मर्सिडीज के एक घंटे के सफर में यूपी के मंत्री असीम अरुण को रतन टाटा से मिला था ये ज्ञान

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Ratan Tata (Photo: India Today)
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Ratan Tata News: रतन टाटा दुनिया के सबसे प्रभावशाली उद्योगपतियों में से एक थे, फिर भी वह कभी अरबपतियों की किसी सूची में नजर नहीं आए. उनके पास 30 से ज्यादा कंपनियां थीं जो छह महाद्वीपों के 100 से अधिक देशों में फैली थीं, इसके बावजूद वह एक सादगीपूर्ण जीवन जीते थे. रतन टाटा का बुधवार देर रात 86 वर्ष की उम्र में मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया. रतन टाटा के निधन से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है. रतन टाटा के निधन के बाद लोग उन्हें याद कर रहे हैं. इसी कड़ी में यूपी के मंत्री और पूर्व IPS असीम अरुण ने रतन टाटा के साथ उनकी मुलाकात का वाक्या साझा किया है. असीम अरुण ने बताया है कि जब वह स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (SPG) में थे तब उनकी रतन टाटा से मुलाकात हुई थी. 

असीम अरुण ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए कहा, "वाक्या 2007 या 2008 का होगा, जब मैं एसपीजी में प्रधानमंत्री जी की सुरक्षा में था. स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी) का ध्येय वाक्य है, ‘जीरो एरर’ यानि ‘त्रुटी शून्य’ और एसपीजी में इसके लिए हमेशा विचार मंथन और उस पर कार्रवाई चलती भी रहती है. इसी क्रम में एक लेक्चर आयोजित किया गया जिसमें श्री रतन टाटा जी को वक्ता के रुप में आमंत्रित किया गया था."

 

 

असीम अरुण बताते हैं कि ऐसे अवसरों पर सामान्य शिष्टाचार यह होता है कि SPG में से कोई एक अधिकारी मुख्य अतिथि को लेने जाता है और इसकी जिम्मेदारी उन्हें मिली थी. इसके बाद असीम अरुण, रतन टाटा को नई दिल्ली के ताज मान सिंह होटल लेने चले गए. यहां आकर असीम अरुण को पता चला कि रतन टाटा इस होटल के प्रेसिडेंशियल सुइट की बजाए एक सामान्य कमरे में ठहरे हुए थे. बकौल अरुण, जब वे निकले तो रतन टाटा ने उन्हें अपनी गाड़ी में बिठा लिया था. 

यूपी के मंत्री असीम अरुण ने कहा, "करीब 50 साल पुरानी मर्सिडीज और केवल ड्राइवर, ऐसे चलते थे वे. मैंने पूछा सर आपके साथ कोई सुरक्षा क्यों नहीं है तो सहजता से बोले मुझे भला किससे खतरा हो सकता है? मैंने फिर पूछा कि सर कोई सहयोगी कर्मी तो होना चाहिए जो आपके फोन संभालने जैसे काम करे तो बोले मुझे कभी ऐसी आवश्यकता ही नहीं महसूस हुई."  

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बकौल असीम अरुण, "रास्ता दिखाने के लिए, पायलट करने के लिए उनकी गाड़ी के आगे एक एसपीजी की टाटा सफारी मैंने लगा रखी थी. जब उनका ध्यान इस गाड़ी पर गया तो बहुत असहज हो गए और बोले इसे हटवा दीजिए. मेरी बुद्धि कह रही थी कि एसपीजी का पायलट पा कोई भी आदमी अपना कालर खड़ा कर लेगा लेकिन जब तक पायलट हटा नहीं टाटा जी को चैन नही आया."

 

 

असीम अरुण बताते हैं कि लेक्चर समाप्त होने के बाद रतन टाटा अपनी 50 साल पुरानी मर्सिडीज में बैठे. इसके बाद उन्होंने टाटा से पूछा कि क्या वे उनके साथ एयरपोर्ट तक चलें? इसपर रतन टाटा ने जवाब दिया, "If you have nothing better to do, please join." असीम अरुण के अनुसार तब वह लगभग एक घंटे तक रतन टाटा के साथ रहे और उन्होंने उनसे हर तरह के सवाल पूछे.

असीम अरुण बताते हैं, "मैंने उनसे पूछा, "एक्सीलेंस यानि उत्कृष्टता विकसित करने का क्या फार्मूला है?" वो बोले, "आपकी कंपनी या विभाग जो काम करता है उसे ‘sub-processes’ में बांटे और हर अंश को पक्का करें, प्रक्रिया बनाएं और क्वालिटी कंट्रोल का सशक्त सिस्टम बनाएं. अंतिम परिणाम तभी मुकम्मल होगा जब उसको फीड करने वाले अंग भी पर्फेक्ट होंगे." 

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मालूम हो कि टाटा मोटर्स ने एसपीजी के लिए खास बुलेट प्रूफ कार और एस्कार्ट कार तैयार की थीं. अनुसंधान पर बहुत खर्च भी किया था, लेकिन उस समय एसपीजी ने BMW भी खरीदना शुरू कर दिया था. असीम अरुण ने तब उनसे पूछा था, “सर आपको इससे निराशा होगी क्या?" इस पर टाटा ने जवाब देते हुए कहा था, "नहीं, मुझे बिल्कुल निराशा नहीं होगी. अगर टाटा मोटर्स को मार्किट में रहना है तो प्रतियोगिता में शामिल रहना होगा. एसपीजी बेस्ट कार ही लेगी. मुझे अपनी सफारी को बेस्ट बनाना होगा. मैं अपनी टीम को तुरंत लगाऊंगा कि बीएमडब्लू को स्टडी करें, उनके फीचर्स को सफारी में शामिल करें और आगे बढ़ें. उत्कृष्टता की यात्रा निरंतरता की है."

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