राजा भैया के पिता राजा उदय प्रताप को प्रशासन ने किया नजरबंद, मोहर्रम से जुड़ा है पूरा विवाद

सुनील यादव

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Pratapgarh News: प्रतापगढ़ के बाहुबली विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया हमेशा चर्चाओं में बने रहते हैं. मगर इस बार उनके पिता राजा उदय प्रताप सिंह चर्चाओं में हैं. दरअसल प्रशासन ने राजा भैया के पिता राजा उदय प्रताप सिंह को नजर बंद कर दिया है. राजा उदय प्रताप सिंह के साथ 11 अन्य लोगों को भी प्रशासन ने नजरबंद किया है. आखिर बाहुबली विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के पिता को प्रशासन ने क्यों नजरबंद किया? आइए आपको बताते हैं. 

मिली जानकारी के मुताबिक, बड़े राजा उदय प्रताप सिंह को प्रशासन ने मोहर्रम को लेकर नजरबंद किया है. दरअसल राजा भैया के पिता मोहर्रम के दिन भंडारे का आयोजन करवाते हैं. इसमें भारी संख्या में कुंडा निवासी आते हैं. ऐसे में पुलिस-प्रशासन के सामने कानून व्यवस्था को लेकर बड़ी चुनौती बनी रहती है. पुलिस-प्रशासन का मकसद है कि मोहर्रम के दिन किसी प्रकार का विवाद ना हो.

आखिर क्या है पूरा विवाद

दरअसल ये पूरा विवाद सड़क किनारे मस्जिदनुमा गेट को लेकर है. पिछले साल मोहर्रम के दिन सड़क किनारे मस्जिदनुमा गेट लगाने को लेकर राजा भैया के पिता उदय प्रताप धरने पर बैठ गए थे. धरने में शामिल होने के लिए राजा भैया के दोनों बेटे भी पहुंच गए थे.

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मामला बड़ा था. ऐसे में प्रशासन फौरन हरकत में आ गया था. धरने के बीच तत्कालीन जिलाधिकारी नितिन बंसल और पुलिस अधीक्षक सत्यपाल अंतिल भी पहुंचे और धरना खत्म करने की अपील की. मगर राजा भैया के पिता ने साफ कहा कि पहले मस्जिद नुमा गेट हटाया जाए उसके बाद ही वह धरना खत्म करेंगे. 

इस बार राजा भैया के पिता राजा उदय सिंह शांत हैं. अभी तक उन्होंने कोई कदम नहीं उठाया है. मगर प्रशासन पूरी तरह से सतर्कता बरत रहा है. इसलिए प्रशासन ने राजा भैया के पिता को भदरी कोठी में नजर बंद कर दिया है.

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कहां से शुरू हुआ था ये पूरा विवाद

मिली जानकारी के मुताबिक, ये बात साल 2011 की है. कुंडा कोतवाली के शेखपुर आशिक गांव में एक लंगूर की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. लंगूर की हत्या किसने की, इसका खुलासा नहीं हो पाया. इस घटना के बाद राजा उदय प्रताप ने लंगूर की याद में साल 2014 में हनुमान मंदिर बनवाया और हर साल वहां भंडारे का आयोजन करने लगे. विवाद ये है कि जिस दिन बंदर की हत्या की गई थी और जिस दिन भंडारे का आयोजन होता है, वह दिन मोहर्रम का भी होता है. इसी को लेकर ये विवाद हर साल होता है. 

2015 में 3 दिन तक ताजिया नहीं हुआ था दफन 

बता दें कि 2015 में जब यूपी में समाजवादी पार्टी की सरकार थी, उस समय कुंडा के शेखपुर आशिक गांव में तीन दिन तक ताजिया नही उठा था. इसको लेकर भारी विवाद भी हुआ था. उस समय राजा भैया सपा सरकार में मंत्री थे. 

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मुस्लिम पक्ष गया था हाईकोर्ट 

साल 2016 में मोहर्रम के दिन ही भंडारे के आयोजन को लेकर मुस्लिम पक्ष हाई कोर्ट पहुंचा था. इसके बाद कोर्ट ने जिला प्रशासन को अपने स्तर से मामले को संभालने के लिए कहा था. इसके बाद से ही प्रशासन ने मोहर्रम के दिन ही बड़े राजा उदय प्रताप को उनको भदरी कोठी पर ही नजर बंद करना शुरू कर दिया.

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