सपा ने भी किया 'इंडिया' ब्लाक से किनारा, इन तीन सीटों की वजह से राहुल-अखिलेश की राहें हुईं जुदा?
लोकसभा चुनाव के होने में अब बस कुछ ही महीनों का समय बचा है पर इससे पहले राजनीतिक सरगर्मियां काफी तेज हो गई है.
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Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव के होने में अब बस कुछ ही महीनों का समय बचा है पर इससे पहले राजनीतिक सरगर्मियां काफी तेज हो गई है. लोकसभा सीटों के लिहाज से देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में चुनावी गुणा गणित का खेल अभी से ही देखने को मिल रहा है. वहीं राजनीतिक नफा नुकसान के इस खेल के बीच विपक्षी पार्टियों के गठबंधन इंडिया अलायंस को यूपी में एक और बड़ा झटका लगा है. उत्तर प्रदेश की प्रमुख विपक्षी पार्टी समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के साथ सीट शेयरिंग की बातचीत टूट गई है.
सपा ने किया बड़ा फैसला
जानकारी के मुताबित सपा और कांग्रेस के बीत सीट शेयरिंग पर बात नहीं बन सकी है. माना जा रहा था कि अखिलेश यादव अमेठी या राय बरेली में राहुल गांधी के साथ उनकी यात्रा में शामिल हो सकते हैं, लेकिन अब सपा प्रमुख यात्रा में शामिल नहीं होंगे. सूत्रों का कहना है कि सीट शेयरिंग को लेकर दोनों दलों की बातचीत टूट गई है और अब प्रदेश में दोनों दलों का गठबंधन नहीं होगा. गठबंधन के लिए बातचीत टूटने के पीछे तीन लोकसभा सीटों के पेच को प्रमुख वजह बताया जा रहा है. सपा सूत्रों के मुताबिक कल देर रात तक चली बातचीत में भी जब कोई नतीजा नहीं निकला तब पार्टी ने बातचीत का सिलसिला यहीं रोकने का फैसला किया.
सीटों के बंटवारे को लेकर टूटी बातचीत
दरअसल, कांग्रेस पार्टी उन सीटों की मांग रही है जो सपा की भी मजबूत सीटों की लिस्ट में है और सपा किसी सूरत में उसे कांग्रेस पार्टी को नहीं देना चाहती. कांग्रेस पार्टी की नजर उन सीटों पर है जो 2009 में कांग्रेस पार्टी ने जीती थी. पूर्वांचल से लेकर पश्चिम तक और तराई से लेकर बुंदेलखंड तक कांग्रेस पार्टी ने 28 सीटों की जो लिस्ट दी है उसमें वह 20 सीटों पर कम से कम लड़ना चाहती है. सबसे अहम मुद्दा जो दोनों पार्टियों की बातचीत में निकाल कर सामने आई है कि वह बड़े चेहरों के लिए ऐसी सीटें तलाशना है. ताकि उनकी जीत से कांग्रेस पार्टी उत्तर प्रदेश में अपने पांव जमा सके.
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इन तीन सीटों की वजह से हुईं राहें जुदा
सपा और कांग्रेस के बीच सीट शेयरिंग को लेकर बातचीत में पेच तीन सीटों को लेकर फंस गया. कांग्रेस अपने प्रदेश अध्यक्ष अजय राय के लिए बलिया की सीट चाहती थी. पार्टी मुरादाबाद और बिजनौर सीट पर भी दावा कर रही थी. मुरादाबाद सीट अभी सपा के कब्जे में है और सपा अपनी सीटिंग सीट समेत इनमें से कोई भी सीट छोड़ने को तैयार नहीं हुई.
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