ज्ञानवापी सर्वे को कैमरे में कैद करने वाले फोटोग्राफर ने कहा- मैंने देखा कि…

कुमार अभिषेक

ADVERTISEMENT

UPTAK
social share
google news

ज्ञानवापी सर्वे में कथित शिवलिंग मिलने और मुस्लिम पक्ष के अनुसार उसे फव्वारा बताने संबंधी दावों के बीच यूपी तक ने कैमरामैन गणेश शर्मा से बात की. ये वही कैमरामैन हैं जिन्होंने सर्वे के हर पहलू को अपने कैमरे में कैद किया है. गणेश शर्मा ने कहा कि जो वायरल हुए फोटो में दिख रहा जिसे लोग शिवलिंग कह रहे हैं दरअसल वो पर्वताकार है.

गणेश शर्मा ने कहा- ‘मुझे लगता है कि जहां-जहां कमीशन ने हमें कहा, हमने चप्पे-चप्पे पर फोटोग्राफी की. जब हम देख रहे थे तो कोई धार्मिक भावनाएं जैसा माहौल नहीं था. वहां शिवलिंग छूना, प्रणाम करना, हर-हर महादेव बोलना वर्जित था. वहां सर्वे हो रहा था, जो पत्थर मिला उसे एक पक्ष उसे फव्वारा तो दूसरा पक्ष शिवलिंग कह रहा है.

गणेश शर्मा ने बताया कि जिसे लोग शिवलिंग कह रहे हैं, वह काला चमकीला पत्थर है जो पर्वताकार है. मीडिया में जो दिखाया जा रहा है वह ऊपर से नीचे तक एक जैसा लगता है, लेकिन हमने उसे देखा नीचे कैसा है, ऊपर कैसा है? प्रथम दृष्टया ऐसा लग रहा है जैसा ऊपर है वैसा ही नीचे ही होगा, लेकिन यह पर्वत आकार का है. ऊपर जैसा है उसके मुकाबले वह नीचे काफी चौड़ा हो जाता है.

यह भी पढ़ें...

ADVERTISEMENT

महोदय ने जब उसे उसके व्यास को नापा तो वह 12 फीट निकला. वह पर्वताकार निकला. यह काला चमकीला पत्थर है. काफी समय से पानी में डूबा हुआ है, लेकिन उसकी चमक में कोई अंतर नहीं है, जैसा काशी विश्वनाथ में काला चमकीला पत्थर है. बिल्कुल उसी जैसा लग रहा है.

जानकार लोग इसे बताएंगे कि यह क्या है, लेकिन जो मैंने देखा जो आकृति मुझे दिखा, वह जैसी आकृति है वह भी पानी से 6 इंच डूबी हुई थी. जब अगर कोई चीज पानी में डूबी हो तो वह फव्वारा कैसे थ्रो करेगी? जो वायरल वीडियो है वह पूर्व में कभी सफाई के दौरान खींचा हुआ वीडियो है. सिर्फ ऊपरी हिस्सा दिख रहा है. उससे अनुमान यह लग रहा है कि जैसा ऊपर है वैसा ही नीचे होगा, लेकिन ऐसा है नहीं है. ऐसा कोई साक्ष्य नहीं दिखा कि वह फव्वारे या उस ढांचे में कहीं पानी की कोई सप्लाई हो रही हो. इसकी मांग हो रही है कि नीचे की दीवारों को खोल कर देखा जाए कि उसकी गहराई कितनी है?

एक कमिश्नर महोदय ने कहा कि अगर यह फव्वारा है तो इस चालू करके दिखाइए, लेकिन उन लोगों ने कहा कि यह चालू नहीं हो सकता है. देखिए डिमांड की जा रही है कि नीचे की दीवारों को भी खोलकर देखा जाए कि क्या यह शिवलिंग नीचे तक जाता है? इसके पीछे मुझे एक चीज दिखाई पड़ी है. वो है एक पत्थर का फ्रेम. एक डेढ़ फुट के आसपास का होगा. मुझे लगता है वह कभी शिवलिंग का अरघा रहा होगा.

गणेश शर्मा

ADVERTISEMENT

नंदी से नाक की सीध में है ये कथित शिवलिंग

अगर हम बनारस का तिलभांडेश्वर महादेव का शिवलिंग देखें तो यह जमीन से 15 फीट ऊपर है और कुछ ऐसा हो सकता है कि ऊपर का जो शिवलिंग है उसके नीचे इस तरीके का हो. जब यह ढांचा मिला तो यह नापा गया किए नंदी से कित तरफ है और मस्जिद के नीचे जिसे गर्भगृह कहा जाता है वहां से इसकी दूरी कितनी पर है. जब दोनों को नापा गया तो नंदी के ठीक नाक के सीध में ये मिला है. गर्भगृह से भी ठीक नाक की सीध में ये कथित शिवलिंग है.

ADVERTISEMENT

एक खास चीज भी दिखा था…

एक खास चीज दिखाई पड़ा जो मीडिया में नहीं आया है. मुख्य गुंबद के नीचे पत्थर दिखाई पड़ा जो हमारी रिपोर्ट में तो है, लेकिन मीडिया में नहीं आया है. इस पत्थर में तीन तरफ से हिंदू कलाकृतियां दिखाई दे रहीं हैं. मुख्य गुंबद के नीचे इतना बड़ा हिंदू पत्थर होना एक बड़ी चीज है. बाकी दोनों गुंबदों में हमें बहुत ज्यादा कुछ नहीं दिखाई दिया. वह बिल्कुल सपाट थे, लेकिन मुख्य गुंबद के नीचे हिंदू पत्थर पर तीन तरफ से बनी हुई कलाकृतियां दिखाई दीं. पश्चिमी दीवार पर जिसकी तस्वीरें सबसे के सामने हैं, जो विध्वंस की दीवार है उसमें तकरीबन 30 फीट ऊपर 4 लाइनों का एक मंत्र लिखा हुआ मिला है. संस्कृत जैसा श्लोक है और जब बड़े स्क्रीन पर से पढ़ा जाएगा तब पता चलेगा. करीब 25 से 30 फीट पर पश्चिमी दीवार पर यह मिला है. जो पुरानी तस्वीर देख रहे हैं उसमें जो घंटे की एक तस्वीर बनी हुई है उसके दाहिने तरफ ये श्लोक हैं.

एक तहखाने में शेर की आकृति मिली है

गणेश शर्मा ने बताया- ‘तहखाने में कोई रोशनी नहीं थी कोई बिजली नहीं. सिर्फ प्रशासन की सर्च लाइटों के जरिए तस्वीरें खींच रहे थे. सर्च लाइट की रोशनी इतनी ज्यादा थी कि बहुत साफ-साफ दिखना मुश्किल था. हिंदू पक्ष के पास एक तहखाने में शेर की आकृति मिली है. वहीं पर मंत्र भी लिखा हुआ मिला है. यह शेर कि जो आकृति है यह पत्थरों पर गढ़ा हुआ मिला है. मुस्लिम पक्ष के पास जो तीन कमरे थे तहखानों के उसमें कुछ खास नहीं मिला है.

जहां नमाज पढ़ी जाती है वहां त्रिशूल की आकृति है: मस्जिद में जहां पर नमाज पढ़ी जाती है, वहां पर त्रिशूल और स्वस्तिक की बहुतायत आकृतियां मिली हैं. इनकी संख्या करीब 10 से ज्यादा है. हिंदू पक्ष जिसे मंदिर का गर्भ गृह मानता है, वहां चटाई और दरी थी. जब उसे हटाकर पैरों से ठोका गया तो वह खोखला लग रहा था. ऐसा लग रहा था मानो कोई तहखाना अंदर हो. अगर आप नीचे से ऊपर गुंबद की और देखेंगे तो तो आपको फूल पत्तियों की कलाकृति नजर आएगी. जहां नमाज पढ़ी जाती है, वहां मुस्लिम धर्म का भी एक चिन्ह मिला जिसे रिकॉर्ड किया गया.

तहखाने में बहुत सारी खंडित मूर्तियां मिली हैं. ऐसा लगता है हनुमान जी की खंडित मूर्ति थी. उनके पैरों से ऐसा पता चलता है. पश्चिम दीवार पर ऐसा लगता है कि एक बड़ा सा दरवाजा रहा होगा. जिसे बंद किया गया होगा. वहां कई लोग यह कह रहे थे कि इस दरवाजे को बंद किया गया है. यह हमारा विषय नहीं था कि यह बंद किया गया है या नहीं.

देखिए पेंट तो चढ़ा हुआ है दीवारों पर. दरअसल जहां वह नमाज पढ़ते हैं, वहां पेंट तो करते हैं और जब पेंट करते हैं तो जो कई आकृति और कलाकृति हैं उसके ऊपर भी पेंट चढ़ा है और वह काफी धुंधली हो चुकी हैं. जब उस शिवलिंग को साफ करने के लिए बोला गया, तो सफाईकर्मी को बुलाया गया. एक सफाईकर्मी उस शिवलिंग पर पांव रखकर साफ कर रहा था तो लोगों ने कहा पैर हटाओ. वो पैर हटा नहीं रहा था. तो उसे डांटकर बोला गया कि पैर हटा करके इसे साफ करो. लोगों ने वहां पर उसे पांव नहीं रखने दिया और काफी ऐतराज भी जताया.

इस पत्थर को हाथी भी नहीं हिला सकता है

देखिए वह पत्थर जो मिला है काला पत्थर वह सामान्य पत्थर तो नहीं है. वहां मौजूद जेई ने उसकी पूरी नापजोख तो की है. यह काला पत्थर जैसा काशी विश्वनाथ में काला शिवलिंग है उस से मिलता जुलता यह पत्थर है. हमारे पास कोई भी तस्वीर नहीं है. जो भी चिप है वह जमा हो चुकी है. अब मेरे पास कोई चीज नहीं है जो कुछ मेरे पास है वह मेरे दिमाग में है. मेरी मेमोरी में है. आपको बता दें कि यह जो काला पत्थर या शिवलिंग जिसे कहा जा रहा है यह वहां कहीं से रखा हुआ नहीं है. वह वहां जमा हुआ है. उसे हाथी भी नहीं हिला सकता है.

एक्सक्लूसिव: ज्ञानवापी में शिवलिंग के दावे पर जानें क्या कहती है कोर्ट कमिश्नर की रिपोर्ट

    follow whatsapp

    ADVERTISEMENT