष ने कार्रवाई का आश्वासन दिया तो इसके बाद धरना समाप्त हो गया.

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