मुलायम की तरह डिंपल के लिए सहज नहीं है मैनपुरी का ‘गढ़’ जीतना? जानें लोगों ने क्या कहा
Mainpuri Bypolls: समाजवादी पार्टी (सपा) के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद रिक्त हुई मैनपुरी संसदीय सीट पर हो रहे उपचुनाव में उनकी…
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Mainpuri Bypolls: समाजवादी पार्टी (सपा) के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद रिक्त हुई मैनपुरी संसदीय सीट पर हो रहे उपचुनाव में उनकी पुत्रवधू डिंपल यादव पार्टी की उम्मीदवार हैं लेकिन स्थानीय लोगों की मानें तो अपने ससुर मुलायम सिंह यादव की तरह डिंपल के लिए जीत की राह उतनी आसान नहीं है. कई लोगों का मानना है कि सपा संस्थापक के निधन के बाद डिंपल यादव जनता की सहानुभूति के चलते उनकी परंपरा को बरकरार रखेंगी. मुलायम सिंह यादव का 10 अक्टूबर को निधन हो गया और उनके निधन के बाद हो रहे मैनपुरी उपचुनाव में सपा प्रमुख अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को 10 नवंबर को पार्टी का उम्मीदवार घोषित किया गया. उपचुनाव के लिए पांच दिसंबर को मतदान और आठ दिसंबर को मतगणना होगी.
व्यवसायी धीरेंद्र कुमार गुप्ता ने कहा, “डिंपल यादव के लिए निश्चित रूप से उपचुनाव आसान नहीं होगा, क्योंकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सपा से सीट छीनने की पूरी कोशिश कर रही है. बड़ी संख्या में भाजपा नेता पहले से ही शहर में डेरा डाले हुए हैं. भाजपा के लिए राह आसान नहीं होगी क्योंकि उसके उम्मीदवार रघुराज सिंह शाक्य औपचारिकता के तौर पर मतदाताओं से मिल रहे हैं और उनका अभिवादन कर रहे हैं.” उन्होंने कहा कि जब तक भाजपा कार्यकर्ता घर-घर जाकर प्रचार नहीं करेंगे, शाक्य के लिए जीतना मुश्किल होगा. गुप्ता ने कहा कि उपचुनाव यादव परिवार के लिए ‘अस्मिता’ की लड़ाई है.
होटल व्यवसायी हेमंत पचौरी ने कहा कि यह उपचुनाव ‘नेता जी’ की अनुपस्थिति के कारण भाजपा के लिए मैनपुरी में सपा के किले को तोड़ने का सबसे अच्छा मौका है. उन्होंने कहा, “अगर सपा इस बार सीट हारती है तो यह उनके राजनीतिक ताबूत में आखिरी कील साबित होगी. सत्ता में रहने के दौरान सपा ने शहर में गुंडागर्दी की थी और लोग खुद को परेशान महसूस कर रहे थे. अब नजारा बदल गया है.”
पचौरी ने कहा, ‘‘2019 के लोकसभा चुनाव में मुलायम सिंह यादव ने मैनपुरी निर्वाचन क्षेत्र के मतदाताओं से अपने लिए वोट देने का आग्रह करते हुए एक भावनात्मक अपील की थी और उन्होंने लगभग 94,000 मतों के अंतर से जीत हासिल की थी. तब बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने भी उनका समर्थन किया था.’’ पचौरी ने बताया कि 2019 से पहले के चुनावों में नेता जी की जीत का अंतर लाखों में था.
एक और स्थानीय व्यापारी केके गुप्ता ने कहा, “डिंपल यादव के लिए कोई सहानुभूति नहीं है, क्योंकि जब सपा सत्ता में थी तो लोग उसके कुशासन से तंग आ चुके थे.” उन्होंने दावा किया, “राज्य में भाजपा सरकार के सत्ता में आने और अपराधियों की गिरफ्तारी के बाद लोगों ने राहत की सांस ली है. तब से अपराध के मामलों में कमी आई है.”
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स्थानीय निवासी भूपेंद्र सिंह ने भी सपा के लिए सहानुभूति की लहर से इनकार किया और कहा कि भाजपा उपचुनाव में ‘‘इतिहास रचेगी’’ और यह सीट जीतेगी.
हालांकि, एक स्वयंभू ‘समाजवादी तपस्वी’ श्याम बहादुर यादव ने इन टिप्पणियों को खारिज कर दिया और कहा कि मैनपुरी के लोग सपा और विशेष रूप से ‘‘सैफई परिवार’’ को पूरे दिल से समर्थन दे रहे हैं. उन्होंने कहा, “यह मैनपुरी के लोग हैं जो चुनाव (भाजपा के खिलाफ) लड़ रहे हैं. चुनाव महत्वपूर्ण है क्योंकि यह ‘नेता जी’ के निधन के बाद हो रहा है और मैनपुरी के लोग डिंपल को ही लोकसभा के लिए चुनेंगे.”
यह पूछे जाने पर कि क्या सपा का घर-घर प्रचार भाजपा के हाई-टेक प्रचार से कोई मुकाबला कर पाएगा, 50 वर्षीय यादव ने कहा कि भाजपा शोर शराबे वाले प्रचार में शामिल है और यह उनका एकमात्र काम है. वे झूठे हैं और डीजे बजाते (गाने) हैं, जबकि हम खामोशी से एक घर से दूसरे घर जाते हैं.
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किशनी विधानसभा क्षेत्र के निवासी पुष्पेंद्र सिंह ने कहा कि मुलायम सिंह यादव ने क्षेत्र के लोगों के लिए सड़क, स्कूल और अस्पताल बनवाने और पानी एवं बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित करने जैसे कई काम किए हैं. उन्होंने सवाल किया, “भाजपा ने यहां के लोगों के लिए क्या किया है?”
भाजपा द्वारा सपा पर वंशवाद की राजनीति करने का आरोप लगाने पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि पार्टी में कोई परिवारवाद नहीं है.
करहल विधानसभा क्षेत्र से बीएससी प्रथम वर्ष के छात्र ऋषि यादव (17) जो भारतीय वायु सेना में शामिल होने के इच्छुक हैं, ने कहा, “मैं 2024 के लोकसभा चुनाव में मतदान करूंगा, लेकिन मैं इस चुनाव और चुनाव अभियान को करीब से देख रहा हूं. सपा उपचुनाव जीतने जा रही है.”
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