अयोध्या डीएम आवास का साइन बोर्ड भगवा से हुआ हरा फिर लाल, क्या कोई ‘सियासी खेल’ चल रहा?
27 फरवरी को पांचवे चरण के तहत उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की वोटिंग होने बाद फिर एक बार ‘रंगों की सियासत’ के चलते अयोध्या चर्चा…
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27 फरवरी को पांचवे चरण के तहत उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की वोटिंग होने बाद फिर एक बार ‘रंगों की सियासत’ के चलते अयोध्या चर्चा के केंद्र में है. इसका मुख्य कारण है अयोध्या जिलाधिकारी नीतीश कुमार के अस्थाई आवास का साइन बोर्ड. दरअसल, 2 मार्च को जिलाधिकारी के अस्थाई आवास के बोर्ड का रंग भगवा से बदलकर पुराने हरे रंग में कर दिया गया था, जिसे लेकर राजनीति तेज हो गई थी. वहीं, अब उसी बोर्ड का रंग हरे से बदलकर लाल कर दिया गया है.
क्या है पूरा मामला?
अयोध्या का जिलाधिकारी आवास सितंबर 2021 से निर्माणाधीन है. अंग्रेजों के समय के बने इस आवास को अब नए सिरे से बनाया जा रहा है. इसी वजह से अयोध्या के मौजूदा जिलाधिकारी नीतीश कुमार लोक निर्माण विभाग के अतिथि गृह में रहते हैं और यही इनका कैंप कार्यालय भी है. पूर्व डीएम अनुज कुमार झा के समय ही जिलाधिकारी आवास को यहां स्थानांतरित किया गया था. उस समय यहां एक बोर्ड लगाया गया था, जिसपर भगवा रंग के बैकग्राउंड पर सफेद रंग से ‘आवास जिलाधिकारी अयोध्या’ लिखा गया था. जिसे बुधवार, 2 मार्च कि अचानक बदल दिया गया.
वहीं, 24 घंटे के भीतर ही एक बार फिर उसी साइन बोर्ड का रंग बदल दिया गया है. अब हरे रंग के बैकग्राउंड के स्थान पर लाल जैसा रंग लगाया गया है. लिहाजा एक बार फिर सरगर्मी तेज है और चर्चाओं का माहौल है.
क्यों उठ रहे सवाल?
जिलाधिकारी आवास के बोर्ड का रंग बदलने से ज्यादा इसकी टाइमिंग को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं. दरअसल, उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव अभी पूरी तरह से संपन्न नहीं हुए हैं. ऐसे समय में छठवें चरण के मतदान के 1 दिन पहले अयोध्या जैसे चर्चित जिले के जिलाधिकारी आवास के बोर्ड का रंग भगवा से हरा करना स्वतः ही चर्चाओं में आ गया.
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एसपी के नेता दावा करने लगे की ‘अधिकारी मौसम वैज्ञानिक होते हैं, उनको पता लग गया है कि अखिलेश आ रहे हैं योगी जा रहे हैं. चर्चाओं ने जोर पकड़ा और बात अयोध्या से दिल्ली तक पहुंची तो हड़कंप मच गया, लिहाजा 24 घंटे के भीतर एक बार फिर जिलाधिकारी आवास के साइन बोर्ड का रंग बदल दिया गया है.
यह बात अलग है कि हरा बैकग्राउंड हटाकर पूरी तरह भगवा रंग इस्तेमाल नहीं किया गया है, बल्कि उसके स्थान पर लाल रंग का इस्तेमाल किया गया है. अब ‘रंगो की यह सियासत’ और कितने रंग दिखाती है यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा.
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