UP: 50+ उम्र वाले कर्मचारियों की स्क्रिनिंग के मायने समझिए, क्या रिटायर करने की है तैयारी?

संतोष शर्मा

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उत्तर प्रदेश में एक बार फिर 50 साल से अधिक उम्र के दागी कर्मचारियों को विभाग से बाहर कर जबरन रिटायर करने की कवायद फिर शुरू हुई है. लंबे समय से विभाग के लिए बोझ बन चुके कर्मचारियों को जबरन रिटायरमेंट देने के लिए विभाग वार सूची इस महीने के अंत तक मांग ली गई है. क्या सच में सरकार विभाग के लिए बोझ बन चुके कर्मचारियों को बाहर करने के लिए इस नियम का कड़ाई से पालन करवा रही है या फिर विपक्षी दलों के अनुसार कर्मचारियों को राजनीतिक एजेंडे पर काम नहीं करने पर रिटायरमेंट का डर दिखाया जा रहा है. जानिए उत्तर प्रदेश सरकार के इस आदेश के मायने.

पांच जुलाई 2022 को उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा सभी विभागों के अभी विभाग अपर मुख्य सचिव प्रमुख सचिव और सचिव को एक आदेश जारी करते हैं कि 31 मार्च 2022 को जिन कर्मचारियों ने 50 साल की उम्र पूरी कर ली है, विभागवार उन कर्मचारियों की सूची तैयार की जाए जिनका वार्षिक मूल्यांकन खराब रहा है. मामला इस चिट्ठी से नहीं चिट्ठी जारी करने वाले अधिकारी से बढ़ा.

दरअसल उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा खुद रिटायरमेंट के बाद एक्सटेंशन पर हैं. ऐसे में सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक गलियारों में तक सवाल उठने लगे कि बड़े अफसरों को रिटायरमेंट के बाद एक्सटेंशन मिल रहा है तो वहीं छोटे कर्मचारियों को जबरन रिटायर किया जा रहा है. सरकार कर्मचारियों में अपना खौफ पैदा कर एजेंडा चलाना चाहती है. आरएलडी के प्रवक्ता अनुपम मिश्रा ने आरोप लगाए कि किस अभियान से सरकार कर्मचारियों में खौफ पैदा करना चाहती है. एक तरफ मुख्य सचिव को रिटायरमेंट के बाद एक्सटेंशन देकर तैनात कर रही है तो दूसरी तरफ कर्मचारियों का शोषण हो रहा है.

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हालांकि इस संबंध में उत्तर प्रदेश पुलिस के पूर्व डीजीपी एके जैन का कहना है विभाग के लिए Dead Wood हो चुके कर्मचारियों को बाहर करने का नियम पुराना है. पहले भी सरकारें करती आई हैं, लेकिन कड़ाई से इसका पालन नहीं हुआ. मौजूदा सरकार इसका कड़ाई से पालन कर रही है. जो कर्मचारी भ्रष्ट हैं, जो काम नहीं कर रहे हैं उनको विभाग से बाहर करने में कोई बुराई नहीं.

बता दें कि उत्तर प्रदेश सरकार ने कंपलसरी रिटायरमेंट स्कीम के तहत अपने पहले कार्यकाल में भी करीब 650 कर्मचारियों को जबरन रिटायरमेंट दिया था. जिसमें सबसे ज्यादा संख्या लगभग 450 पुलिसकर्मियों की थी, जिसमे 200 कॉन्स्टेबल, 100 कांटेबल, और 150 इंस्पेक्टर व सब इंस्पेक्टर शामिल थे. इतना ही नहीं उत्तर प्रदेश पुलिस के तीन आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर, राकेश शंकर और राजेश कृष्ण को भी उनके ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए जबरन रिटायर किया गया है.

मौजूदा समय में उत्तर प्रदेश में लगभग 16 लाख राज्य कर्मचारी हैं, जिनमें से 4 लाख कर्मचारी ऐसे हैं जिनकी उम्र 50 साल या उससे अधिक है. अब इस 4 लाख कर्मचारियों की संख्या में से ही खराब ट्रैक रिकॉर्ड वाले कर्मचारियों को जबरन रिटायर किया जाएगा.

बनेगी स्क्रीनिंग कमेटी

नियम की बात करें तो ऐसे कर्मचारियों के लिए विभागवार स्क्रीनिंग कमेटी बनेगी. उस स्क्रीनिंग कमिटी के अनुमोदन के बाद विभाग के प्रमुख सचिव, प्रमुख सचिव नियुक्ति के साथ मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली स्क्रीनिंग कमेटी इस अंतिम सूची का चयन करेगी. पुलिस कर्मियों की स्क्रीनिंग कमेटी के लिए डीजीपी व अपर मुख्य सचिव गृह शामिल रहेंगे. वहीं आईएएस और आईपीएस के लिए उत्तर प्रदेश सरकार केंद्र सरकार को पत्र लिखकर रिटायरमेंट की सिफारिश करेगी और भारत सरकार अंतिम फैसला करेगी.

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अफसरों के चाटुकार ही करेंगे नौकरी- कर्मचारी महासंघ

इन तमाम नियमों और स्क्रीनिंग कमेटी के बाद भी उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व कर रहे महासंघ के अध्यक्ष सतीश पांडे कहते हैं कि दागी व अकर्मण्य कर्मचारियों को विभाग से बाहर करने का नियम तो पुराना है, लेकिन अब अफसरों के चाटुकार ही नौकरी करेंगे. काम करने वाले बुजुर्ग कर्मचारी रिटायर कर दिए जाएंगे. लेकिन सरकार ने इसका दूसरा पहलू नहीं समझा कि 50 साल के करीब पहुंचा आदमी आगे क्या करेगा. जब उसके सामने बेटी की शादी, बेटे की पढ़ाई का वक़्त करीब होगा. शरीर में बीमारियां भी इलाज के बिना साथ छोड़ने को तैयार नहीं होंगी. तब जबरन रिटायर कर देने का यह फैसला पूरा परिवार भोगेगा.

कुछ ऐसी ही बात उत्तर प्रदेश वन निगम से रिटायर हुए कमलेश कुमार मिश्रा भी कहते हैं. कमलेश कुमार मिश्रा हाल ही में उत्तर प्रदेश वन निगम से अकाउंट ऑफिसर के पद से रिटायर हुए हैं. उनकी दो बेटियों की शादी हो चुकी है, लेकिन एक बेटी और बेटा अभी भी अविवाहित हैं. ऐसे में 50 साल की उम्र में जब कोई व्यक्ति जबरन रिटायर कर दिया जाता है तो उसे दूसरी कंपनी में नौकरी भी नहीं मिलती और व्यापार के लिए शरीर में इतनी ताकत भी नहीं रह जाती. ऐसे में पूरा परिवार इस जबरन रिटायरमेंट के कष्ट को सहता है.

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वहीं दूसरी तरफ इस मामले पर अब राजनीति भी गरमाई हुई है. आरएलडी और सपा आरोप लगा रही है कि सरकार की योजना कर्मचारियों को डराने के लिए है. लेकिन बीजेपी कहती है कि सरकार भ्रष्टाचार और अपराध पर जीरो लटॉरेंस की नीति पर काम करने वाली है. विपक्षी दल अपराधियों और भ्रष्टाचारियों की मोह को छोड़ नहीं पा रहे इसलिए उनके साथ खड़े हैं.

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