यूपी: EOW करेगी छात्रवृत्ति घोटाले की जांच , घोटालेबाजों से पैसों की रिकवरी के आदेश जारी
उत्तर प्रदेश होम्योपैथिक बोर्ड से संबद्ध संस्थानों में छात्रवृत्ति घोटाले का मामला अब ईओडब्ल्यू (EOW) को सौंपा गया है. साथ ही अपर निदेशक शिक्षा होम्योपैथिक…
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उत्तर प्रदेश होम्योपैथिक बोर्ड से संबद्ध संस्थानों में छात्रवृत्ति घोटाले का मामला अब ईओडब्ल्यू (EOW) को सौंपा गया है. साथ ही अपर निदेशक शिक्षा होम्योपैथिक निदेशालय प्रोफेसर मनोज यादव को सस्पेंड कर दिया गया है. इनके साथ ही तत्कालीन कार्यवाहक रजिस्ट्रार विनोद कुमार यादव को भी सस्पेंड कर दिया गया है. समाज कल्याण विभाग द्वारा संबंधित घोटालेबाजों से छात्रवृत्ति की रकम रिकवरी करने के आदेश भी दिए गए हैं. ध्यान देने वाली बात है कि उत्तर प्रदेश होम्योपैथिक मेडिसिन बोर्ड के द्वारा संचालित संस्थानों में छात्रों को मिलने वाली छात्रवृत्ति में 48 करोड़ के गबन का मामला सामने आया था.
उत्तर प्रदेश होम्योपैथिक मेडिसिन बोर्ड से संबद्ध सभी संस्थानों के भौतिक सत्यापन के आदेश दिए गए हैं. संविदा लिपिक दिनेश चंद दुबे और सुषमा मिश्रा का संविदा खत्म करते हुए एफआईआर दर्ज कराने के आदेश दिए गए हैं. इसके साथ ही बिना मेडिसिन बोर्ड की सदस्य बने प्राणपत्र पत्र जारी करने वाली सुनीता मलिक पर एफआईआर दर्ज कराने का आदेश दिए गए हैं.
ये है पूरा मामला
बीते 2 सालों से उत्तर प्रदेश के समाज कल्याण विभाग में बिना मान्यता वाले संस्थानों में फर्जी विद्यार्थी दिखाकर छात्रवृत्ति गबन की जा रही थी. साल 2020-21 और 21-22 में कुल 47 करोड़ 63 लाख 98 हजार रुपये के गबन का मामला सामने आया है. समाज कल्याण निदेशक आरके सिंह, सहायक निदेशक सिद्धार्थ मिश्रा और सीनियर ऑडिटर नीरज की कमेटी ने जांच के बाद अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपी है.समाज कल्याण विभाग की तरफ से गठित की गई कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर करीब 48 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति गबन का मामला सामने आया, जिसके बाद एफआईआर दर्ज कर धन गबन करने वालों से वसूली का निर्णय लिया गया है.
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शासन को सौंपी गई रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि बिना मान्यता वाले 38 संस्थानों के 531 विद्यार्थियों को 1 करोड़ 67 लाख रुपये का भुगतान किया गया. ध्यान देने वाली बात है कि ये छात्रा इन संस्थानों के थे ही नहीं. इसमें साल 2020-21 में अनुसूचित जाति जनजाति के 6487 फर्जी छात्रों को 27 करोड़ 94 लाख रुपये का भुगतान किया गया. इसी तरह 21- 22 में भी 6425 फर्जी छात्रों को 12 करोड़ 57 लाख रुपये का भुगतान दिखाकर गबन किया गया. इसी तरह साल 2019-20 में भी 1018 फर्जी छात्रों को दिखाकर 4 करोड़ 48लाख रुपये का गबन किया गया.
इस संबंध में समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण ने बातचीत में कहा कि ‘विभाग में तकनीक के सहारे भ्रष्टाचार को खत्म किया जाएगा. छात्रवृत्ति के नाम पर या फर्जी शिक्षकों के नाम पर धन के गबन की जांच करवाई जा रही है. अभी कुछ और मामले भी सामने आ सकते हैं, ऐसे सभी मामलों में एफआईआर दर्ज कर स्पेशल एजेंसी से जांच करवाई जाएगी.’
UP: फर्जी छात्रों के नाम पर ‘₹48 करोड़ हुए गबन’, FIR दर्ज कर अब होगी घोटालेबाजों से वसूली
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