बिहार में सियासी तूफान तो यूपी में 'ऑल इज वेल', कांग्रेस-सपा में क्या डन हुई डील?
ठंड के बीच मौसम की तरह बदलने वाली बिहार की राजनीति ने देश के सियासी पारे को जरूर ऊपर चढ़ाया है. फिलहाल सबके मन में एक ही सवाल है कि आखिर बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू के अध्यक्ष नीतीश कुमार का अगला कदम क्या होगा?
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Uttar Pradesh News : इस समय पूरे उत्तर भारत में सर्दी अपने चरम पर है और इस ठंड के साथ आसमान पर छाई कोहरे की चादर ने लोगों की परेशानी डबल कर दी है. इस सर्दी से आम जनता परेशान है और बड़ी बेसब्री से सूरज की तपिश के बढ़ने का इंतजार कर रही है. इस ठंड के बीच मौसम की तरह बदलने वाली बिहार की राजनीति ने देश के सियासी पारे को जरूर ऊपर चढ़ाया है. फिलहाल सबके मन में एक ही सवाल है कि आखिर बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू के अध्यक्ष नीतीश कुमार का अगला कदम क्या होगा?
बिहार में बवाल और यूपी में...
बिहार में आए इस सियासी भूचाल के बीच शनिवार को उत्तर प्रदेश से ऐसी खबर आई जो ठंडे बस्ते में जाते दिख रहे विपक्षी गठबंधन 'इंडिया'को इस सर्दी में गर्मी का एहसास जरुर कराएगा. सपा प्रमुख अखिलेश यादव के खेमे से ऐसी खबर आई कि लोग सोशल मीडिया पर लिखने लगे...भले ही बिहार में कुछ भी चल रहा हो पर यूपी में 'इंडिया'गठबंधन में ऑल इज वेल है. खबर है कि 2024 लोकसभा चुनावों को लेकर यूपी में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी में सीटों को लेकर डील पक्की हो गई है. अखिलेश यादव ने कांग्रेस को 11 सीटें दी हैं. सपा प्रमुख ने खुद सोशल मीडिया पर ये जानकारी दी.
कांग्रेस और सपा की यारी?
सपा की तरफ से साफ किया गया है कि सपा ने कांग्रेस को 11 सीटें ऑफर की हैं. अगर कांग्रेस, अखिलेश यादव को और सीटों पर जिताऊ उम्मीदवारों के बारे में बताती है तो यह सीटें बढ़ाई भी जा सकती हैं. शुरुआती तौर पर सपा ने कांग्रेस को यूपी में 11 सीटें ऑफर की हैं. बता दें कि आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ विपक्षी दल जब कांग्रेस के नेतृत्व में I.N.D.I.A गठबंधन के लिए एकजुट हो रहे थे. तभी समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने कहा था कि वह किसी भी गठबंधन में सीट मांगने वाले की नहीं, बल्कि देने की भूमिका में रहेंगे. 2009 में यूपी के 21 सीटों पर अपना परचम लहराने वाली कांग्रेस फिलहाल 11 सीटों पर चुनाव लड़ती दिख रही है.
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साल 2009 जब कांग्रेस का था यूपी में जलवा
बता दें कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पिछले करीब तीस साल से सत्ता से बाहर है और पार्टी यहां वापसी की राह तलाश रही है. पुरानी कहावत है कि दिल्ली का रास्ता यूपी से ही होकर जाता है, तो दिल्ली की सत्ता पर कब्जा जमाने के लिए कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में मजबूत वापसी की दरकार है. 2009 में जब दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी तो उत्तर प्रदेश में पार्टी का प्रदर्शन शानदार था. यूपी में कांग्रेस ने 21 सीटों पर जीत हासिल की थीं. 2009 के चुनाव में कांग्रेस ने जिन सीटों पर जीत दर्ज की उनमें अकबरपुर, अमेठी, रायबरेली, बहराइच, बाराबंकी, बरेली, धौरहरा, डुमरियागंज, फैजाबाद, फर्रुखाबाद, गोंडा, झांसी, कानपुर, खीरी, कुशीनगर, महाराजगंज मुरादाबाद, प्रतापगढ़, श्रावस्ती, सुल्तानपुर और उन्नाव प्रमुख थीं. फिलहाल कांग्रेस अपना पुराना प्रदर्शन फिर से दोहराते हुए नहीं दिख रही है.
ये आंकड़े बढ़ाएंगे मुश्किल
2019 समाजवादी पार्टी और बसपा ने एक साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ा था. वहीं कांग्रेस ने अपने दम पर 67 पर सीटों पर चुनाव लड़ी और सिर्फ रायबरेली जीत पाई. कांग्रेस को 66 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था.खुद राहुल गांधी अपनी खुद की सीट अमेठी भी नहीं बचा पाए थे. वहीं सपा 37 पर चुनाव लड़ी और पांच पर जीत हासिल की थी. जबकि बसपा 38 पर लड़ी और 10 सीटों पर जीती हासिल की थी. वहीं 2022 में रामपुर और आजमगढ़ हारने के बाद सपा के सिर्फ तीन सांसद हैं. वहीं 2014 की बात करे तो कांग्रेस 67 पर लड़कर सिर्फ दो सीट जीत पाई थी. सपा 75 में पांच और बसपा 80 पर लड़ी और एक भी सीट नहीं जीत पाई.
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