चट्टानों का सीना चीर कर सुरंग से बाहर आए यूपी के लाल, कहीं घर पर मनी दिवाली तो कहीं झूमे लोग

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Uttarkashi Tunnel Rescue  : मंगलवार को पूरे देश के लिए मंगलमयी खबर सामने आई है. रेस्क्यू टीमों के अथक परिश्रम से ऑपरेशन सिलक्यारा फतह कर लिया गया है. उत्तराखंड के उत्तरकाशी के सिलक्यारा सुरंग में फंसे सभी 41 श्रमिक 17वें दिन सकुशल बाहर आ गए हैं. वहीं इस सुरंग के फंसे उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर के रहने वाले अखिलेश और लखीमपुर खीरी के रहने वाले मंजीत चौधरी पर बाहर आ गए हैं. बता दें कि उत्तरकाशी जिले में यमुनोत्री हाईवे पर सिलक्यारा में निर्माणाधीन सुरंग में 12 नवंबर को 41 श्रमिक सुरंग में ही फंस गए थे.

सुरंग से बाहर आए यूपी के लाल

सिलक्यारा सुरंग से मिर्जापुर के अखिलेश के बाहर निकलते ही उनके घर में दिवाली सा माहौल हो गया. अखिलेश के घर और आस पड़ोस के लोग पाटाखे फोड़ कर खुशी मनाने लगे. अखिलेश के घर पर सुबह से ही पूजा चल रही थी. अखिलेश ये सुरंग से बाहर निकलते ही उनके घर को दियों की रोशनी से सजा दिया गया और परिवार के लोगों में खुशी से झुमने लगे. अखिलेश के पिता ने कहा कि, ‘इससे ज्यादा खुशी का मौका नहीं मिलेगा. मै बहुत खुश हूं कि मेरा बेटा सही सलामत उस सुरंग से बाहर आ गया.’

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मिर्जापुर के अखिलेश के घर मनी दिवाली
मिर्जापुर के अखिलेश के घर मनी दिवाली

लखीमपुर खीरी के मंजीत के घर मनी दिवाली

ऑपरेशन सिलक्यारा के तहत जिन 41 मजदूरों को सुरंग से बाहर निकाला गया उसमें लखीमपुर खीरी के मंजीत चौधरी भी शामिल हैं. मंजीत के पिता पिछले दो हफ्तों उत्तरकाशी के सुरंग के बाहर ही अपने बेटे का इंतजार कर रहे थे. फिलहाल सुरंग के फंसे सभी लोग सकुशल बाहर आ गए हैं. बता दें कि लखीमपुर खीरी के मंजीत चौधरी के पिता, अपनी पत्नी के गहने गिरवी रख कर यहां पहुंचे हैं. उनके पास इतने पैसे नहीं थे कि यहां का किराया जुटा सकें. इंडिया टूडे से बात करते हुए मंजीत के पिता चौधरी ने कहा कि, ‘बेटा जब बाहर आएगा तो बहुत खुशी होगी. बेटा जब टनल के अंदर फंसा था तो खुद फोन करके हमें हिम्मत बंधाता था कि मैं ठीक हू और जल्द ही निकल जाउंगा.’

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बता दें कि उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सिलक्यारा सुरंग बनाई जा रही है. वहीं 17 दिन पहले सुरंग में हुए हादसे में 41 मजदूर अंदर ही फंस गए. सुरंग में मलबा हटाने के लिए सबसे पहले जेसीबी लगाई गई, लेकिन ऊपर से मलबा गिरने पर सफलता नहीं मिल पाई तो देहरादून से ऑगर मशीन मंगाकर सुरंग में ड्रिलिंग शुरू की गई. ऑगर मशीन जवाब दे गई. फिर दिल्ली से अमेरिकन ऑगर मशीन मौके पर पहुंचाई गई. इसके लिए वायुसेना के हरक्यूलिस विमानों की मदद ली गई. कटर से ऑगर को काटने के बाद 16वें दिन मैनुअल ड्रिलिंग शुरू की गई और आज 17वें दिन जिंदगी का पाइप श्रमिकों तक पहुंचा दिया गया.

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