बिहार में महाबैठक से पहले एक्सपर्ट्स से समझिए यूपी में कैसी है विपक्षी एकता की तस्वीर

सत्यम मिश्रा

ADVERTISEMENT

UPTAK
social share
google news

UP Politics: लोकसभा चुनाव 2024 करीब हैं. आम चुनावों को लेकर अब राजनीतिक दल एक्टिव हो गए हैं. बिहार की राजधानी पटना में विपक्षी दलों के नेताओं का जमावड़ा लगा हुआ है. समाजवादी पार्टी के चीफ अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav News) भी पटना पहुंच रहे हैं. लोकसभा चुनावों को लेकर नए-नए समीकरण बन रहे हैं, गठजोड़ किए जा रहे हैं, आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है. सभी सियासी दलों की निगाह लोकसभा चुनावों पर हैं. कहते हैं कि दिल्ली का रास्ता यूपी से होकर जाता है. यूपी के पास लोकसभा की 80 सीटे हैं. उत्तर प्रदेश की इस भूमि ने कई प्रधानमंत्री देश को दिए हैं. ऐसे में राजनीतिक जानकारों को लगता है कि यूपी एक बार फिर लोकसभा चुनाव 2024 में अहम भूमिका निभाने जा रहा है. 

उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी, समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी समेत सभी छोटे-बड़े दलों ने अपनी सियासी तैयारियां शुरू कर दी हैं. इन सभी दलों ने कार्यकर्ताओं से भी चुनावों को लेकर कमर कसने के लिए कह दिया है. समाजवादी पार्टी की बात की जाए तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव पर सियासी जानकारों की खास निगाहें हैं. कुछ राजनीतिक जानकारों का कहना है कि अखिलेश सिर्फ पोस्टरों पर ही मजबूत दिख रहे हैं तो कुछ जानकार कह रहे हैं कि अखिलेश लोगों के बीच दिख रहे हैं और वह मजबूत हो रहे हैं. अखिलेश यादव की सियासत को लेकर यूपी तक ने वरिष्ठ पत्रकारों से राय जानी कि आखिर यूपी में विपक्षी एकता की तस्वीर कैसी है और अखिलेश इसमें कहां हैं?

जानिए क्या कहा वरिष्ठ पत्रकारों ने

वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद गोस्वामी का कहना है कि उत्तर प्रदेश में अगर कोई भारतीय जनता पार्टी को टक्कर दे सकता है तो वह अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी ही है. सपा का प्रदेश में संगठन, कार्यकर्ता और सियासत, सभी भाजपा का मुकाबला कर सकते हैं. सपा प्रदेश में अपना दलित, पिछड़ा और अल्पसंख्यक वोट को मजबूत करने में लगी हुई है. प्रमोद गोस्वामी का कहना है कि भाजपा को सबसे ज्यादा फायदा वोटों के बंटवारे से ही मिलता है. आप जो पटना में विपक्षी दलों की एकजुटता देख रहे हैं, वह उसी का ही परिणाम है. सभी का मानना है कि बिना एक हुए भाजपा को रोकना फिलहाल मुश्किल है, क्योंकि अगर अगर यूपी लोकसभा चुनाव में इस बार भी वोट बट गए तो भाजपा एक बार फिर यूपी में रिकॉर्ड लोकसभा सीटे जीत सकती है.

यह भी पढ़ें...

ADVERTISEMENT

‘भाजपा की लोकप्रियता में आई कमी’

पत्रकार प्रमोद गोस्वामी का कहना है कि अखिलेश यादव भी उत्तर प्रदेश में 80 में से 80 लोकसभा जीतने का दावा कर रहे हैं. दूसरी तरफ भाजपा भी 80 में से 80 सीटे जीतने का दावा कर रही है. मगर इस बार भाजपा के लिए ये दावा करना मुश्किल है. भाजपा इस बार इतनी सीट नहीं जीत पाएंगी क्योंकि अब भाजपा की लोकप्रियता पहले से कम है.

क्या बसपा देगी कांग्रेस का साथ?

वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद गोस्वामी ने आगे कहा कि,  बसपा सुप्रीमो मायावती ने इशारों ही इशारों में कांग्रेस के प्रति सॉफ्ट कॉर्नर का  रुख इख्तियार किया है. ऐसे में ये भी चर्चा तेज हो गई है कि क्या लोकसभा चुनाव में बसपा और कांग्रेस गठबंधन करेंगे?

ADVERTISEMENT

प्रमोद गोस्वामी ने कहा, अखिलेश यादव के साथ जो छोटे दल पहले जुड़े थे, उनसे अलग होने का कुछ खास फर्क नहीं पड़ता. अगर ओमप्रकाश राजभर, संजय चौहान और जयंत अखिलेश से अलग हो जाते हैं, तो अखिलेश को कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा. जनता समझ चुकी है कि यह सभी नेता अवसरवादी हैं. जिस तरफ हवा बहती है ये सभी उसी तरह बहते हुए चले जाते हैं. 

वरिष्ठ पत्रकार अजय कुमार ने ये बताया

वरिष्ठ पत्रकार अजय कुमार का कहना है कि अखिलेश यादव सिमट कर रह गए हैं. अजय कुमार ने कहा कि अखिलेश और सपा की जो साख जनता के बीच होनी चाहिए थी, वह अब नहीं रही. अखिलेश को अब जमीन पर उतरकर कार्यकर्ताओं के साथ सांठगांठ बढ़ानी होगी. अखिलेश का 80 हराओं भाजपा भगाओं के नारे से कुछ नहीं होने वाला. 

ADVERTISEMENT

अजय कुमार ने बसपा को लेकर कहा कि, बसपा अब भाजपा की पार्टी बताई जाती है. ऐसे में अब जनता को बसपा पर ज्यादा विश्वास नहीं रहा. बसपा को लोकसभा चुनाव में एक भी सफलता मिलेगी या नहीं, कुछ कहा नहीं जा सकता. 

मोदी अभी भी लोकप्रिय

अजय कुमार ने कहा कि भाजपा के पास पीएम मोदी का चेहरा है. मोदी का चेहरा जनता में अभी भी फेंमस है. अखिलेश के साथ पहले जो छोटे दल थे, अब वह भी उनसे दूर जा रहे हैं. अखिलेश के सामने चुनौती बड़ी है. पीएम मोदी राजनीति के बड़े खिलाड़ी हैं. वह चुनाव से पहले क्या गेम खेल दें, यह कोई नहीं जानता. विधानसभा चुनाव में राम मंदिर का मुद्दा रहा, अब लोकसभा चुनाव में भाजपा क्या मुद्दा लाएगी वह पीएम मोदी ही जानते हैं. भाजपा और पीएम मोदी का जानना और समझ पाना मुश्किल है.

पीडीए सिर्फ नई शब्दावली

वरिष्ठ पत्रकार सुरेंद्र दुबे ने यूपी तक से बात करते हुए कहा कि अखिलेश पीडीए शब्द लेकर आए हैं. चर्चाएं चल रही हैं कि पीडीए तबका अखिलेश के साथ आएगा. मेरा मानना है कि यह सिर्फ नई शब्दावली है. अखिलेश के पीडीए में पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक आते हैं तो एनडीए के पीडीए में भी पिछड़ा, दलित और अगड़ा आते हैं. 

भाजपा जीत रही यूपी में इतनी सीटे

वरिष्ठ पत्रकार सुरेंद्र दुबे के मुताबिक,  बीजेपी का जो इंटरनल सर्वे है उसमें वह उत्तर प्रदेश में 80 में से 40 से 45 सीटें जीत रही है. भाजपा के सामने भी मुश्किल है. सुरेंद्र दुबे का मानना है कि जयंत अखिलेश का साथ छोड़कर नहीं जाएंगे. सपा और भाजपा, दोनों 80-80 सीटें जीतने का दावा कर रही हैं. मगर 80 सीटे दोनों में से कोई भी नहीं जीतेगा.

    follow whatsapp

    ADVERTISEMENT