ओवैसी ने सुनाया पुरानी संसद का वो किस्सा जब खाना खा रहे थे मुलायम, बगल में गिरा छत का हिस्सा

यूपी तक

ADVERTISEMENT

UPTAK
social share
google news

28 मई को संसद के नए भवन का उद्घाटन प्रस्तावित है. उद्घाटन कार्यक्रम में सरकार की तरफ से सभी राजनीतिक दलों को आमंत्रित किया गया है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 28 मई को संसद के नए भवन का उद्घाटन करेंगे. संसद के नए भवन के उद्घाटन कार्यक्रम को लेकर अब राजनीति तेज हो गई है.

विपक्ष के 19 दलों ने संसद के नए भवन के उद्घाटन समारोह का बुधवार को सामूहिक रूप से बहिष्कार करने का ऐलान किया है.

इस बीच, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने न्यूज एजेंसी ANI से कहा,

“हम प्रधानमंत्री से अपील करते हैं कि आप पीछे हट जाइए और स्पीकर ओम बिड़ला को उद्घाटन करने दें. अगर प्रधानमंत्री ऐसा करेंगे तो हम कार्यक्रम में जरूर जाएंगे.”

इस दौरान असदुद्दीन ओवैसी ने समाजवादी पार्टी के संस्थापक दिवंगत मुलायम सिंह यादव को लेकर एक किस्सा सुनाया है. उन्होंने कहा कि साल 2012 या 2013 में दिवंगत मुलायम सिंह यादव साहब जब अपनी पार्टी के ऑफिस में खाना खा रहे थे, तो बिल्डिंग (संसद भवन) का एक हिस्सा उनके टेबल के बगल में गिरा था.

यह भी पढ़ें...

ADVERTISEMENT

उन्होंने कहा कि नए संसद भवन की जरूरत है, इसे कोई अस्वीकार नहीं कर सकता है.

ओवैसी ने कहा,

ADVERTISEMENT

“हम शुरू से इस बात को कह रहे हैं कि प्रधानमंत्री मोदी ने जब संसद के नए भवन का शिलान्यास किया था तब मैंने उस वक्त कहा था कि ये कार्यपालिका का विधायिका में गैर जरूरी हस्तक्षेप हो रहा है. उनको नहीं करना चाहिए था.”

उन्होंने कहा कि संसद के नए भवन का पीएम मोदी को उद्घाटन नहीं करना चाहिए, क्योंकि ये थ्योरी ऑफ सेपरेशन ऑफ पावर का उल्लंघन है.

‘सेंगोल’ को नए संसद भवन में किया जाएगा स्थापित

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि ब्रिटिश हुकूमत द्वारा भारत को सत्ता हस्तांतरित करने के प्रतीक स्वरूप प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को दिए गए ऐतिहासिक ‘सेंगोल’ को नए संसद भवन में स्थापित किया जाएगा.

ADVERTISEMENT

लोकसभा में अध्यक्ष के आसन के पास ‘सेंगोल’ को प्रमुखता से लगाया जाएगा.

अमिच ने कहा कि ‘सेंगोल’ स्थापित करने का उद्देश्य तब भी स्पष्ट था और अब भी है. उन्होंने कहा कि सत्ता का हस्तांतरण महज हाथ मिलाना या किसी दस्तावेज पर हस्ताक्षर करना नहीं है और इसे आधुनिक जरूरतों को ध्यान में रखते हुए स्थानीय परंपराओं से जुड़ा रहना चाहिए.

भारत को ‘सेंगोल’ मिलने की पीछे ये कहानी

देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने अंग्रेजों से सत्ता के हस्तांतरण के प्रतीक के तौर पर ‘सेंगोल’ प्राप्त किया था.

‘सेंगोल’ का इस्तेमाल 14 अगस्त, 1947 को अंग्रेजों से भारतीय हाथों में सत्ता हस्तांतरित करने के लिए किया गया था और इसे तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने राजेंद्र प्रसाद और कई अन्य लोगों की उपस्थिति में स्वीकार किया था. राजेंद्र प्रसाद बाद में देश के पहले राष्ट्रपति बने थे.

‘सेंगोल’ शब्द तमिल शब्द “सेम्मई” से लिया गया है, जिसका अर्थ है “नीतिपरायणता”.

‘न्याय’ के प्रेक्षक के रूप में, अपनी अटल दृष्टि के साथ देखते हुए हाथ से उत्कीर्ण नंदी ‘सेंगोल’ के शीर्ष पर विराजमान हैं. ‘सेंगोल’ को ग्रहण करने वाले व्यक्ति को न्यायपूर्ण और निष्पक्ष रूप से शासन करने का ‘आदेश’ (तमिल में‘आणई’) होता है.

    Main news
    follow whatsapp

    ADVERTISEMENT