राष्ट्रपति चुनाव की बैठक में अखिलेश ने नहीं बुलाया तो राजभर ने भी बनाई अपनी रणनीति, जानें

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उत्तर प्रदेश की राजनीति में विपक्षी एकता की कवायद दिन-ब-दिन कमजोर पड़ती नजर आ रही है. विधानसभा और लोकसभा उपचुनाव में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party news) गठबंधन की हार के बाद इसके सहयोगियों के संबंध, खासकर सपा और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP) के रिश्ते दरकते नजर आ रहे हैं. गुरुवार को राष्ट्रपति चुनाव के लिए यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha) संग अखिलेश (Akhilesh Yadav) समेत विपक्ष के नेताओं की बैठक ने इस एकता को मजबूत करने के उलट, कमजोर करने के संकेत दे दिए हैं और इसकी पुष्टि ओम प्रकाश राजभर (Om Prakash Rajbhar) के ताजातरीन बयानों से हो रही है.

असल में गुरुवार को विपक्ष के राष्ट्रपति उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को लेकर लखनऊ में एक बैठक और प्रेस वार्ता आयोजित हुई. इस बैठक में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, आजम खान, रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी समेत अन्य नेता मौजूद रहे. हालांकि इस बैठक का न्योता ओम प्रकाश राजभर को नहीं मिला. शुक्रवार को जब ओम प्रकाश राजभर ने प्रेस वार्ता की तो इस बात की नाखुशी वहां स्पष्ट तौर पर देखी जा सकती थी. इस बाबत जब राजभर से पूछा गया कि अब उनका अगला कदम क्या होगा, तो उन्होंने कहा कि 12 जुलाई को तय हो जाएगा कि राष्ट्रपति चुनाव में उनके 6 विधायकों का रुख क्या होगा.

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आखिर अखिलेश ने अपने ‘करीबी’ राजभर को क्यों नहीं बुलाया? इस संबंध में जब अखिलेश यादव से सवाल पूछा गया तो उन्होंने हंसकर जवाब दिया था कि यह हमारी चिंता है. जब ओम प्रकाश राजभर से इसपर प्रतिक्रिया मांगी गई, तो उन्होंने कहा कि ‘यह तो वही बताएंगे कि ऐसा क्यों कहा. हो सकता है हमको नहीं बुलाना हो. कोई समस्या हो.’ राजभर ने तो यहां तक दावा किया कि इस संबंध में उनकी बात शिवपाल यादव से भी हुई और अखिलेश की तरफ से उन्हें भी न्योता नहीं मिला.

अखिलेश के समर्थक राजभर से नाराज हैं और राजभर के समर्थक अखिलेश से, एक नाव पर बैठ 2024 की नदी कैसे पार होगी? इस सवाल के जवाब में राजभर ने अपने चिरपरिचित अंदाज में कहा कि, ‘जब महबूबा मुफ्ती और भारतीय जनता पार्टी एक हो सकते हैं. बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी का 36 का आंकड़ा था, वह 63 हो गए, तो राजनीति में सब संभव है भइया.’

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आपको बता दें कि राष्ट्रपति चुनाव 18 जुलाई को होना. वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को खत्म हो रहा है. बीजेपी के नेतृत्व वाले NDA ने इस चुनाव में झारखंड की पूर्व राज्यपाल 64 वर्षीय द्रौपदी मुर्मू को अपना उम्मीदवार बनाया है. वहीं कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने यशवंत सिन्हा को अपना उम्मीदवार बनाया है. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पिछले दिनों यशवंत सिन्हा के नामांकन कार्यक्रम में दिल्ली भी गए थे.

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