PM मोदी के बयान से मायावती को मिला मौका, मुस्लिमों के लिए आरक्षण पर BJP को दी ये नसीहत

यूपी तक

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UP Political News: उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की सुप्रीमो मायावती 2024 चुनावों को ध्यान में रखते हुए अल्पसंख्यक वोटों को लुभाने का कोई मौका छोड़ना नहीं चाहतीं. इस क्रम में मायावती ने पीएम मोदी के एक हालिया बयान का हवाला देते हुए मुस्लिमों के लिए रिजर्वेशन की मांग को दोहराया है. साथ ही लगे हाथ बीजेपी को मुस्लिम मुद्दों पर नसीहत भी दे दी है.

असल में पिछले दिनों पीएम मोदी ने भोपाल में बीजेपी के ‘मेरा बूथ सबसे मजबूत’ कार्यक्रम में पसमांदा मुस्लिमों का जिक्र कर दिया था. पीएम ने कहा था कि सियासत करने वालों ने पसमांदा मुस्लिमों को तबाह कर दिया. समान नागरिक संहिता की जोरदार वकालत करते हुए पीएम ने यह भी कहा कि था कि भाजपा ने फैसला किया है कि वह तुष्टिकरण और वोटबैंक की राजनीति का रास्ता नहीं अपनाएगी. उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्ष समान नागरिक संहिता के मुद्दे का इस्तेमाल मुस्लिम समुदाय को गुमराह करने और भड़काने के लिए कर रहा है.

पीएम ने इस क्रम में आगे कहा था कि पसमांदा मुस्लिम पिछड़े हुए हैं, लेकिन वोट बैंक की राजनीति के कारण उनके साथ समान व्यवहार नहीं किया जाता है. इसी बात पर मायावती का बयान सामने आया है. मायावती ने सिलसिलेवार ट्वीट कर अपनी बात कही है.

मायावती ने ट्वीट में लिखा है, ‘पीएम श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा भोपाल में बीजेपी के कार्यक्रम में सार्वजनिक तौर पर यह कहना कि भारत में रहने वाले 80 प्रतिशत मुसलमान ’पसमांदा, पिछड़े, शोषित’ हैं, यह उस कड़वी जमीनी हकीकत को स्वीकार करना है जिससे उन मुस्लिमों के जीवन सुधार हेतु आरक्षण की जरूरत को समर्थन मिलता है.’

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माया ने दूसरे ट्वीट में लिखा, ‘अतः अब ऐसे हालात में बीजेपी को पिछड़े मुस्लिमों को आरक्षण मिलने का विरोध भी बंद कर देने के साथ ही इनकी सभी सरकारों को भी अपने यहाँ आरक्षण को ईमानदारी से लागू करके तथा बैकलॉग की भर्ती को पूरी करके यह साबित करना चाहिए कि वे इन मामलों में अन्य पार्टियों से अलग हैं.’

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मुस्लिम वोट बैंक पर है मायावती की नजर?

2022 के विधानसभा चुनावों में करारी हार के बाद मायावती दलित और मुस्लिम वोटों के गठजोड़ से अपनी सियासी स्थिति सुधारने की कवायद में जुटी हैं. इसी क्रम में मायावती ने हालिया निकाय चुनावों में मेयर की 17 सीटों में से 11 पर मुस्लिम कैंडिडेट उतारे थे. हालांकि मायावती का यह दांव नहीं चला और उन्हें निकाय चुनावों में भी करारी हार का सामना करना पड़ा. इसके बावजूद मुस्लिमों से जुड़े मुद्दों पर मायावती सक्रिय रुख दिखा रही हैं. यह इस बात की ओर इशारा कर रहा है कि अभी भी मायावती को इस वोट बैंक में खुद के लिए संभावना नजर आ रही है.

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