ब्राह्मण वोट पर नजर? PM मोदी को अचानक क्यों याद आए कांग्रेस के दिग्गज रहे श्रीपति मिश्रा

यूपी तक

ADVERTISEMENT

UPTAK
social share
google news

”(पहले) दिल्ली और लखनऊ दोनों ही स्थानों पर परिवारवादियों का ही दबदबा रहा. सालों साल तक परिवारवादियों की यही पार्टनरशिप यूपी की आकांक्षाओं को कुलचती रही… मैं बड़ी गंभीरता से कहना चाहता हूं, सुलतानपुर के सपूत श्रीपति मिश्रा जी के साथ भी तो यही हुआ था. जिनका जमीनी अनुभव और कर्मशीलता ही पूंजी थी, परिवार के दरबारियों ने उनको अपमानित किया. ऐसे कर्मयोगियों का अपमान यूपी के लोग कभी नहीं भुला सकते.”

ये शब्द हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के, जिन्होंने 16 नवंबर को सुलतानपुर जिले में पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के उद्घाटन के बाद अपने संबोधन में यह बात कही. प्रधानमंत्री ने जब विपक्ष को घेरते हुए अचानक इस तरह उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और दिग्गज कांग्रेस नेता रहे श्रीपति मिश्रा का जिक्र किया तो सियासी गलियारों में एक सवाल उठने लगा कि इसके मायने क्या हैं, क्या वाकई परिवारवाद के नाम पर श्रीपति मिश्रा का अपमान हुआ था?

यूपी तक ने यह समझने के लिए सबसे पहले श्रीपति मिश्रा के बेटे और कांग्रेस नेता प्रमोद मिश्रा से बात की. उन्होंने कहा, ”प्रधानमंत्री ने उनको (श्रीपति मिश्रा को) याद किया, इसके लिए मैं उनको धन्यवाद देता हूं. अगर राजनीतिक तौर पर आप इसे देखेंगे तो वर्ग विशेष का मत हासिल करने की नीयत से ऐसा किया गया है.”

यह भी पढ़ें...

ADVERTISEMENT

जब उनसे पूछा गया कि एक ऐसे वक्त में जब विपक्ष दावा कर रहा है कि प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार से ब्राह्मण नाराज हैं, क्या ब्राह्मणों को साधने के लिए यह कदम उठाया गया है, इस पर प्रमोद मिश्रा ने कहा, ”बात तो मैं भी यही कह रहा हूं. कुछ वोट की राजनीति के कारण ऐसा हो रहा है.”

उन्होंने आगे कहा, ”जो सम्मान (पूर्व प्रधानमंत्री और कांग्रेस नेता) इंदिरा (गांधी) जी ने पिताजी को दिया, वो आज तक किसी ने दिया ही नहीं. एक हमारे भाई साहब (राकेश मिश्रा) बीजेपी में हैं, उनका तो उन्होंने (बीजेपी ने) घरघोर अपमान ही किया है.”

इस मामले पर हमने श्रीपति मिश्रा के रिश्तेदार और कांग्रेस नेता सुरेंद्र त्रिपाठी से भी बात की. उन्होंने कहा, ”कांग्रेस ने उनको (श्रीपति मिश्रा को) मुख्यमंत्री बनाया था, कोई अवहेलना नहीं हुई थी उनकी. उनको स्वास्थ्य के कारण दिक्कत थी, तब से वह चुनाव नहीं लड़े थे.”

ADVERTISEMENT

कौन थे श्रीपति मिश्रा और कैसा था उनका सियासी सफर?

सुरेंद्र त्रिपाठी ने बताया, ”श्रीपति मिश्रा जी एलएलबी-एलएलएम थे और ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट थे, उन्होंने फर्रुखाबाद में चार साल नौकरी की थी और फिर इस्तीफा दे दिया. फिर वहां से आकर उन्होंने ग्राम प्रधान के पद का चुनाव लड़ा. वह चुनाव जीतकर ग्राम प्रधान बने. वह साथ में वकालत भी कर रहे थे और संजय गांधी के किस्सा कुर्सी का केस में वकील भी रहे. संजय गांधी उनको बहुत मानते थे.”

ADVERTISEMENT

उन्होंने बताया, ”श्रीपति मिश्रा के तीन बेटे थे, जिनमें से एक का देहांत हो गया. अब दो बेटे हैं, उनमें से एक राकेश मिश्रा बीजेपी में हैं, दूसरे प्रमोद मिश्रा कांग्रेस में हैं. इसके अलावा उनकी मुन्नी नाम की एक बेटी हैं.”

त्रिपाठी ने एक रोचक तथ्य भी बताया कि श्रीपति मिश्रा का पैतृक घर जौनपुर जिले में है, जिसका द्वार सुल्तानपुर जिले में पड़ता है, दरअसल, उनका पैतृक गांव शेषपुर दोनों जिलों की सीमा पर है.

बात श्रीपति मिश्रा के राजनीतिक सफर की करें तो वह 1962-67, 1967-69, 1969-70, 1980-84 में यूपी विधानसभा के सदस्य रहे थे. 1970 में वह यूपी विधान परिषद के सदस्य भी बने थे. वह 1967-68 में यूपी विधानसभा के उपाध्यक्ष भी रहे,1980-82 में वह यूपी विधानसभा के अध्यक्ष रहे.

कांग्रेस ने 1982 में उन्हें उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया था, वह 1984 तक इस पद पर रहे थे. श्रीपति मिश्रा लोकसभा के सदस्य भी रहे थे.

सुरेंद्र त्रिपाठी ने बताया कि श्रीपति मिश्रा ने शाह बानो प्रकरण में एक चिट्ठी लिखी थी, जिसके बाद उन्हें कांग्रेस से निष्कासित कर दिया गया था, हालांकि बाद में उनकी पार्टी में वापसी हो गई थी.

कुल मिलाकर प्रमोद मिश्रा और सुरेंद्र त्रिपाठी दोनों का मानना है कि कांग्रेस में श्रीपति मिश्रा का कोई अपमान नहीं हुआ था. ऐसे में इस कयास को और मजबूती मिल रही है कि शायद प्रधानमंत्री मोदी ने उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर ही ब्राह्मण वोट साधने के लिए श्रीपति मिश्रा का एक खास तरीके से जिक्र किया हो.

पूर्वांचल एक्सप्रेसवे का उद्घाटन कर बोले PM मोदी- ‘पहले UP में राह नहीं, राहजनी होती थी’

    follow whatsapp

    ADVERTISEMENT