मैकेनिक के दोनों बेटों ने किया कमाल, गरीबी से संघर्ष कर यूं बने हॉकी के स्टार खिलाड़ी
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक ही परिवार के दो बच्चों ने कमाल कर दिया है. मोपेड मिस्त्री पिता तसव्वुर अली और गरीबी को…
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उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक ही परिवार के दो बच्चों ने कमाल कर दिया है. मोपेड मिस्त्री पिता तसव्वुर अली और गरीबी को नजदीकी से देखने वाली मां किस्मतउलजहां के दोनों बेटे शाहरुख और आमिर हॉकी के स्टार खिलाड़ी बन गए हैं. वे पूरे देश में नाम रोशन कर रहे हैं. उनके घर में टीवी नहीं है लेकिन माता-पिता अपने बच्चों का हॉकी मैच मोबाइल से देखते हैं और इस दौरान उनके आंखों में आंसू भी आ जाते हैं.
नेशनल पीजी कॉलेज के पास मोटर मैकेनिक का काम तस्सवुर करते हैं और मां किस्मतउलजहां दूसरे के घरों में काम करके परिवार का पेट पालती हैं. परिवार के 7 लोगों में बेटे आमिर और शाहरुख के अलावा 4 बहनें भी हैं, सभी झोपड़पट्टी में रहते हैं.
छोटे बेटे शाहरुख ने हाल ही में अपनी हैट्रिक से उत्तर प्रदेश को राष्ट्रीय सब जूनियर हॉकी का चैम्पियन बनाया था, जबकि बड़ा बेटा आमिर अली राष्ट्रीय जूनियर हॉकी चैम्पियनशिप में खेल रहा है और गोल पर गोल दागे जा रहा है.
आमिर और शाहरुख ने बचपन से ही गरीबी देखी है. पिता रोड पर ही मोटर मैकेनिक का काम करते हैं. घर झोपड़पट्टी जैसा है. दोनों बेटों को शुरुआत से ही खेलने का शौक था. वे पास के ही स्टेडियम में जाकर हॉकी खेलना शुरू किए. धीरे-धीरे प्रतिभा निखरी और बड़े बेटे आमिर का चयन साईं सेंटर लखनऊ में हो गया, जबकि छोटा बेटा शाहरुख एकेडमी में ही खेलता रहा.
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शाहरुख ने एकेडमी में खेलते हुए गोवा में हुए राष्ट्रीय सब जूनियर हॉकी चैंपियनशिप में उत्तर प्रदेश की तरफ से शामिल हुआ और हैट्रिक गोल दाग कर उत्तर प्रदेश को राष्ट्रीय चैंपियन बना दिया.
बड़ा बेटा आमिर अली इस समय लखनऊ की टीम से तमिलनाडु में हो रही राष्ट्रीय जूनियर हॉकी चैंपियनशिप में खेल रहा है. लीग मैच, क्वार्टर फाइनल और सेमीफाइनल में आमिर ने कई गोल दागे हैं. उत्तर प्रदेश को फाइनल में पहुंचाने में सबसे बड़ी भूमिका आमिर की रही है.
आमिर और शाहरुख के पिता तसव्वुर अली के मुताबिक, बेटे को देखकर आंखों में खुशी होती है, जब भी समय मिलता है तो वे मोटर मकैनिक के काम में मेरी मदद करते हैं.
मां किस्मतउलजहां का कहना है कि दोनों बेटे को देखकर बड़ी खुशी होती है. उन्होंने कहा, “हम बहुत गरीबी में रहते हैं, हमारे पास मकान तक नहीं है. हम झोपड़पट्टी में रहते हैं. ऐसे में बेटों का हॉकी का मैच टीवी पर न देखकर मोबाइल पर देखते हैं, घर में सभी खुश होते हैं. मुझे अपने बेटों पर गर्व है.”
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