मां ने किया संघर्ष! बकरी बेची और भेजा अमेरिका, आज कोलंबिया में रिसर्च स्कॉलर हैं मुनीर खान

अभिषेक वर्मा

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Lakhimpur Kheri News: हर मां का सपना होता है कि उसके बच्चों को अच्छी शिक्षा मिले, वे पढ़ लिख कर कामयाब इंसान बने. मां के संघर्षों का एक और बड़ा उदाहरण आज हम आपको बताने जा रहे हैं. इसमें एक मां ने अपनी बकरियां बेचकर अपने बच्चे को पढ़ने के लिए अमेरिका भेजा और आज वो एक कामयाब इंसान बन गया है. इस खबर को जानकार आपको यकीन हो जाएगा कि मां अपने बच्चों को कामयाब बनाने के लिए क्या कुछ नहीं कर सकती है!

लखीमपुर खीरी जिले से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने एक बार फिर साबित कर दिया है कि गरीबी से लड़कर भी अपने सपनों को पूरा किया जा सकता है. बता दें कि बेहजम ब्लॉक के गौरिया गांव के रहने वाले मुनीर खान की मां जाफरी ने गरीबी में बकरी चराकर और घर की चौखट पर परचून की छोटी सी दुकान खोलकर अपने बच्चे को खूब पढ़ाया, जिसका परिणाम यह रहा कि आज उनका बेटा मुनीर खान अमेरिका की कोलंबिया यूनिवर्सिटी में रिसर्च स्कॉलर है.

पिता करते थे मजदूरी का काम

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बता दें कि पांच भाइयों और तीन बहनों में सबसे छोटे बेटे मुनीर खान जब 1 साल के थे तभी उनके पिता का निधन हो गया था. वह मजदूरी करते थे. बड़े परिवार को संभालने की जिम्मेदारी पति के निधन के बाद पत्नी जाफरी पर आ गई. इसके बाद संघर्षों का ऐसा सफर शुरू हुआ जो मुश्किल तो था लेकिन उसका परिणाम उतना ही सुखद रहा.

मां ने अपने बच्चे मुनीर खान का दाखिला गांव के ही प्राथमिक विद्यालय में करवा दिया. कुछ ही दिनों के बाद उनके घर पर टीचर आने लगे और कहने लगे कि आपका यह बच्चा पढ़ाई में काफी आगे है. इसका एडमिशन किसी अच्छी जगह करवा दीजिए, लेकिन उस वक्त जाफरी के पास इनते पैसे नहीं थे कि वह अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दे पाए.

नहीं मानी हार और उठाया ये कदम

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इन सभी बातों के बाद जाफरी ने अपने बच्चे की पढ़ाई के लिए एक बड़ा कदम उठाया. बच्चे की अच्छी शिक्षा के लिए जाफरी ने अपनी बकरियों को बेच दिया और अपने बच्चे का दाखिला शहर के स्कूल में करवा दिया. फिर क्या था, बेटा ने कभी मां को अपने कदम पर अफसोस जाहिर नहीं करवाया और वह स्कूल में हर साल टॉप करने लगा.

अपनी पढ़ाई और लगन के दम पर मुनीर खान स्कॉलरशिप हासिल करते गए और एक दिन उन्होंने अपनी मेहनत और मां की दुआ के दम पर वह मुकाम हासिल कर लिया जो बहुत कम लोगों को मिलता है. उनका चयन अमेरिका की कोलंबिया यूनिवर्सिटी में रिसर्च स्कॉलर के तहत हो गया. 

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आज भी मुनीर खान भारत आते हैं तो अपने गांव के घर जरूर आते हैं. उनकी सफलता ने एक बार फिर साबित कर दिया कि मां अपने बच्चों को कामयाब बनाने के लिए किस हद तक जा सकती है और बच्चा मां के संघर्षों पर खरा उतरकर किस हद तक कामयाब हो सकता है.

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