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यूपी सरकार ने SC में आजम खान की जमानत याचिका का किया विरोध, कहा- वह आदतन अपराधी हैं

संजय शर्मा

उत्तर प्रदेश सरकार ने जेल में बंद समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान की जमानत याचिका का मंगलवार को विरोध किया और उन्हें ‘‘भूमि कब्जा…

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उत्तर प्रदेश सरकार ने जेल में बंद समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान की जमानत याचिका का मंगलवार को विरोध किया और उन्हें ‘‘भूमि कब्जा करने वाला’’ और ‘‘आदतन अपराधी’’ करार दिया.

सुप्रीम कोर्ट में उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एस वी राजू ने न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ को बताया कि खान ने जमीन हड़पने के मामले में जांच अधिकारी को कथित रूप से धमकी दी थी.

एएसजी ने पीठ से कहा, ‘‘वह (खान) जमीन हड़पने वाले शख्स हैं. उनके खिलाफ निजी शिकायतें दर्ज की गई हैं…वह आदतन अपराधी हैं. इस व्यक्ति ने सब कुछ जाली काम किया है.’’ एएसजी ने कहा कि खान अंतरिम जमानत का अनुरोध कर रहे हैं, जिसे मंजूर नहीं किया जा सकता.

राजू ने कहा, ‘‘उनके खिलाफ ऐसे मामले हैं जिनमें आजीवन कारावास की सजा भी हो सकती है. उनके अतीत की भी जांच की जानी चाहिए क्योंकि वह आदतन अपराधी हैं और भूमि कब्जा करने वाले शख्स हैं.’’

खान की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि चूंकि उनका मुवक्किल दो साल से जेल में है, तो वह किसी को कैसे धमकी दे सकता है. शीर्ष अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया.

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अदालत ने पूर्व में राज्य सरकार से मामले में अपना जवाब दाखिल करने को कहा था. शीर्ष अदालत ने इससे पहले खान की जमानत अर्जी पर सुनवाई में देरी पर नाराजगी जताते हुए कहा था कि यह न्याय का मजाक है. पीठ ने कहा था, ‘‘वह (खान) एक को छोड़कर सभी मामलों में जमानत पर बाहर हैं, यह न्याय का मजाक है. हम और कुछ नहीं कहेंगे.’’

खान की ओर से पेश वकील ने शीर्ष अदालत को बताया था कि उच्च न्यायालय ने जमानत अर्जी पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय परियोजना के लिए शत्रु संपत्ति हड़पने के मामले में खान की जमानत अर्जी पर पांच मई को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था.

खान और अन्य के खिलाफ कथित तौर पर शत्रु संपत्ति हड़पने और करोड़ों रुपये से अधिक के सार्वजनिक धन के दुरुपयोग के लिए प्राथमिकी दर्ज की गई थी.

प्राथमिकी में यह आरोप लगाया गया था कि विभाजन के दौरान इमामुद्दीन कुरैशी नामक एक व्यक्ति पाकिस्तान चला गया था और उसकी जमीन को शत्रु संपत्ति के रूप में दर्ज किया गया था, लेकिन खान ने अन्य लोगों के साथ मिलीभगत से भूखंड पर कब्जा कर लिया.

भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान की रोकथाम कानून के तहत रामपुर के अजीम नगर थाने में खान और अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी.

(भाषा के इनपुट्स के साथ)

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