AMU के प्रोफेसर बोले- काशी विश्वनाथ मंदिर कई बार तोड़ा गया पर आज औरंगजेब का जमाना नहीं
काशी के ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे के आखिरी दिन कथित शिवलिंग मिलने की बात ने एक बार फिर ये चर्चा छेड़ दी है कि प्राचीन…
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काशी के ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे के आखिरी दिन कथित शिवलिंग मिलने की बात ने एक बार फिर ये चर्चा छेड़ दी है कि प्राचीन काशी विश्वनाथ मंदिर की प्राचीन स्थिति क्या थी? इसपर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर अली नदीम रिजवी ने कहा कि यह ऐसा मंदिर है जिसके बारे में कोई दो राय नहीं है कि इसे तोड़ा गया.
प्रोफेसर रिजवी ने कहा कि इस मंदिर को एक बार नहीं तोड़ा गया था बल्कि इसके बारे में कहा जाता है कि इस मंदिर को कई बार तोड़ा गया था. जयपुर के शासक थे राजा मिर्जा जयसिंह उन्होंने अकबर के जमाने में इसको दोबारा बनवाया था.
औरगंजेब का समय आते-आते फिर इसके ऊपर कुछ ना कुछ हुआ था. जहांगीर के समय में भी कुछ ना कुछ कहानी मिलती है, लेकिन औरंगजेब के समय में एक कहानी जो बताई जाती है कि औरगंजेब अपने लश्कर के साथ इधर बढ़ रहे थे जब उनको यह इत्तला दी गई कि किसी औरत के साथ वहां के ब्राह्मणों ने कुछ अश्लील हरकत की है और जिस पर इंक्वायरी बिठा दी गई. कहानी आगे बताती है कि ब्राह्मणों ने इस डर से कि औरगंजेब आकर कोई ऐसा कदम ना उठा दे जो उनके लिए हानिकारक हो तो उन्होंने जल्दी-जल्दी उसको छुपाने की कोशिश की.
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बन रहा मंदिर ऐसे मस्जिद में हुआ कनवर्ट
जयपुर घराने के लोग मंदिर के इंचार्ज थे. उन्होंने बचने के लिए आधा मंदिर जो बन चुका था उसको एकदम से मस्जिद में कन्वर्ट करा दिया. यह कहानी है इसमें कितनी सच्चाई है? तथ्य यह है कि आज की तारीख में एक हिस्से में कुछ ऐसे अवशेष मिलते हैं जो यह गवाही देते हैं कि वहां किसी जमाने में मंदिर था, लेकिन जो स्ट्रक्चर वहां खड़ा हुआ है वह एक मस्जिद का है.
हम आज के जमाने में ना औरगंजेब के पीरियड में रह रहे हैं ना अकबर के पीरियड में रह रहे हैं. हमें एक ऐसे मुल्क में रह रहे हैं जो संविधान से चलता है. जो एक सेकुलर देश है. हमारा संविधान यह हर एक को हक देता है कि जो चीज जिस अंदाज में आजादी के वक्त थी वैसे ही उसे मेंटेन किया जाए.
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1991 में एक ऐसा रूल भी बनाया गया था जिस पर कहा गया था कि अब बाबरी मस्जिद के बाद जितने भी पुराने स्ट्रक्चर है उनको उसी हालत में मेंटेन किया जाएगा, जिस हालत में 1947 में आजादी के वक्त मिले थे.
अब अगर पुराने मुर्दे उखाड़ने हैं तो मैं यह भी पूछना चाहता हूं कि जो प्राचीन काल में जैन और बुद्ध स्ट्रक्चर को गिराकर शैव और वैष्णो बनाया गया तो उनको भी आप तोड़ेंगे. अगर आपने यह सिलसिला शुरू कर दिया कि आज से 400 साल पहले क्या हुआ था तो क्या कोई भी स्ट्रक्चर इस हिंदुस्तान में बचेगा?
आज जिस अंदाज में 1947 में हम आजाद हुए थे और जैसे हमने शपथ ली थी कि हम हिंदू और मुसलमान सब मिलकर इस देश को चलाएंगे. वही हमको अलग करता था. जिन्ना के उस कंसेप्ट से जहां पर मजहब के नाम से एक देश बनाया गया. दुर्भाग्यवश आज हम यह कह रहे हैं कि शायद जिन्ना सही थे और मजहब के नाम से ही देश चलना चाहिए.
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जयपुर के घराने वालों ने एक मंदिर बनाया था जो काफी साल चला और बीच में औरगंजेब के समय में उसको किसी न किसी वजह से कन्वर्ट किया गया. अगर इसको जबरदस्ती कन्वर्ट किया गया तो खंडन करने के लायक है. कोई ऐसा काम नहीं है जिसकी तारीफ की जाए, लेकिन अगर आज भी आप वही काम रिपीट करेंगे तो किस मुंह से औरंगजेब को बुरा कहेंगे.
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