नीतीश कुमार के बाद क्या सीटों के बंटवारे को लेकर अखिलेश यादव के झटके से उबर पाएगा INDIA गठबंधन?

कुमार अभिषेक

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सपा प्रमुख अखिलेश यादव (बाएं) और कांग्रेस नेता राहुल गांधी (दाहिने)
सपा प्रमुख अखिलेश यादव (बाएं) और कांग्रेस नेता राहुल गांधी (दाहिने)
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पिछले एक हफ्ते में देश में जो सियासी घटनाक्रम बदला है उसमें बंगाल और बिहार के बाद उत्तर प्रदेश का भी बड़ा रोल है. खासकर इंडिया ब्लॉक को ममता और नीतीश के बाद अब अखिलेश यादव ने भी झटका दे दिया है. अखिलेश यादव ने सीधे तौर पर कांग्रेस के साथ चुनाव नहीं लड़ने जैसी कोई बात नहीं की है लेकिन कांग्रेस के लिए अखिलेश यादव ने उनके सियासी दायरे की लकीर खींच दी है. जिस वक्त बिहार से महागठबंधन सरकार के विदाई की इबारत लिखी जा रही थी ठीक उसी वक्त अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कांग्रेस पार्टी के लिए 11 सीटें तय कर दीं और यह भी लिख दिया कि कांग्रेस के साथ मजबूत गठबंधन की दिशा में प्रयास चल रहा है. 

कांग्रेस पार्टी को तब यह पता भी नहीं था कि समाजवादी पार्टी ने उनके लिए 11 सीटें तय कर दी हैं. अखिलेश यादव के ट्वीट के आते ही कांग्रेस को ऐसा लगा मानो कोई वज्रपात हो गया हो क्योंकि समाजवादी पार्टी ने बिना कांग्रेस का इंतजार किये एकतरफा फैसला कर लिया और यह उस कांग्रेस पार्टी के लिए सदमे जैसी स्थिति थी जिसके वरिष्ठ नेताओं की कमेटी सीटों के बंटवारे पर बात कर रही थी.

अखिलेश यादव ने जैसे ही 11 सीट कांग्रेस के लिए ऐलान किया कांग्रेस पार्टी तिलमिला गई. अखिलेश यादव के इस हमले के लिए तैयार ही नहीं थी कांग्रेस. कांग्रेस ने संयम तो रखा लेकिन अपनी तरफ से इस फैसले को न मानते हुए गोल-मोल बातें शुरू कर दी ना तो उन्होंने अखिलेश के फैसले को नकारा और ना ही इस फैसले को माना. कांग्रेस ने अखिलेश यादव के ट्वीट पर यह कह कर अपनी तरफ से सफाई दी कि अखिलेश यादव ने उनके लिए सीटें नहीं तय की हैं, बल्कि मिलने वाली सीटों की पहली किस्त का ऐलान किया है, जबकि अभी बातचीत आगे चलेगी और अभी आगे कई सीटें पार्टी को मिलेगी और पार्टी ने जो अपने लिए सीटों की संख्या तय की है पार्टी उतने पर ही गठबंधन में जाएगी.

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बता दें कि समाजवादी पार्टी ने न सिर्फ 11 सीट कांग्रेस के लिए तय कर दी हैं, बल्कि 11 सीटों में कौन-कौन सी सीट होगी, इसका भी चयन कर लिया है. हालांकि इसका ऐलान नहीं किया है. 

सूत्रों की मानें तो समाजवादी पार्टी कांग्रेस के लिए अमेठी और रायबरेली के अलावा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में फतेहपुर सिकरी या आगरा, बुलंदशहर, नोएडा, गाजियाबाद, सहारनपुर, कानपुर और महाराजगंज जैसी सीटों की लिस्ट तैयार कर रखी हैय. अगर कांग्रेस के साथ बात बनती है तो यह सीटें सपा कांग्रेस को ऑफर करने जा रही है. हो सकता है कि समाजवादी पार्टी की तरफ से सीटों की लिस्ट को भी X प्लेटफार्म पर सार्वजनिक कर दिया जाए. 

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हालांकि कांग्रेस पार्टी ने जो अपनी 25 मजबूत सीटों की लिस्ट दी है, उसमें इन सीटों का जिक्र भी है. बड़ा सवाल यह है कि आखिर जब कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच सीट बंटवारे को लेकर बातचीत चल रही थी तो फिर अखिलेश ने यह एक तरफा बंटवारे का फैसला क्यों किया, तो बात बिल्कुल साफ है कि अखिलेश यादव ने कांग्रेस की भाषा में ही कांग्रेस को जवाब दे दिया.

दरअसल, कांग्रेस पार्टी सीट बंटवारे फैसला करने के लिए डे-टु-डे मीटिंग करने के बजाय उसे टालती जा रही थी. कभी बड़े नेताओं की व्यस्तता का बहाना तो कभी राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का बहाना. ऐसे में मीटिंग नहीं हो पा रही थी और अखिलेश यादव सीट शेयरिंग की बात अब लंबे वक्त तक टालने के मूड में नहीं थे. ऐसे में उन्होंने जो कांग्रेस पार्टी के लिए सीटें तय कर रखी थी, उसका उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफार्म X पर ऐलान कर दिया. यही नहीं, अखिलेश यादव ने मध्य प्रदेश चुनाव के वक्त सपा के साथ कांग्रेस के रवैया का बदला भी ले लिया, जब समाजवादी को बातचीत की टेबल पर बिठाकर कांग्रेस पार्टी ने अपनी सीटों का ऐलान कर दिया था.

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बहरहाल पिछले एक हफ्ते के सियासी घटनाक्रम ने कांग्रेस पार्टी को एक के बाद एक झटका दिया है और उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव भी इसमें पीछे नहीं रहे. कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडे मंगलवार को लखनऊ आ रहे हैं और कांग्रेस पार्टी को उम्मीद है कि कुछ और सीटों पर अभी बात बनेगी. सपा के अंदरूनी सूत्र बताते हैं कि 11 सीटों के अलावा दो-चार सीटें कांग्रेस को और दी जा सकती है, लेकिन अगर कांग्रेस 25 सीटों का एक आंकड़ा मान बैठी है तो यह संभव नहीं है.

दरअसल, कांग्रेस पार्टी को लगता है कि उत्तर प्रदेश में अगर 20 से कम सीटों पर वह चुनाव लड़ती है तो यह उसके इमेज और पार्टी कार्यकर्ताओं के मनोबल के लिहाज से अच्छा नहीं होगा. इसलिए कांग्रेस पार्टी हर हाल में 20 से 25 सीटें समाजवादी पार्टी से चाहती हैं. लेकिन बड़े सियासी खिलाड़ी की तरह अखिलेश यादव ने कांग्रेस से संबंध भी नहीं तोड़ा लेकिन उसे कहीं का भी नहीं छोड़ा. अब नजरें इस ओर टिकी है कि कांग्रेस पार्टी क्या अखिलेश यादव के साथ क्या इतनी सीटों पर गठबंधन को तैयार है या फिर किसी और विकल्प के साथ जाती है. 
 

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