राज्यसभा चुनाव में सपा और भाजपा ने चली सधी चाल या फंस गया पेच! जानें पूरी गणित
राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के मुखिया जयंत चौधरी ने भी सपा चीफ अखिलेश का साथ छोड़ भाजपा से हाथ मिलाया था. ऐसे में अब अखिलेश के तीसरे कैंडिडेट के लिए राजयसभा चुनाव फंस गया है.
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Uttar Pradesh News: समाजवादी पार्टी ने राज्यसभा चुनाव के लिए पूर्व सांसद रामजीलाल सुमन, जया बच्चन और पूर्व आईएएस अधिकारी आलोक रंजन को उम्मीदवार बनाया है. सपा की ओर से ये तीन नाम के आने के बाद गठबंधन की साथी और अपना दल (कमेरावादी) नेता पल्लवी पटेल ने अपनी नाराजगी जताई. उन्होंने ऐलान किया है कि वह सपा कैंडिडेट को राज्यसभा चुनाव में वोट नहीं करेंगी. वहीं, बीते दिनों राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के मुखिया जयंत चौधरी ने भी सपा चीफ अखिलेश का साथ छोड़ भाजपा से हाथ मिलाया था. ऐसे में अब अखिलेश के तीसरे कैंडिडेट के लिए राजयसभा चुनाव फंस गया है.
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जयंत से लेकर पल्लवी पटेल तक के झटके का प्रभाव यूपी की 10 राज्यसभा सीटों के लिए हो रहे चुनाव पर भी पड़ता नजर आ रहा है. राज्यसभा चुनाव में 10 में से सात सीटों पर बीजेपी और तीन सीटों पर सपा की जीत तय मानी जा रही थी लेकिन पहले जयंत के किनारा करने और अब पल्लवी के ऐलान से गणित उलझ गया है.
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उत्तर प्रदेश विधानसभा में फिलहाल 399 विधायको हैं. ऐसे में 10 राज्यसभा सीटों के चुनाव में एक सीट पर जीत सुनिश्चित करने के लिए 37 विधायकों के वोट की जरूरत होगी.
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सपा के 108 विधायक हैं. इनमें से इरफान सोलंकी समेत पार्टी के दो विधायक जेल में हैं. बचे 106 में से पल्लवी पटेल ने पार्टी उम्मीदवारों को वोट नहीं करने का ऐलान कर दिया है. ऐसे में सपा के पास 105 विधायकों का वोट बचता है. कांग्रेस के दो विधायकों का समर्थन भी जोड़ लें तो संख्याबल 107 तक ही पहुंच रहा है. जबकि सपा को तीन सीटें जीतने के लिए 111 वोट की जरूरत होगी.
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आरएलडी अगर सपा के साथ होती तो वोटों का आंकड़ा 116 तक पहुंचता जो जरूरी वोट से 5 अधिक होता. लेकिन नौ विधायकों वाली पार्टी अब सपा का साथ छोड़कर एनडीए में जा चुकी है.
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