ज्ञानवापी में शिवलिंग के दावों पर जो जगह सील हुई उसके लिए शासकीय अधिवक्ता ने की ये नई मांग
उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले की एक अदालत ने सोमवार को जिला प्रशासन को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के उस हिस्से को सील करने का निर्देश…
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उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले की एक अदालत ने सोमवार को जिला प्रशासन को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के उस हिस्से को सील करने का निर्देश दिया, जहां एक शिवलिंग मिलने का दावा किया गया है. अब अदालत के इसी निर्देश को लेकर जिला शासकीय अधिवक्ता महेंद्र प्रसाद पांडे ने एक याचिका दायर कर अपनी तीन मांग रखी हैं.
याचिका में ये मांग की गई हैं-
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“माननीय न्यायालय द्वारा जिस परिसर को सील करने का आदेश पारित किया गया है, वह मानव निर्मित 3 फीट का गहरा तालाब है, जिसके चारों तरफ पाइप लाइन व नल लगा है. इसका प्रयोग नमाजी वजू करने के लिए करते हैं. इस परिसर के सील होने के दृष्टिगत वजू करने के लिए पाइप लाइन को सील क्षेत्र से बाहर शिफ्ट करना आवश्यक प्रतीत होता है.
“सील किए हुए परिसर में कुछ शौचालय हैं, जिनका प्रयोग नमाजी करते हैं. इनकी अन्य कोई एंट्री नहीं है.”
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“मानव निर्मित तालाब में पानी भरा हुआ है जिसमें कुछ मछलियां हैं. परिसर के सील बंद होने की दशा में मछलियां भी बंद हो गई हैं, जिनके जीवन को खतरा हो सकता है. अतः इन्हें स्थानान्तरित करना आवश्यक प्रतीत होता है.”
याचिका में आगे कहा गया है, “अतः माननीय न्यायालय से प्रार्थना है कि उपरोक्त कारणों का करते हुए इसमें समुचित निर्देश करने का कष्ट करें. अथवा इस बिंदु पर भी कोर्ट कमिश्नर को नामित करके उनके माध्यम से इसकी रिपोर्ट प्राप्त कर यथोचित आदेश/निर्देश जारी करने की कृपा करें, ताकि न्याय होवें.”
गौरतलब है कि वाराणसी की एक स्थानीय अदालत के आदेश पर ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर किए गए सर्वे का काम सोमवार को समाप्त हुआ. हिन्दू पक्ष का दावा है कि मस्जिद के वजू खाने में शिवलिंग मिला है. इसके बाद अदालत ने जिला प्रशासन को कथित शिवलिंग तथा उसके पाए जाने के स्थान को सील करके वहां किसी के भी जाने पर पाबंदी लगा दी है.
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हालांकि मुस्लिम पक्ष शिवलिंग मिलने के दावे को गलत ठहरा रहा है. उसका कहना है कि मुगल काल की मस्जिदों में वजू खाने के अंदर फव्वारा लगाए जाने की परंपरा रही है. उसी का एक पत्थर सर्वे में मिला है, जिसे शिवलिंग बताया जा रहा है.
ज्ञानवापी में शिवलिंग मिलने के हल्ले के बीच जानें अबतक क्या-क्या हुआ, किसका पलड़ा भारी?
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