रामपुर उपचुनाव में लोकतंत्र की हत्या का संज्ञान लेकर जांच कराएं संवैधानिक संस्थाएं: सपा
समाजवादी पार्टी (सपा) ने रामपुर विधानसभा उपचुनाव में पुलिस प्रशासन द्वारा मतदाताओं को वोट देने से रोक कर ‘लोकतंत्र की हत्या’ किए जाने का आरोप…
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समाजवादी पार्टी (सपा) ने रामपुर विधानसभा उपचुनाव में पुलिस प्रशासन द्वारा मतदाताओं को वोट देने से रोक कर ‘लोकतंत्र की हत्या’ किए जाने का आरोप लगाते हुए निर्वाचन आयोग समेत देश की सभी संवैधानिक संस्थाओं से इसका संज्ञान लेते हुए जांच कराने की मांग की.
राज्य विधानसभा में सपा के मुख्य सचेतक मनोज पांडे ने पार्टी राज्य मुख्यालय पर संवाददाता सम्मेलन में आरोप लगाया कि सरकार ने मंगलवार को संपन्न रामपुर विधानसभा उपचुनाव में पराकाष्ठा कर दी. जिस तरह से पुलिस की मदद से एक खास धर्म और वर्ग के मतदाताओं को वोट देने से जबरन रोका गया, वह लोकतंत्र की हत्या के समान है.
उन्होंने कहा, ‘‘हम निर्वाचन आयोग सहित सभी संवैधानिक संस्थाओं से अपील करते हैं कि वे रामपुर उपचुनाव के दौरान हुई ज्यादती का स्वत: संज्ञान लेते हुए जांच कराएं क्योंकि यह मामला किसी व्यक्ति का नहीं है बल्कि लोकतंत्र की रक्षा का है.’’
पांडे ने संवाददाता सम्मेलन के दौरान रामपुर में पुलिस की कथित ज्यादतियों के पीड़ित लोगों के वीडियो भी दिखाए. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में मतदान का अधिकार सबसे बड़ा हक है और सरकार ने इसे छीन लिया है. उन्होंने आरोप लगाया कि रामपुर में निष्पक्ष चुनाव की मांग करने वालों को लाठियों से बुरी तरह पीटा गया.
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इस सवाल पर कि क्या सपा रामपुर उपचुनाव के मसले को अदालत तक ले जाएगी, पांडे ने कहा, ‘‘हमें अब भी निर्वाचन आयोग पर भरोसा है कि वह इन तमाम तथ्यों की पड़ताल कर आवश्यक कार्यवाही करेगा.’’
गौरतलब है कि रामपुर विधानसभा सीट आजम खां को वर्ष 2019 में नफरत भरा भाषण देने के मामले में पिछले महीने तीन साल की सजा सुनाए जाने के कारण उनकी सदस्यता रद्द होने के चलते खाली हुई थी.
इस सीट के उपचुनाव के तहत गत सोमवार को 33.94 प्रतिशत मतदान हुआ था. आजम खां के परिजन ने भी पुलिस पर मुस्लिम मतदाताओं को घर से नहीं निकलने देने और वोट डालने जा रहे लोगों पर लाठीचार्ज करने का आरोप लगाया था.
पांडे ने राज्य विधानमंडल के शीतकालीन सत्र की अवधि को पूर्व निर्धारित तीन दिन के बजाय दो ही दिनों में समाप्त कर देने पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार जनता से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा नहीं चाहती, इसलिए एक साजिश के तहत सत्र को दो ही दिनों के अंदर समाप्त कर दिया गया.
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