UP चुनाव में पवार की एंट्री उड़ाएगी BJP की नींद! NCP चीफ के इस कदम के सियासी मायने समझिए
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार में कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने 11 जनवरी को मंत्रिमंडल से इस्तीफा देकर सूबे की सियासत में भूचाल…
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उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार में कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने 11 जनवरी को मंत्रिमंडल से इस्तीफा देकर सूबे की सियासत में भूचाल…
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार में कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने 11 जनवरी को मंत्रिमंडल से इस्तीफा देकर सूबे की सियासत में भूचाल ला दिया. इससे पहले कि यह भूचाल संभलता, भूकंप का एक और झटका आया. और वो आया मुंबई से. वरिष्ठ नेता और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के चीफ शरद पवार ने ऐलान किया कि उत्तर प्रदेश में उनकी पार्टी अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी (एसपी) के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी.
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मगर पवार के जिस बयान ने यूपी में ‘बम’ फोड़ा वो यह था कि 13 विधायक समाजवादी पार्टी में शामिल होने वाले हैं. उन्होंने स्वामी प्रसाद मौर्य के इस्तीफे पर यह बात कही. उन्होंने कहा, ”मौर्य ने नई शुरुआत की है. यह यहीं खत्म नहीं होगा. मतदान होने तक हर दिन कुछ नए चेहरे पलायन करेंगे.’’
शरद पवार की पार्टी का उत्तर प्रदेश में खास आधार नहीं है लेकिन यूपी इलेक्शन में उनकी एंट्री भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और पीएम नरेंद्र मोदी की नींद उड़ाने के लिए काफी है. इसकी वजह यह है कि साल 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में पवार कम-ज्यादा जो भी कमाल करें लेकिन साल 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए एंटी-बीजेपी लामबंदी का एक और मजबूत मोर्चा उन्होंने खोल दिया है. दरअसल साल 2014 में बीजेपी के केंद्र की सत्ता में आने के बाद से शरद पवार गैर-बीजेपी विपक्ष को एक साथ लाने में सबसे बड़ा चेहरा रहे हैं.
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आपको याद दिला दें कि महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्य में बीजेपी को सत्ता से हटाने के लिए शिवसेना और कांग्रेस जैसे धुर-विरोधी एक साथ आए तो उसके लिए शरद पवार ही मुख्य तौर पर जिम्मेदार थे.
पवार के साथ एंटी-बीजेपी गठबंधन को साथ लाने के लिए कदमताल कर रही हैं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी. पिछले साल एक दिसंबर को मुंबई में शरद पवार और ममता बनर्जी की मुलाकात हुई. उसके बाद पवार ने कहा था कि मौजूदा वक्त में हमारा मकसद समान विचारधारा वाली पार्टियों को बीजेपी के खिलाफ साथ लाना और एक सामूहिक मोर्चा पेश करना है. ऐसे में उत्तर प्रदेश के चुनाव में शरद पवार की इस अंदाज में एंट्री के बड़े मायने हैं.
बीजेपी का दावा है कि 2022 में यूपी को जीतकर वो 2024 में केंद्र में लगातार तीसरी बार सरकार बनाएगी. विपक्ष को लगता है कि 2022 में यूपी बीजेपी के हाथ से फिसला तो 2024 में उसे केंद्र से बाहर करने का रास्ता भी आसान होगा.
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अब यूपी में क्या होगा यह तो 10 मार्च को आने वाले नतीजे बता ही देंगे, लेकिन अखिलेश यादव के साथ मजबूती से हाथ मिलाकर पवार ने 2024 के एंटी-बीजेपी गठबंधन की नींव को और ठोस तो बना ही दिया है. कहावत पुरानी है लेकिन फिर भी मौजू तो है ही कि आखिर राजनीति संभावनाओं का खेल है.
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