कृषि कानून वापस लिए जाने संबंधी बिल संसद में पारित होने को SP-BSP ने किसानों की जीत बताया

भाषा

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कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए संसद में विधेयक पारित होने को प्रदेश के प्रमुख विपक्षी दलों समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने किसानों की जीत बताया.

एसपी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि बीजेपी की नीयत किसानों के प्रति साफ नहीं है. किसान साल भर से आंदोलन कर रहे हैं, उनकी एकता और दृढ़ता से परेशान और आसन्न विधानसभा चुनावों से डर कर उसने अपने तीन काले कानून वापस तो ले लिए हैं लेकिन किसानों की बुनियादी मांगों पर बात करने से वह अब भी कतरा रही है.

बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने संसद के दोनो सदनों में कृषि कानूनों की वापसी का विधेयक पारित होने को किसानों के लिए थोड़ी राहत और देश के लोकतंत्र की वास्तविक जीत बताया.

यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि बीजेपी चंद पूंजीपति घरानों को फायदा पहुंचाने के लिए किसानों के हितों से खिलवाड़ कर रही है और इसके जवाब में जनता 2022 में उसका सफाया करके देगी.

उन्होंने कहा कि बीजेपी किस तरह किसानों को धोखा दे रही है इसे धान क्रय केन्द्रों में उन्हें परेशान हाल देखकर समझा जा सकता है. तौल में झोल के साथ क्रय केन्द्रों में किसान के धान की खरीद में तमाम अड़ंगे लगाए जाते हैं. बिचौलियों और सरकारी नौकरशाही के साथ नेताओं की साठगांठ के चलते किसान को एमएसपी नहीं मिलती और मजबूरी में उसे औने-पौने दाम में अपनी फसल बेचनी पड़ रही है.

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अखिलेश यादव ने कहा,

किसान बिचौलियों के चंगुल से छूटने के लिए एमएसपी की कानूनी गारंटी की मांग कर रहा है. लेकिन बीजेपी सरकार इस मांग पर नजरें चुरा रही है इससे बहुराष्ट्रीय कम्पनियों और बड़े व्यापारियों को मजबूरन किसानों को वाजिब दाम देना होगा. किसान को बहकाने के लिए बीजेपी सरकार उनकी आय दुगनी करने का झांसा देती है, लेकिन लागत का ड्योढ़ा मूल्य देना भी उसे गंवारा नहीं है.

अखिलेश यादव, एसपी प्रमुख

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बीएसपी नेता मायावती ने सोमवार को ट्वीट किया, ”देश में किसानों के एक वर्ष के तीव्र आंदोलन के फलस्वरूप तीन अति-विवादित कृषि कानूनों की आज संसद के दोनों सदनों में वापसी किसानों को थोड़ी राहत के साथ ही यह देश के लोकतंत्र की वास्तविक जीत है. यह सबक है सभी सरकारों के लिए कि वे सदन के भीतर व बाहर लोकतांत्रिक आचरण करें.”

उन्होंने कहा, ”देश के किसानों की विभिन्न समस्याओं को दूर करने के क्रम में खासकर फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी सुनिश्चित करने की मांग पर केन्द्र की चुप्पी अभी भी बरकरार है. केन्द्र द्वारा इस पर भी सकारात्मक पहल की जरूरत है ताकि किसान खुशी-खुशी अपने घर लौट सकें.’’

उच्च सदन राज्यसभा में सोमवार को कृषि विधि निरसन विधेयक को बिना चर्चा के पारित कर दिया गया. इससे पहले विधेयक लोकसभा में रखे जाने के कुछ ही मिनटों के भीतर पारित हो गया था.

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