ज्ञानवापी: अब शिवलिंग बनाम फव्वारे की लड़ाई! वायरल वीडियो में क्या दिख रहा है, यहां जानिए

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वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में लगातार तीन दिन तक चले सर्वे-वीडियोग्राफी के बाद दावों के तूफान हैं और अपने-अपने बयान हैं. सोमवार को तीसरे दिन के सर्वे के बाद खबर आई कि ‘पूरा हुआ नंदी का इंतजार, बाबा मिल गए.’ दरअसल, हिंदू पक्ष की ओर से दावा किया गया कि मस्जिद के भीतर वजूखाने में शिवलिंग मिला है. वहीं, दूसरी तरफ हिंदू पक्ष के दावे को नकारते हुए मुस्लिम पक्ष ने अपना दावा पेश करते हुए कहा कि जो वजूखाने में मिला है वो शिवलिंग नहीं फव्वारा है. अब दोनों पक्षों की ओर से किए जा रहे दावों के बीच एक वीडियो सामने आया है, जिसे ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने का बताया जा रहा है.

आपको बता दें कि वायरल वीडियो में गोलाकार शेप में कटे पत्थर के बीच एक आकृति दिखाई दे रही है, जिसे शिवलिंग होने का दावा किया जा रहा है. वहीं, दूसरी तरफ इस आकृति को फव्वारा होने का दावा भी किया जा रहा है. वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि कुछ लोग उस स्थान की सफाई कर रहे हैं.

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फव्वारे के टूटे पत्थर को शिवलिंग बता कर अफवाह फैलायी जा रही: शाहनवाज आलम

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अल्पसंख्यक कांग्रेस अध्यक्ष शाहनवाज आलम ने बनारस की निचली अदालत द्वारा ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर सर्वे में कथित शिवलिंग मिलने के बाद उस स्थान को सील करने के आदेश को अदालत के सांप्रदायिक हिस्से और सांप्रदायिक मीडिया के गठजोड़ से देश का माहौल बिगाड़ने का षड्यंत्र बताया है.

उन्होंने कहा,

“दो दिनों तक कथित सर्वे के बाद कुछ भी नहीं मिलने पर तीसरे दिन सांप्रदायिक मीडिया और इस मामले में शुरू से ही गैर विधिक रवैय्या अपनाए जज के सहयोग से मस्जिद में वजू करने के लिए बने पुराने फव्वारे के बीच में लगे पत्थर, जो कालांतर में टूट गया था को ही टूटा हुआ शिवलिंग बताकर अफवाह फैलाई जा रही है. देश के करीब सभी पुरानी और बड़ी मस्जिदों में इस तरह के फव्वारे और उसके बीच में ऐसे ही पत्थर लगे हुए हैं.”

शाहनवाज आलम

शाहनवाज आलम ने कहा कि ‘सवाल उठता है कि क्या 1937 और 1942 में ये कथित शिवलिंग जिसे आज सर्वे टीम खोज निकालने का दावा कर रही है, वहां मौजूद नहीं था. और अगर तब नहीं था तो आज कैसे मिल गया?’

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उधर, विश्व हिंदू परिषद के कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए सोमवार को कहा, “सर्वे के दौरान एक कमरे में शिवलिंग प्राप्त हुआ. यह बहुत आनंद का समाचार है.”

उन्होंने प्रयागराज में कहा, “यह शिवलिंग दोनों पक्षों के वकीलों की उपस्थिति में प्राप्त किया गया. इसलिए वह स्थान जहां शिवलिंग है, वह मंदिर है…अब भी है और 1947 में भी था, यह स्वयं सिद्ध हो चुका है.”

गौरतलब है कि वाराणसी की एक स्थानीय अदालत के आदेश पर ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर किए गए सर्वे का काम सोमवार को समाप्त हुआ. हिन्दू पक्ष का दावा है कि मस्जिद के वजू खाने में शिवलिंग मिला है. इसके बाद अदालत ने जिला प्रशासन को कथित शिवलिंग तथा उसके पाए जाने के स्थान को सील करके वहां किसी के भी जाने पर पाबंदी लगा दी है.

हालांकि मुस्लिम पक्ष शिवलिंग मिलने के दावे को गलत ठहरा रहा है. उसका कहना है कि मुगल काल की मस्जिदों में वजू खाने के अंदर फव्वारा लगाए जाने की परंपरा रही है. उसी का एक पत्थर सर्वे में मिला है, जिसे शिवलिंग बताया जा रहा है.

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