‘UP में गुंडागर्दी में 90% गिरावट आई है’, राजभर ने योगी सरकार के लिए बांधे तारीफों के पुल

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समाजवादी पार्टी (सपा) नीत गठबंधन से अलग होने के बाद सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर अब समय-समय पर योगी आदित्यनाथ सरकार की तारीफ में कसीदे पढ़ रहे हैं. बता दें कि राजभर ने फिर एक बार योगी सरकार को लेकर बड़ा बयान दिया है. हमारे सहयोगी चैनल बिहार तक से बातचीत के दौरान राजभर ने कहा कि योगी सरकार बनने के बाद यूपी में गुंडागर्दी कम हुई है और अब गरीबों की जमीनें भी नहीं लूटी जा रही हैं.

सुभासपा अध्यक्ष ने कहा,

“उत्तर प्रदेश में एक चीज तो है, जो गुंडागर्दी थी, रंगदारी जो लोग मांगते थे उसमें 90 परसेंट गिरावट आई है. जो बड़े पैमेने पर दंगे होते थे, गरीबों की जमीन लूटी जाती थी, गरीबों पर जुल्म होता था उसमें बड़े पैमाने पर गिरावट हुई है.”

ओम प्रकाश राजभर

‘आपने अखिलेश यादव को क्यों छोड़ दिया?’ इस सवाल के जवाब में राजभर ने कहा, “अखिलेश जी से पूछिए कि उन्होंने मायावती को क्यों छोड़ा, कांग्रेस को क्यों छोड़ा, हो सकता है ओम प्रकाश राजभर गलत हों, लेकिन केशव देव मौर्य को क्यों छोड़ दिया, संजय चौहान को क्यों छोड़ दिया? सबके सब गलत हैं, खाली अखिलेश ही सही हैं?

बीते दिनों राजभर को मिली थी ‘वाई श्रेणी’ की सुरक्षा

गौरतलब है बीते दिनों योगी सरकार ने ओम प्रकाश राजभर को ‘वाई श्रेणी’ की सुरक्षा दी थी. इसके बाद सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा चली थी कि सपा गठबंधन में होने के बावजूद राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए की द्रौपदी मुर्मू को वोट देने के लिए राजभर को यह ‘गिफ्ट’ मिला है.

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आपको बता दें कि राज्य की मुख्य विपक्षी समाजवादी पार्टी (सपा) के साथ गठबंधन में हाल के राज्य विधानसभा चुनाव में राजभर की पार्टी ने छह सीटों पर जीत हासिल की, लेकिन चुनाव बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव से राजभर की दूरी बढ़ती गई. राष्ट्रपति के चुनाव में राजभर ने विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के बजाय राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का समर्थन किया था.

2017 के विधानसभा चुनाव में राजभर ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा था और योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में गठित पहली सरकार में मंत्री पद की शपथ ली थी. बाद में राजभर ने भाजपा से गठबंधन तोड़ दिया था.

ओपी राजभर ने योगी सरकार के इस कदम का किया स्वागत, वहीं सपा और बसपा को इस मुद्दे पर घेरा

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